शनिवार, 4 जून 2016

संसद में जल्द आएगा जल कानून!

देश में जल की चुनौती से निपटने की तैयारी
सरकार ने तैयार किया विधेयक का मसौदा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने देश में जल संकट और सूखे की समस्या से निपटने के लिए जल संरक्षा, सुरक्षा, विनियमन और प्रबंधन के लिए कानून बनाने की कवायद को तेज कर दिया है, जिसके लिए राष्ट्रीय जल विधेयक का मसौदा तैयार लिया है। सरकार का प्रयास है कि इस विधेयक को आगामी मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश करके पारित कराया जाये।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार इस कानूनी विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए भूजल के संरक्षण, सुरक्षा, विनियमन और प्रबंधन के संबन्ध में विशेषज्ञों, जल क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों और आम लोगों के सुझाव आमंत्रित किये हैं। मंत्रालय ने विधेयक के मसौदे के प्रारूप को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की वेबसाइट भी अपलोड़ कर दिया है, जिसके लिए आॅनलाइन सुझाव भी दिये जा सकते हैं। मंत्रालय के अनुसार यह मसौदा राष्ट्रीय जल प्रारूप विधेयक जीवन के लिए अत्यावश्यक एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन के रूप में जल के संरक्षण, सुरक्षा, विनियमन और प्रबंधन के सिद्धांतों के आधार पर एक व्यापक राष्ट्रीय कानूनी रूपरेखा प्रदान करेगा। इसके तहत शासन के सभी स्तरों पर जल पर कानून और कार्यकारी की जा सकती है। इस मसौदे को अंतिम रूप देकर सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में एक विधेयक के रूप में संसद में पेश करके इसे पारित कराने का प्रयास करेगी। इसीलिए मंत्रालय ने इस कानूनी मसौदे पर व्यक्तिगत तौर पर विशेषज्ञों, संगठनों,संस्थानों से अपनी टिप्पणी,सुझावों और विचारों को 25 जून तक भेजने का आग्रह किया है।
ऐसा हो सकता है कानून
जल संसाधन निदेशक शशि शेखर के मुताबिक सरकार भूजल उपयोग के नियमों में सुधार करने के प्रयास किये जा रहे थे और एक कानूनी विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि जल संसाधानों का प्रबंधन राज्य के अधीन होता है। लेकिन केंद्र इस मॉडल कानून का फ्रेमवर्क बनाकर राज्यों को सौंपेगा। जिन इलाकों को पानी की कमी के चलते 'डार्क जोन' घोषित किया गया है, वहां पानी के उपयोग पर सीमा तय करने का भी प्रावधान किया गया है। दरअसल डार्क जोन वे इलाके हैं जहां भूजल की जितनी तेजी से खपत हो रही है, उतनी तेजी से उसका संग्रहण नहीं हो रहा। डार्क जोन में कुएं की खुदाई और इलेक्ट्रिक पंपों को रेग्युलेट करने की व्यवस्था की जा सकेगी। मसौदे में बदले नियमों के मुताबिक पानी संबन्धी हालत खराब होने पर उसके उपयोग को प्रतिबंधित करने का भी प्रावधान होगा। पेयजल का 85 फीसदी हिस्सा भूजल से ही प्राप्त होता है, इसलिए नए कानून में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे।
एकीकृत दृष्टिकोण पर फोकस
मंत्रालय के अनुसार विधेयक का यह मसौदा भूजल मॉडल विधेयक एकीकृत दृष्टिकोण में अनुषांगिक, समान वितरण के सिद्धांतों पर आधारित है। राष्ट्र को भूजल के लिए एक सार्वजनिक ट्रस्टी के तौर पर कार्य करना चाहिए, इसके लिए भी प्रावधान किये हैं। वहीं भूजल संरक्षित, रक्षित, विनियमित और प्रबंधित जल का प्रबंधन समान निकाय संसाधन के रूप में करना सुनिश्चित कर सके, इसके लिए भी कानूनी प्रावधान किये गये हैं।
ऐसे होगा वाटर मैनेजमेंट
मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय जल विधेयक के साथ ही केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में जल प्रबंधन शुरू किया जाएगा। किसानों को ज्यादा पानी खाने वाली फसल उगाने से दूर कर कम पानी वाली फसलों के बारे में जागरूक करना होगा। वहीं इस नए कानून में पूरे देश में पानी के समान उपयोग पर विचार किया जा रहा है। उम्मीद है कि इसी साल मानसून सत्र में इस विधेयक को पारित कराने के लिए उससे पहले कैबिनेट की मंजूरी ले ली जाएगी।
04June-2016


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