गुरुवार, 30 जून 2016

अब दिन-रात खुली रह सकेंगी दुकानें व शॉपिंग मॉल्स!

सरकार ने दी एक मॉडल कानून को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
देश में दुकानों, शापिंग मॉल व अन्य प्रतिष्ठानों को पूरे साल लगातार खुला रखने की अनुमति देने के इरादे से केंद्र सरकार ने एक ‘द मॉडल शाप्स एंड इस्टेबलिशमेंट’ (रेग्यूलेशन आफ इंप्लायमेंट एंड कंडीशन आफ सर्विसेज) विधेयक को मंजूरी दी है, जिसकी संसदसे मंजूरी लेना जरूरी नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में देश में दुकानों, शापिंग मॉल व अन्य प्रतिष्ठानों को साल के 365 दिन खुला रखने की अनुमति देने वाले एक मॉडल कानून को मंजूरी दी गई है। इस कानून से इन प्रतिष्ठानों को अपनी सुविधा के अनुसार कामकाज करने यानी खोलने व बंद करने का समय तय करने की सुविधा मिलेगी। इस कानून के दायरे में विनिर्माण इकाइयों के अलावा वे सभी प्रतिष्ठान आएंगे, जिनमें 10 या अधिक कर्मचारी हैं पर यह विनिर्माण इकाइयों पर लागू नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार इस कानून में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ महिलाओं को रात्रिकालीन पारी में काम पर लगाने की छूट तथा पेयजल, कैंटीन, प्राथमिक चिकित्सा व क्रेच जैसी सुविधाओं के साथ कार्य स्थल का अच्छा वातावरण रखने का प्रावधन किया गया है। सूत्रों के अनुसार इस माडल कानून के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि श्रम मंत्रालय द्वारा रखे गए प्रस्ताव के तहत राज्य अपनी जरूरत के हिसाब से संशोधन करते हुए इस कानून को अपना सकते हैं।

कानून का मकसद
देश में इस कानून का उद्देश्य अतिरिक्त रोजगार सृजित करना है, क्योंकि दुकानों व प्रतिष्ठानों के पास ज्यादा समय तक खुले रहने की आजादी होगी, जिसके लिए अधिक श्रमबल की जरूरत पड़ेगी। यह कानून आईटी व जैव प्रौद्योगिकी जैसे उच्च दक्ष कर्मचारियों के लिए दैनिक कामकाजी घंटों (नौ घंटे) तथा साप्ताहिक कामकाजी घंटों (48 घंटे) में भी छूट देता है। इस कानून को विधाई प्रावधानों में समानता लाने के लिए डिजाइन किया गया है जिससे सभी राज्यों के लिए इसे अंगीकार करना आसान होगा और देश भर में समान कामकाजी माहौल सुनिश्चित होगा।
ये संस्थान दायरे से बाहर
इस कानून के लागू होने के बाद सभी रेस्टोरेंट, लोकल मार्किट, मॉल्स और दुकानें 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन खोली जा सकेंगी। वो सभी यूनिट्स जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, इस कानून के अंतर्गत आएंगे। हालांकि सरकारी आॅफिस,बैंक्स, इंश्योरेंस कम्पनियां और फैक्ट्री एक्ट-1948 के तहत काम करने वाली फैक्ट्रियां इस कानून के दायरे से बहार रहेंगें।
30June-2016

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