यूपी, यूके व एमपी में भाजपा-कांग्रेस की अग्नि परीक्षा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
 के लिए सात राज्यों की 27 सीटों पर शनिवार को होने वाले चुनाव में लगभग 
सभी राजनीतिक दलों में बगावत के स्वर उठने से क्रास वोटिंग का खतरा बना हुआ
 है। इन चुनाव में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश 
में भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, जहां ये चुनाव इनके 
लिए अग्नि परीक्षा से कम नही हैं।
राज्यसभा के 15 राज्यों में 57
 सीटों में से आठ राज्यों में 30 सदस्य निर्विरोध निर्वाचित होने के साथ 
गुजरात के लिए एक सीट के उपचुनाव भी निर्विरोध होने के बाद अब बाकी बची सात
 राज्यों की 27 सीटों पर 11जून यानि शनिवार को मतदान होना है, जहां तय 
सीटों से ज्यादा उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इन 
चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा सियासी रणनीतियों का खेल चल रहा है, जहां भाजपा 
और कांग्रेस ने एक-दूसरे के राज्यसभा के रास्ते को रोकने के लिए जिस प्रकार
 की रणनीति बनाई है, उसमें भाजपा ने कांग्रेस के प्रत्याशी कपिल सिब्बल को 
रोकने के लिए निर्दलीय रूप से गुजरात की प्रिया महापत्रा को चुनावी मैदान 
में उतार दिया है। यूपी में रालोद ने कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देने का
 ऐलान करके भाजपा की बेचैनी तो बढ़ा दी है, लेकिन विधायकों में बगावत के 
स्वर उठ रहे है, जिसमें कांग्रेस और सपा ने रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह 
को राज्यसभा चुनाव के लिए कोई तरजीह नहीं दी। इसी प्रकार कांग्रेस के कुछ 
विधायकों में भी पार्टी के प्रति नाराजगी होने की चर्चा है, जो बाहरी 
उम्मीदवार के रूप में कपिल सिब्बल को लेकर बगावती तेवरों में हैं। वहीं सपा
 के सातवें प्रत्याशी के लिए कम हो रही वोटों को लेकर सपा में भी बेचैनी 
है। चर्चा तो ऐसी भी हैं कि चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही तमाम बड़े 
दलों और उनके प्रत्याशियों द्वारा अपनी जीत निश्चित करने के लिये वोट खरीदे
 जाने की सुगबुगाहट ने छोटे−छोटे दलों में टूट की संभावनाएं बरकरार हैं। 
बसपा ने भी अपने दो प्रत्याशियों को जिताने के बाद बचने वाले 12 वोटों के 
समर्थन हेतु कोई पत्ते न खोलने से चुनाव दिलचस्प बना हुआ है। ऐसी ही स्थिति
 उत्तराखंड में हैं, जहां भाजपा समर्थित दो प्रत्याशियों ने कांग्रेस 
प्रत्याशी प्रदीप टमटा के लिए परेशानी पैदा कर दी है। इसी तर्ज पर भाजपा की
 रणनीति मध्य प्रदेश की तीन सीटों पर कांग्रेस को रोकने के लिए मुहं बाए 
खड़ी है, जिसे लेकर कांगे्रस की बेचैनी स्वाभाविक है। राजस्थान में कांग्रेस
 की रणनीति के तहत मुरारका और झारखंड में भाजपा समर्थिक एक प्रत्याशी के 
कारण चुनाव किस करवट बैठेगा इसका परिणाम के बाद ही पता चल सकेगा। जबकि 
कर्नाटक में कांग्रेस की रणनीति का खुलासा एक स्टिंग से ही हो गया है।
10June-2016 

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