गृह मंत्रालय ने राज्यों के साथ की बैठक करके प्रक्रिया पर
की चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
गृहमंत्रालय
द्वारा बुलाई गई भारत की जणगणना 2021 के लिए और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर चर्चा के लिए
शुक्रवार को हुई बैठक में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, लेकिन
पश्चिम बंगाल ने पहले ही किये गये ऐलान के अनुसार इस बैठक का बहिष्कार किया।
केंद्रीय
कैबिनेट द्वारा एनपीआर को मंजूरी देने के साथ ही विपक्षी दलों ने इसका विरोध करना
शुरू कर दिया था। भारत की जनगणना-2021 के लिए गृहमंत्रालय ने इसके लिए सभी राज्यों
को जैसे ही अधिसूचना जारी की तो पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों ने इसका विरोध करते
हुए राजनीति शुरू कर दी। इसी कारण एनपीआर की प्रक्रिया पर चर्चा करने के लिए
गृहमंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में शुक्रवार को केंद्रीय
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में सभी राज्यों के मुख्य
सचिवों और जनगणना निदेशकों की बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय गृह
सचिव एके भल्ला भी मौजूद थे। इस बैठक में सीएए के विरोध में सुप्रीम कोर्ट
का दरवाजा खटखटाने के अलावा एनपीआर को अपने राज्य में लागू करने से इंकार करने
वाले केरल के प्रतिनिधियों ने अन्य सभी राज्यों के साथ हिस्सा लिया, लेकिन पश्चिम
बंगाल सरकार ने इस बैठक में अपना प्रतिनिधि न भेजकर बहिष्कार किया। सूत्रों के
अनुसार इस बैठक में आगामी 2021 की जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) पर चर्चा की गई।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस
बैठक में शामिल न होने के लिए पश्चिम बंगाल ने गृह मंत्रालय को
पहले ही लिखित में सूचित कर दिया था कि आगामी जनगणना
और एनपीआर पर चर्चा के लिए शुक्रवार को बुलाई जा रही बैठक में वह हिस्सा नहीं लेगा। इस बैठक में राज्यों
के अधिकारियों को बताया गया है कि देश के नागरिकों
का एक विस्तृत डाटा बेस तैयार किया जाएगा। इसमें जन सांख्यिकी और बायोमीट्रिक दोनों
तरह के आंकड़े जमा होंगे।
तौर तरीकों पर हुई चर्चा
गृहमंत्रालय
के अनुसार इस बैठक में आगामी एक अप्रैल से शुरू होकर 30 सितंबर 2020 तक होने वाली जनगणना और एनपीआर प्रक्रिया
के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई, जिसमें गृहमंत्रालय ने
राज्यों के अधिकारियों से अपने
अपने राज्यों में वरिष्ठ अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और अभ्यास के
सुचारू संचालन के लिए उनके सहयोग की अपेक्षा की है और इसके लिए तैयारियां
शुरू करने को कहा है। मंत्रालय ने एनपीआर पर राज्य प्रतिनिधियों से सुझाव
भी मांगे और भरोसा दिया कि इस प्रक्रिया में केंद्र सरकार राज्यों की
हरसंभव मदद करेगी। गृहमंत्रालय ने राज्यों के प्रतिनिधियों के रूप में आए
अधिकारियों से इस प्रक्रिया के लिए जनगणना अधिकारियों, प्रभारी, जिला अधिकारियों और उप-विभागीय स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति, प्रशिक्षण जैसे मुद्दो पर चर्चा करते हुए तैयारियों
को अंजाम देने को कहा है, ताकि इस प्रक्रिया को समय से पूरा किया जा सके। सूत्रों के अनुसार लोगों से ली जाने वाली जानकारियों
से संबंधित दस्तावेजों की जांच नहीं की जाएगी, लेकिन आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस होने पर इनकी जानकारी एकत्र की जानी है।
जनगणना में मांगी जाएगी ज्यादा जानकारियां
सूत्रों के अनुसार जनगणना के लिए एनपीआर प्रक्रिया में देश
के लोगों से मकान नंबर,
जनगणना
मकान नंबर, मकान के फर्श, दीवार और छत में उपयोग सामग्री, मकान के उपयोग और स्थिति के अलावा परिवार क्रमांक,
सदस्यों
की संख्या, मुखिया का नाम व
लिंग, आरक्षित वर्ग की जानकारी, मकान के मालिकाना हक की जानकारी, कमरों की संख्या, परिवार में विवाहित दंपति की संख्या, पेयजल स्रोत, पेयजल उपलब्धता,
प्रकाश
का स्रोत, शौचालय की सुलभता, शौचालय का प्रकार, गंदे पानी की निकासी, बाथरूम की उपलब्धता, एलपीजी/पीएनजी कनेक्शन जैसी जानकारियां भी एकत्र की जाएंगी। वहीं घर में खाना पकाने में उपयोग हो रहे ईंधन, रेडियो/ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, इंटरनेट सुविधा, लैपटॉप/कंप्यूटर, टेलीफोन/मोबाइल फोन/स्मार्ट फोन, साइकिल/स्कूटर/मोटरसाइकिल/मोपेड, कार/जीप/वैन और परिवार द्वारा उपयोग हो रहा
मुख्य अनाज व मोबाइल फोन नंबर भी दर्ज करना इस प्रक्रिया में शामिल रहेगा।
18Jan-2020
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