केंद्र
ने महिला कारीगरों की आय बढ़ाने के मकसद से दी मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
जम्मू-कश्मीर
में धारा 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में आतंकवाद प्रभावित महिलाओं
द्वारा नगरोटा में तैयार किये जा रहे ‘खादी रुमाल’ की बिक्री शुरू कराने के बाद अब खादी को बढ़ावा देने के साथ इन महिला कारीगरों
की आय बढ़ोतरी के मकसद से अब दो रुपये से बढ़ाकर तीन रुपये प्रति रुमाल मजदूरी को
मंजूरी दी है।


प्रतिदिन 10 हजार रुमालों का उत्पादन
केवीआईसी के अध्यक्ष श्री वीके सक्सेना ने शुक्रवार को इन रुमालों
की सिलाई की मजदूरी बढ़ाने के लिए दी गई मंजूरी के बाद कहा कि राष्ट्र-निर्माण
की दिशा में जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में इस प्रशिक्षण केंद्र
की स्थापना की गई, ताकि 'खादी रुमाल' को बढ़ावा देने और जम्मू-कश्मीर
के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों के परिवारों की आमदनी के लिए योगदान
किया जा सके। अभी इस सिलाई केंद्र की क्षमता 130 महिला कारीगरों की मदद से प्रतिदिन 10 हजार ‘खादी रुमाल’ तैयार किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी इस केंद्र में 130 महिलाओं को रोजगार
देने की
क्षमता है और जैसे-जैसे खादी रुमाल की बिक्री बढ़ेगी, हम इस क्षेत्र की 4000 महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस केंद्र
से जोड़ेंगे। शुद्ध कपास से बनी सफेद खादी रुमाल देश में विभिन्न खादी बिक्री केंद्रों
पर बेची जा रही हैं। इन रुमालों की पहुंच और उपलब्धता बढ़ाने के लिए पेटीएम ने अपने
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए दो करोड़ खादी रुमालें बेचने पर सहमति जताई है।
पांच करोड़ रुमालों की बिक्री का लक्ष्य
देश में खादी को प्रोत्साहन देने की दिशा में की जा रही पहल
पर सक्सेना ने कहा कि मौजूदा वर्ष 2020 तक 5 करोड़ खादी रुमाल
बेचने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि 5 करोड़ खादी रुमाल
बनाने के लिए लगभग 15 लाख किलोग्राम
कपास की खपत होगी और इसकी कताई लिए 25 लाख मानव कार्य
दिवस, बुनाई के लिए 12.5 लाख मानव कार्य दिवस और कटाई, सिलाई और पैकेजिंग के लिए लगभग 7.5 लाख मानव कार्य दिवस की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने
कहा कि इस प्रकार आजीविका के लिए 44 लाख मानव कार्य
दिवस का सृजन होगा और विभिन्न कारीगरों में 88 करोड़ रुपये की
मजदूरी बांटी जाएगी। उन्होंने कहा कि बाजार में ब्रांडेड रुमाल की कीमत लगभग
100-200 रुपये प्रति रुमाल
है, जबकि बढ़िया क्वालिटी की खादी रुमाल की कीमत महज 50 रुपये है।
18Jan-2020
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