सोमवार, 13 जून 2016

राज्यसभा: बदली तस्वीर ने खोला जीएसटी का रास्ता!

भाजपा की बढ़ी ताकत से कांग्रेस की वीटो पॉवर खत्म
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राज्यसभा की 58 सीटों के चुनावी नतीजों सके उच्च सदन में दलीय गणित की ताजा तस्वीर में भाजपा ने राजग की ताकत बढ़ने से विपक्षी संप्रग के आंकड़े को पार कर लिया है। इस वजह से अब कांग्रेस की अडंगेबाजी के कारण अधर में लटके जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने का रास्ता कुछ हद तक साफ नजर आने लगा है। हालांकि सरकार को सदन में छोटे दलों पर निर्भर रहना पड़ सकता है।
उच्च सदन में विपक्ष के सामने कमजोर पड़ रही भाजपानीत राजग सरकार को हाल ही में 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव और गुजरात की एक सीट पर हुए उप चुनाव के नतीजों ने एक नई ताकत दी है। कांग्रेस के नुकसान और अपने फायदे के बावजूद भाजपा कांग्रेस के आंकड़े को तो पार नहीं कर पायी, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के आंकडे से अपने राजग के आंकड़े को आगे कर दिया है। इसका फायदा राजग सरकार को राज्यसभा में जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण बिलों को पारित कराने में मिलने की संभावना है। हालांकि जीएसटी जैसे संशोधन विधेयकों के लिए जरूरी दो तिहाई आंकडे से बहुत पीछे है, जिसके लिए मोदी सरकार को सदन में क्षेत्रीय व छोटे दलों के समर्थन लेने की जरूरत पड़ेगी, जिनकी संख्या 89 है। यह जरूर है कि उच्च सदन में भाजपा कांग्रेस की वीटो पॉवर खत्म करने में एक कदम आगे बढ़ गई है। राज्यसभा चुनाव के बाद 245 सदस्यीय उच्च सदन में राजग के पांच सदस्यों का इजाफा होने के बाद यह आंकड़ा अब 74 हो गया है, जबकि यूपीए में कांग्रेस की पांच सीटों के नुकसान के बाद राजद की दो सीटे बढ़ी, लेकिन तीन सदस्यों की गिरावट के बाद कांग्रेसनीत यूपीए 71 सीट पर सिमट गया है। इसके बावजूद भाजपानीत राजग में उसकी खुद की संख्या 56 में तेदपा, शिवसेना, अकाली दल, पीडीपी, आरपीआई के 18 सदस्य शामिल है। जबकि सदन में मनोनीत सात सदस्यों का भी भाजपा के साथ रहना स्वाभाविक है। इसके अलावा सदन में पांच निर्दलीय सदस्यों का सहारा भी मिल सकता है।
इन दलों के समर्थन की भी उम्मीद
राज्यसभा में पिछले दिनों जीएसटी विधेयक को पारित कराने के पक्ष वाले विपक्षी दलों में तृणमूल कांग्रेस के अलावा बीजद, राकांपा,सपा व जदयू भी शामिल रहे हैं, जिनकी सदन में संख्या 52 है। इसके अलावा इस बिल पर भाजपा को अब ममता बनर्जी और जयललिता के अलावा बसपा की मायावती का साथ भी मिलने के आसार है, जिनकी उच्च सदन में सदस्यों की संख्या 31 है। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद जीएसटी पर ऐसे संकेत दे चुकी है, जिसके सदन में 12 सदस्य हैं। जबकि 13 सदस्यों वाली जयललिता की अन्नाद्रमुक और छह सदस्यों वाली मायावती की बसपा को लेकर जो कयास लगाए जा रहे हैं वह सीधेतौर पर सरकार का समर्थन न करके वोटिंग के समय सदन से वाकआउट कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में ऐसी संभावना प्रबल होती नजर आ रही है कि सरकार के सामने जीएसटी विधेयक को पारित कराने का रास्ता खुल गया है।
जीएसीटी पर क्या है मुश्किल
लोकसभा में पारित हो चुके जीएसटी विधेयक को केंद्र सरकार के लिए राज्यसभा में बिना विपक्ष की मदद पारित कराने में मुश्किलें इसलिए हैं कि संविधान संशोधन होने की वजह से सरकार को दो तिहाई बहुमत की जरूरत है, जिसके लिए उसके पास आंकड़ा जुटाना इतना आसान नहीं है, लेकिन कुछ ताकत बढ़ने से सरकार का प्रयास है कि इसे अंजाम तक पहुंचाया जाए, जिसके लिए सरकार विपक्षी दलों को विश्वास में लेने में पीछे नहीं रहेगी। सरकार इस साल एक अप्रैल से जीएसटी लागू करना चाहती थी, लेकिन इसके सिरे न चढ़ने के कारण राज्यसभा में अटका हुआ है। अब सरकार का प्रयास अप्रैल 2017 में देश में जीएसटी लागू करने का है।
क्या है जीएसटी
केंद्र सरकार ने गुड टैक्स सर्विस यानि जीएसटी बिल में जो प्रावधान किये हैं उसके तहत अलग-अलग टैक्स खत्म कर उनकी जगह एक ही टैक्स प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव है। मसलन देश में जीएसटी लागू होते ही सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज, लग्जरी,एंटरटेंनमेंट, वैट जैसे अलग-अलग सेंट्रल और लोकल टैक्स खत्म हो जाएंगे। यानि पूरे देश में एक सामान पर लगभग एक जैसा ही टैक्स लग जाएगा। वहीं इसके लागू होने के बाद टैक्स का बराबर हिस्सा केंद्र और राज्यों को भी मिलेगा। ऐसे प्रावधानों को लेकर ज्यादातर राज्यों से भी मोदी सरकार समर्थन हासिल कर चुकी है। 
जीएसटी से क्या फायदा होगा?
देशभर में आज एक ही चीज अलग-अलग राज्य में अलग-अलग दाम पर बिकती है। इसकी वजह है कि अलग-अलग राज्यों में उसपर लगने वाले टैक्सों की संख्या और दर अलग-अलग होती है। अब ये नहीं होगा। हर चीज पर जहां उसका निर्माण हो रहा है,वहीं जीएसटी वसूल लिया जाएगा और उसके बाद उसके लिए आगे कोई चुंगी पर, बिक्री पर या अन्य कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। इससे पूरे देश में वो चीज एक ही दाम पर मिलेगी। कई राज्यों में टैक्स की दर बहुत ज्यादा है। ऐसे राज्यों में वो चीजें सस्ती होंगी।
13June-2016


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