रविवार, 5 जनवरी 2020

राग दरबार: शिवसेना का सत्ता की खतिर बदली विचारधरा


विचारधारा में बदलाव
देश में सत्ता की खातिर सियासी दल की विचारधारा कब करवट लेगी, इसका अंदाजा महाराष्ट्र की सियासत में सत्तासीन हुई शिवसेना की बदली-बदली विचारधारा से किया गया समझौता सार्वजनिक है। दरअसल शिवसेना का जन्म एक कट्टरवादी हिंदू विचारधारा के साथ हुआ था, लेकिन पिछले दिनों इस विचारधारा को ताक पर रखते हुए शिवसेना प्रमुख विपरीत विचारधारा वाले दलों खासकर कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो गये। इसे कुछ यूं भी कहा जा सकता है कि शिवसेना केवल भगवा होने का दिखावा करती रही और मौका मिलते ही सत्ता की भोगी बन गई। यही नहीं कुर्सी के लिए शिवसेना की विचारधारा यहां तक बदल गई कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की हिमायती रहने के बावजूद इस कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरी जमात-ए-इस्लामी के साथ शिवसेना ने हाथ मिला लिया है और सीएए और एनआरसी के खिलाफ मुंबई में हुए एक कार्यक्रम में शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत भी शामिल हुए। इसीलिए एक केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता शिवसेना का राज्य में सरकार बनाने के लिए किया गया समझौता न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर कम और कांग्रेस व एनसीपी की विचारधाराओं से अधिक हुआ है। सियासी गलियारों में हो रही चर्चा पर गौर किया जाए तो संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में लोकसभा में वोटिंग और राज्यसभा में वाकआउट करके समर्थन किया था। जबकि सत्ता पर काबिज रहने की नीयत से कांग्रेस-एनसीपी के दबाव में अब शिवसेना प्रमुख और सीएम ठाकरे यह कहते नजर आ रहे हैं कि महाराष्ट्र में एनआरसी को लागू नहीं किया जाएगा। ऐसे बयानों के बाद यह कहने में किसी को अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कुर्सी की खातिर शिवसेना ने अपनी विचारधारा से समझौता किया है?
वन मैन शो की सियासत
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और सभी सियासी दल चुनाव की रणनीति का तानाबाना बुनने में मुखर हो रहे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने फोटो के साथ बैनर और पोस्टरों से दिल्ली की गली, सड़कों तक ही नहीं, मैट्रो स्टेशनों पर पिछले पांच साल में दिल्लीवासियों के लिए ऐतिहासिक काम करने का प्रचार की रफ्तार को तेज किया हुआ है। सबसे बड़ी बात है कि दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप संयोजक केजरीवाल केंद्र सरकार की विकास संबन्धी योजनाओं के कार्यान्वयन को भी अपने कामकाज में शामिल करने से नहीं हिचकिचा रहे हैं, बल्कि उल्टे केंद्र सरकार और भाजपा पर दिल्ली के लोगों को धोखा देने तक के आरोप लगाकर दनादन सभाएं कर रहे हैं। राजनीतिकारों की माने तो किसी भी प्रचार होर्डिंग या बैनरों पर सीएम केजरीवाल के अलावा किसी अन्य मंत्री या नेता को फोटो प्रकाशित करने की इजाजत नहीं है यानि चुनाव में फिर सत्ता पाने की चाह में खुद को वन मैन शो बने हुए हैं। सोशल मीडिया पर हो रही टिप्पणियों में यहां तक कहा जा रहा है कि दिल्ली वालों को केजरीवाल मुफ्तखोरी का आदि बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें चुनावी रणनिति के तहत फ्री में बिजली व पानी और सीवर कनेक्शन देने का ऐलान करके नई-नई लुभावनी घोषणाएं करने में मशगूल है, जबकि छह माह पहले केंद्र सरकार पर यही आरोप लगाते रहे, कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रही है, तो अब वह किस आधार पर सरकार का खजाना खोलते जा रहे हैं, जो चुनावी रणनीति के अलावा और कुछ नहीं है।
05Jan-2020

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