सोमवार, 20 जून 2016

कांग्रेस के बगैर पास हो जाएगा जीएसटी बिल!

सरकार की ताकत में वामदलों का भी मिला साथ
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राज्यसभा में लंबित वस्तु एवं सेवाकर से संबन्धित जीएसटी विधेयक को समर्थन देने का ऐलान करके वामदलों ने मोदी सरकार के सामने उच्च सदन में इस बिल को पारित कराने की राह आसान कर दी है। वहीं जब ज्यादातर राज्यों का भी सरकार को इस मुद्दे पर समर्थन मिल रहा है तो ऐसे में लगातार जीएसटी पास कराने में अडंगे लगाती आ रही कांग्रेस के अलग-थलग पड़ने की नौबत आ गई है।
राज्यसभा की 58 सीटों पर इसी माह हुए चुनाव से उच्च सदन की बदली तस्वीर में राजग सरकार की ताकत बढ़ी है, तो वहीं राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकारप्राप्त समिति में भी ज्यादातर राज्यों ने जीएसटी पर आमसहमति बनाकर सरकार की राह को आगे बढ़ाया है। ऐसी स्थिति में उच्च सदन में बदली दलगत तस्वीर के धुंधलेपन को वामदलों ने समर्थन देने का ऐलान करके और भी साफ कर दिया है, उस सदन में वामदलों के नौ सदस्य हैं। मसलन अब मोदी सरकार राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी विधेयक को पास कराने की स्थिति में मजबूत होती जा रही है। राज्यसभा में हाल के चुनावी नतीजों के बाद संख्याबल में यूपीए को पीछे धकेल चुके राजग सरकार को जीएसटी पर अब विपक्षी दलों का समर्थन मिलने का सिलसिला शुरू हो चुका है। आगामी मानसून सत्र में इस विधेयक को प्राथमिकता के साथ पारित कराने की तैयारी में जुटी मोदी सरकार ने हर पहलुओं के साथ तैयारियां शुरू कर दी है, जिसमें सरकार हर राजनीतिक दल से बातचीत कर रहा है। इसी तैयारी का नतीजा है कि वामदलों के जीएसटी के समर्थन करने का ऐलान करके इस मुद्दे पर सरकार की ताकत में इजाफा कर दिया है। ऐसे में हालांकि कांग्रेस सशर्त समर्थन करने की बात कर रही है,लेकिन यदि सरकार ने उसकी शर्ते भी न मानी तो ऐसे में उच्च सदन में जीएसटी पर कांग्रेस अलग-थलग नजर पड़ती नजर आएगी।
दो-तिहाई बहुमत जरूरी
राज्यसभा की 58 सीटों के चुनाव के बाद उच्च सदन में सत्तारूढ राजग सबसे बड़ा गठबंधन बन चुका है। मसलन 245 सदस्य वाले ऊपरी सदन में संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण जीएसटी को पारित कराने के लिए मतदान के समय सरकार को दो तिहाई यानी 164 सदस्यों का समर्थन चाहिए। यह जब है जब सदन में सभी सदस्य उपस्थित रहे। हालांकि नियम के अनुसार संविधान संशोधन बिल को पारित कराने के लिए सदन में आधे यानि कम से कम 123 की सदस्यों की सदन में उपस्थिति भी जरूरी है। मसलन सदन में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई मतों से यह बिल पारित हो जाएगा। राजग की संख्या 81 तक पहुंच गई है तो वहीं दूसरी ओर जीएसटी के समर्थन करने वाले दलों में 19 सपा, 12 तृणमूल कांग्रेस, 10 जदयू, 8 बीजद, छह बसपा, पांच राकांपा, तीन टीआरएस के कुल 63 सदस्यों के अलावा अन्नाद्रमुक के 13 सदस्यों का समर्थन लेने के लिए सरकार जयललिता की आपत्तियों को दूर करने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा करीब 90 अन्य क्षेत्रीय दलों व निर्दलीयों का रूख भी जीएसटी के पक्ष में बदलता नजर आ रहा है। सूत्रों के अनुसार राजद, द्रमुक, इनेलो, झामुमो, केरल कांगेस, जद-एस व वाईएसआर कांग्रेस भी इस मुद्दे पर नरम रूख अपना रही है। यदि इस समर्थन को पाने में सरकार सफल रही तो यह आंकडा करीब 179 का होता है यानि दो-तिहाई से भी ज्यादा। ऐसे में सरकार के जारी प्रयास से कांग्रेस के बिना भी सरकार जीएसटी को पारित कराने की स्थिति में पहुंचने लगी है।
मनोनीत सदस्य भी करेंगे वोटिंग
राज्यसभा सूत्रों के अनुसार संविधान संशोधन में मनोनीत सदस्य भी वोट का अधिकार है, जिसमें नौ मनोनीत में सात सरकार और दो सचिन तेंदुलकर व रेखा गणेशन कांग्रेस के साथ रह सकते हैं। हालांकि मनोनीत सदस्यों को ऐसे मामलों में समर्थन के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
इसलिए है विरोध
राज्यसभा में जीएसटी का विरोध करने वाले दलों की बात करें तो कांग्रेस जीएसटी दरों को संविधान का हिस्सा बनाने की मांग पर अड़ी है, जबकि भाजपा समेत ज्यादातर दल इस मांग से सहमत नहीं हैं। हालांकि सरकार ने कांग्रेस की दो अन्य मांगों पर विचार करने का भरोसा दिया है, जिसमें एक फीसदी का प्रवेश कर खत्म करे और विवाद निपटाने के लिए बनाई गई समिति को अधिक अधिकार देने की बात है। यदि इन पर सहमति बनी तो कांग्रेस भी समर्थन देकर अलग-थलग पड़ने से बच सकती है।
20June-2016


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