पटना में गंगा पर केंद्र खर्च करेगा 1742 करोड़ की राशि
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
बिहार
को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ने वाले गंगा नदी पर बने महात्मा गांधी सेतु के
क्षतिग्रस्त होते पुल का ढहाकर नया पुल बनाने की एक परियोजना को केंद्र
सरकार ने मंजूरी दी है, जो बिहार की लाइफ लाइन साबित होगी। मसलन नेपाल और
भूटान का कारोबार भी इसी संपर्क के माध्यम से होता आ रहा है।
दरअसल
बिहार की राजधानी पटना से हाजीपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर
गंगा नदी पर बने एक मात्र पुल के रूप में महात्मा गांधी सेतु पूरी तरह से
जर्जर हालत में है और इसके कारण लोगों को आये दिन घंटो यातायात जाम का
शिकार होना पड़ता है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता
में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बिहार के पटना में एनएच-19 पर
गंगा नदी के उपर बने 5.575 किलोमीटर लम्बे चार लेन वाले महात्मा गांधी सेतु
के पुनर्निर्माण संबंधी परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना पर
अनुमानित 1742.01 करोड़ रुपये की राशि भी मंजूर की गई है, जिससे इस
क्षतिग्रस्त पुल के ढांचे को ढहाया जाएगा और नई तकनीक के साथ नए पुल का
निर्माण होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस
परियोजना के बारे में बताया कि इस क्षतिग्रस्त ढांचे को ढहाने के बाद स्टील
ट्रस के साथ इसकी री-डैकिंग होगी, जिसके लिए यह परियोजना इंजीनियरिंग,खरीद
एवं निर्माण (ईपीसी) मोड में की जाएगी। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त से इस
पुल का निर्माण शुरू करके ढाई साल में पूरा कर लिया जाएगा। महात्मा गांधी
सेतु के समानांतर ही केंद्र सरकार छह हजार करोड़ रुपये की लागत से 40 मीटर
लंबा एक पुल और बना रहा है, जिसकी तीन माह में डीपीआर तैयार होकर निर्माण
कार्य शुरू हो जाएगा। वहीं इसी परियोयजना के तहत इस नेशनल हाइवे को चार लेन
का भी बनाने का भी प्रस्ताव है।
डेढ़ दशक में ली सुध
मंत्रालय
के अनुसार केंद्र सरकार की इस परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद राज्य में
पटना-हाजीपुर क्षेत्र को कवर करते हुए यह परियोजना यातायात, विशेषकर उत्तर
और दक्षिण बिहार के बीच चलने वाले भारी यातायात के समय और लागत में कमी
लाने के अलावा राज्य में बुनियादी ढांचे में सुधार की प्रक्रिया में तेजी
लाने का सबब बनेगी और महात्मा गांधी सेतु के पुनर्निर्माण से राज्य के इस
क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक स्थिति के उत्थान में भी सहायता मिलेगी। इस पुल
की समस्या के लिए पिछले डेढ़ दशक से बिहार के सांसद और जनता केंद्र सरकार से
नये पुल बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन मौजूदा मोदी सरकार ने बिहार
की लाइफ लाइन माने जाने वाले महात्मा गांधी सेतु की सुध ली है। इससे पहले
भी केंद्र सरकार बिहार में विकास संबन्धी अनेक योजनाओं के लिए 200 करोड का
पैकेज जारी कर चुकी है।
केंद्रीय
मंत्री गडकरी ने कहा कि पटना में गंगा नदी के ऊपर चार लेन वाले महात्मा
गांधी सेतु का निर्माण 1980 के दशक में बिहार की राज्य सरकार ने किया था।
बदहाल हालत में पहुंच चुका यह पुल उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच बहुत ही
महत्वपूर्ण कड़ी है और कई आर्थिक, सामाजिक के अलावा राजनीतिक गतिविधियों का
मार्ग भी है। वहीं नेपाल व भूटान के बीच व्यापार का भी यही मार्ग है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा काफी अध्ययन किए जाने बाद अब
यह तय किया गया कि इस पुल की मौजूदा संरचना में आमूल चूल परिवर्तन करने का
निर्णय लिया गया, जिसके लिए सरकार ने अध्ययन कराने के बाद डीपीआर तैयार
कराई है।
नीतिश को जवाबी संदेश
मोदी सरकार के
खिलाफ टिप्पणी करते आ रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस सडक
परियोजना को सिरे चढाकर शायद केंद्र सरकार ने करारा जवाब देकर यह संदेश
दिया है कि बिहार में चुनावी नतीजो से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वादे
नहीं बदलेंगे, क्योंकि राजग सरकार का मकसद पूरे देश के विकास और व्यवस्था
को बदलकर मजबूत करना है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि
प्रधानमंत्री ने बिहार को दो सौ करोड का पैकेज दिया था जिसके तहत राज्य में
विभिन्न क्षेत्रों की परियोजनाएं जारी हैं और ज्यादातर पूरी भी हो चुकी
हैं। ऐसे में बिहार राज्य से नाता रखने वाले केंद्रीय मंत्री रविशंकर
प्रसाद और रामविलास पासवान के अलावा राधामोहन सिंह ने बिहार के विकास के
लिए केंद्र सरकार की योजनाओं को बढावा देने की नीति को भेदभाव का आरोप
लगाने वालों के लिए करारा जवाब करार दिया है। वहीं इन नेताओं का कहना है कि
यदि बिहार में राजग की सरकार बनती तो बिहार की तस्वीर और तकदीर ही बदल
जाती।
23June-2016

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