मंगलवार, 28 जनवरी 2020

नगरोटा की महिलाओं के खादी रुमालों की सिलाई मजदूरी बढ़ी


केंद्र ने महिला कारीगरों की आय बढ़ाने के मकसद से दी मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में आतंकवाद प्रभावित महिलाओं द्वारा नगरोटा में तैयार किये जा रहे ‘खादी रुमालकी बिक्री शुरू कराने के बाद अब खादी को बढ़ावा देने के साथ इन महिला कारीगरों की आय बढ़ोतरी के मकसद से अब दो रुपये से बढ़ाकर तीन रुपये प्रति रुमाल मजदूरी को मंजूरी दी है।
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी के पिछले महीने 17 दिसंबर को जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से प्रभावित महिलाओं द्वारा तैयार खादी रुमालकी बिक्री शुरू करने के दौरान सामने आए सुझावों के बाद इन रुमालो की सिलाई के लिए महिलाओं को प्रति रुमाल मिलने वाले दो रुपये के बजाए अब तीन रुपये देने का निर्णय लिया है। मंत्रालय के इस निर्णय के बाद खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष वीके सक्सेना ने शुक्रवार को प्रति रुमाल मजदूरी दो से बढ़ाकर तीन रुपये करने को मंजूरी दी है, जो एक जनवरी 2020 से लागू मानी जाएगी। मंत्रालय के अनुसार जम्मू-कश्मीर के नगरोटा केंद्र में हर महिला कारीगर रोजाना 4 घंटे काम करती हुई 85-90 रुमालें तैयार कर लेती हैं जिससे लगभग 170-200 रुपये कमाई हो जाती है। अब संशोधित मजदूरी के साथ प्रत्येक महिला लगभग 250-300 रुपये कमा सकेंगी, जिसके कारण अब उनकी आय में लगभग 50 फीसदी की वृद्धि है। मंत्रालय ने बताया कि गत 17 दिसंबर 2019 को इन रुमालों की केंद्रीय मंत्री द्वारा शुरू की गई बिक्री के बाद अब तक केवीआईसी ने लगभग 30 हजार खादी रुमाल बेचे हैं। केवीआईसी ने स्थानीय महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए नगरोटा में केंद्र स्थापित किया है।
प्रतिदिन 10 हजार रुमालों का उत्पादन
केवीआईसी के अध्यक्ष श्री वीके सक्सेना ने शुक्रवार को इन रुमालों की सिलाई की मजदूरी बढ़ाने के लिए दी गई मंजूरी के बाद कहा कि राष्ट्र-निर्माण की दिशा में जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में इस प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई, ताकि 'खादी रुमाल' को बढ़ावा देने और जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों के परिवारों की आमदनी के लिए योगदान किया जा सके। अभी इस सिलाई केंद्र की क्षमता 130 महिला कारीगरों की मदद से प्रतिदिन 10 हजार ‘खादी रुमालतैयार किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी इस केंद्र में 130 महिलाओं को रोजगार देने की क्षमता है और जैसे-जैसे खादी रुमाल की बिक्री बढ़ेगी, हम इस क्षेत्र की 4000 महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस केंद्र से जोड़ेंगे। शुद्ध कपास से बनी सफेद खादी रुमाल देश में विभिन्न खादी बिक्री केंद्रों पर बेची जा रही हैं। इन रुमालों की पहुंच और उपलब्धता बढ़ाने के लिए पेटीएम ने अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए दो करोड़ खादी रुमालें बेचने पर सहमति जताई है।
पांच करोड़ रुमालों की बिक्री का लक्ष्य
देश में खादी को प्रोत्साहन देने की दिशा में की जा रही पहल पर सक्सेना ने कहा कि मौजूदा वर्ष 2020 तक 5 करोड़ खादी रुमाल बेचने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि 5 करोड़ खादी रुमाल बनाने के लिए लगभग 15 लाख किलोग्राम कपास की खपत होगी और इसकी कताई लिए 25 लाख मानव कार्य दिवस, बुनाई के लिए 12.5 लाख मानव कार्य दिवस और कटाई, सिलाई और पैकेजिंग के लिए लगभग 7.5 लाख मानव कार्य दिवस की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार आजीविका के लिए 44 लाख मानव कार्य दिवस का सृजन होगा और विभिन्न कारीगरों में 88 करोड़ रुपये की मजदूरी बांटी जाएगी। उन्होंने कहा कि बाजार में ब्रांडेड रुमाल की कीमत लगभग 100-200 रुपये प्रति रुमाल है, जबकि बढ़िया क्वालिटी की खादी रुमाल की कीमत महज 50 रुपये है। 
18Jan-2020
 




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