हर दिन एक भारतीय विदेशी जेलों का मेहमान
भारतीय विदेश नीति भी नहीं दे पा रही राहत
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनिया
के विभिन्न देशों में जाकर बेहतर रोजगार करने की गरज में विदेशी नियमों व
कानूनों उलझे भारतीयों का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। विदेशों
में भारतीयों को किसी नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है इसका
अंदाजा विदेशी जेलों बंद भारतीय कैदियों रिहाई के बजाय उनकी लगातार बढ़ती
संख्या से लगाया जा सकता है। मसलन प्रतिदिन एक भारतीय विदेशी जेल का मेहमान
बन जाता है।
भारतीय विदेश और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय
द्वारा विदेशों में रोजगार करने वाले भारतीयों की कानूनी मदद या अन्य
मुसीबत के लिए हाल ही में ई-योजना के तहत ‘मदद’ नामक जैसी योजनाएं शुरू की
गई। वहीं सजायाμता लोगों की वतन वापसी के लिए भारत की पाकिस्तान,
बांग्लादेश, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों समेत 30 देशों
के साथ एक-दूसरे देश के कैदियों के आदान-प्रदान करने के लिए संधि विद्यमान
है। इसके बावजूद प्रवासी भारतीयों से मुसीबत के बादल छंटते नजर नहीं आते।
मसलन दुनिया के 72 देशों में करीब 6809 भारतीय कैदी आज भी नारकीय जिंदगी
जीने को मजबूर है। इन देशों की जेलों में पिछले साल भारतीय कैदियों की
संख्या 6443 थी यानि एक साल में 366 भारतीय विदेशी जेलों में कैद हो चुके
हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की विदेश नीति पर भी सवाल खड़े होना स्वाभाविक
है, जिसने युद्धबंदी में फंसे भारतीयों को भले ही सुरक्षित निकाल लिया हो,
लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा दुनिया के विभिन्न देशों में पैसा कमाने की गरज
से कानूनी शिकंजे में फंसे लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है, जिनके भारत
में परिजनों को अपनो की रिहाई और वतन लौटने का इंतजार है।
खाड़ी देशों में ज्यादा कैदी
विदेश
मंत्रालय के आंकड़े ही विदेशों में भारतीयों की नारकीय जिंदगी की गवाही दे
रहे है। मसलन इन भारतीय आंकड़ों के अनुसार बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब,
यूएई और ओमान जैसे खाड़ी देशों में ही लगभग 60 लाख भारतीय प्रवासी रह रहे
हैं। इनमें वे औरतें भी शामिल हैं, जिन्होंने भर्ती एजेंटों के भरोसे भारत
से तीन गुना ज्यादा तनख्वाह वाली नौकरी की खातिर अपने गांव छोड़ दिया है। इस
प्रकार 72 देशों की जेलों में 6809 भारतीय कैदी के रूप में बंद हैं। इनमें
सऊदी अरब की जेलों में सर्वाधिक 1696 भारतीय कैदी हैं, जबकि संयुक्त अरब
अमीरात में 1143 और नेपाल में 859 भारतीय कैदी जेलों में बद है। इसके अलावा
कुवैत में 434,मलेशिया में 356, ब्रिटेन में 356, पाकिस्तान में 230,
अमेरिका में 188, चीन में 161, बांग्लादेश में 137, कतर में 129, सिंगापुर
में 115, ओमान में 113, बहरीन में 107 भारतीय कैदी अपनी रिहाई का इंतजार कर
रहे हैं। इसके अलावा जर्मनी में 59, फ्रांस में 48,श्रीलंका में 32,
दक्षिण अफ्रीका में 13, जापान में 07, डेनमार्क में 08, रूस में 6, केन्या
में 05, पुर्तगाल में 04 और मिस्त्र में 03 कैदी हैं। जबकि उजबेकिस्तान,
अर्मेनिया, फिजी, जॉर्जिया, हंग्री, माल्टा, नाइजर और सेनेगल के जेलों में
भी एक-एक भारतीय विदेशी सलाखों के पीछे हैं। पिछले साल की तुलना में पाक,
बांग्लादेश, श्रीलंका, सिंगापुर में भारतीय कैदियों की संख्या में कमी आई
है, लेकिन ज्यादातर खासरक खाड़ी देशों में तेजी के साथ यह संख्या बढ़ी है।
जबकि विदेशी जेलों में सजा काट रहे भारतीयों को छुड़ाने के लिए दूतावासों और
भारतीय विदेश मंत्रालय के चक्कर काटने को इसी उम्मीद के साथ मजबू है कि एक
दिन उनके अपने घर लौट आएंगे।
दरअसल
विदेश में पैसा कमाने की ललक में विदेश जाने वाले भारतीयों के काम करने की
प्रक्रिया इतनी कठिन है कि उसकी औपचारकिता पूरी कर पाने में ही लोग हथियार
डाल देते हैं। यूरोप और अमेरिका में काम के लिए वीजा पाना टेढ़ी खीर है,
लेकिन खाड़ी देशों में दक्षिण एशियाई देशों के लोगों को काम तो मिल जाता है।
ऐसे प्रवासी श्रमिकों पर मुसीबत का पहाड़ उस समय टूटता है जब वे किसी
इस्लामिक कानून के उल्लंघन में जकड़ जाते हैं। एक तो वहां का सख्त इस्लामिक
कानून और दूसरा गैर कानूनी तरीके से वहां काम करना या रहना कानून के
उल्लंघन का कारण बन जाता है। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है वहां की जेलों
में सुरक्षा से जुड़े कर्मियों में 54 लोग 1971 की जंग में पाकिस्तानी जेलों
में युद्धबंदी हैं। पाकिस्तान की जेलों में बंद ये भारतीय उन 172 मछुआरों
से अलग है जिन्हें फरवरी में ही पाक द्वारा रिहा किया गया है।
महिलाओं की ज्यादा दुर्दशा
हाल
ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आंध्र प्रदेश के एक मंत्री ने बताया
कि खाड़ी के देशों में घरेलू काम करने वाली आंध्र प्रदेश की महिलाएं वहां की
जेलों में जीवन बिताने को मजबूर हैं। इन महिलाओं ने या तो अपने बदमिजाज
मालिक की ज्यादती से तंग आकर या फिर इनके वीजा की अवधि समाप्त होने पर वापस
आने की कोशिश की थी। भारतीय महिलाओं की मदद के लिए केंद्र सरकार से गुहार
लगाई है। केंद्र सरकार को लिखे इस पत्र में यहां तक आरोप लगाया कि
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों की महिलाएं फुटकर दुकान के समान की
तरह बेची जा रहीं है। महिलाएं सऊदी अरब में चार लाख रुपये और बहरीन, यूएई व
कुवैत में एक लाख रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक में बेची जा रही है।
06June-2016
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