आईएएचई के बदलाव के लिए गठित समिति ने की सिफारिश
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
बुनियादी ढांचे को मजबूत और सड़क सुरक्षा की दिशा में राजमार्ग क्षेत्र की भारतीय राजमार्ग इंजीनियर
अकादमी (आईएएचई) को एक विश्व स्तरीय प्रमुख संस्थान में तब्दील करने के लिए गठित
समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को सौंप दी है, जिसमें
राजमार्ग इंजीनियरों को कौशल ज्ञान और विशेष प्रशिक्षण देने जैसी कई महत्वपूर्ण सिफारिशें
की हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
ने समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इस रिपोर्ट में भारत के व्यापक सड़क
नेटवर्क को अपेक्षाकृत कम लागत पर निरंतर बेहतरीन, पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित रखने की दिशा में इंजीनियरों का
ज्ञान, कौशल एवं विशेषज्ञता बढ़ाना
अपरिहार्य है। वहीं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को सौंपी
गई इस रिपोर्ट में समिति का कहना है कि प्रशिक्षण से जुड़ी मौजूदा बुनियादी ढांचागत
सुविधाओं एवं प्रशिक्षण कार्य प्रणाली में सुधार लाने, विश्वस्तर पर प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों
से जुड़ाव सुनिश्चित करने और व्यावहारिक अनुसंधान एवं संबंधित कार्य करने की भी जरूरत
है। इसलिए केंद्र सरकार राजमार्ग क्षेत्र में ठेकेदारों और परामर्शकों के साथ काम कर
रहे राजमार्ग इंजीनियरों के लिए भी विशेष प्रशिक्षण की अनिवार्यता को लागू कर सकती
है। इसके लिए समिति ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के उप प्रबंधक स्तर और
मंत्रालय के सहायक कार्यकारी इंजीनियर स्तर के अधिकारियों के लिए एक वर्ष का फाउंडेशन
प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव रखा है। वहीं इसमें 15 दिन का प्रशिक्षण विदेश में हासिल करने की सिफारिश करते हुए
कहा गया है कि देश में मौजूदा ढांचे,
उसकी
सामग्री और तौर-तरीकों को बेहतर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ कायम
कर शोध इत्यादि का काम करना बेहद जरूरी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की गठित
इस समिति में एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन वाई.एस. मलिक, पूर्व डीजी(आरडी बी.एन. सिंह, सड़क परिवहन मंत्रालय (सदस्य) एम.पी. शर्मा, पूर्व एडीजी एस.पी. सिंह एवं मंत्रालय में संयुक्त सचिव (सदस्य सचिव)
शामिल थे।
सड़क सुरक्षा एवं नियमन
पर बल
समिति ने आईएएचई के कार्य क्षेत्र का विस्तार
कर इसमें तीन विशिष्ट कार्यों प्रशिक्षण, राजमार्ग एवं सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में
प्रायोगिक अनुसंधान व विकास कार्य के साथ सड़क सुरक्षा एवं नियमन को शामिल करने पर
भी बल दिया है। प्रशिक्षण के लिए समिति ने राज्यों के राजमार्गों, एमडीआर और ग्रामीण सड़कों हेतु राज्यों के
पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के लिए आईएएचई को विशिष्ट प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की पेशकश
करने की सिफारिश की है। इसमें सामग्री परीक्षण प्रक्रियाओं से जुड़े सलाहकारों एवं
ठेकेदारों के गुणवत्ता नियंत्रण एवं सहायक गुणवत्ता नियंत्रण इंजीनियरों के लिए आईएएचई
को प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए और समुचित दिशा-निर्देशों के जरिए इस तरह की
प्रशिक्षण आवश्यकताओं को अनिवार्य करने पर बल दिया गया। यह भी सिफारिश की गई है कि
सड़क से संबंधित सभी तरह के आंकड़ों जैसे कि यातायात, तैयार सामग्री और सड़कों एवं पुलों की स्थिति
से जुड़े डेटा का संग्रहण आईएएचई में किया जाए।
थिंक टैंक के रूप में हो
आईएएचई
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय
राजमार्ग इंजीनियर अकादमी यानि आईएएचई को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के थिंक-टैक
के रूप में काम करना चाहिए और विशिष्ट संदर्भों में परामर्श देना चाहिए। यातायात के
सुचारू संचालन एवं अनुकरण के लिए आईएएचई में उत्कृष्टता केन्द्र बनाने पर बल देत
हुए समिति ने कहा कि राजमार्गों के निर्माण में व्यावहारिक अनुसंधान को बढ़ावा देते
हुए उसमें बेकार सामग्री, वस्त्र एवं प्लास्टिक
के उपयोग, नई सामग्री, रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय
परीक्षण को शामिल किया जाना चाहिए।
सड़क सुरक्षा पर फोकस
दुघर्टनाओं से बचाव के लिए आईएएचई को एसओपी
तैयार करना चाहिए और यातायात इंजीनियरिंग,
डेटा
प्रभाग एवं दुर्घटनाओं के विश्लेषण के लिए एक केन्द्र स्थापित करना चाहिए, ताकि भावी अध्ययन कराए जा सकें और इसके साथ
ही सड़क सुरक्षा को बेहतर किया जा सके। आईएएचई को सड़क सुरक्षा ऑडिटरों के प्रशिक्षण
एवं प्रमाणन से संबंधित समस्त गतिविधियों की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। आईएएचई के
व्यापक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समुचित योजना बनाई जाए। संगठनात्मक ढांचे
में समुचित बदलाव किए जाएं, ताकि उपर्युक्त
उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके।
30Jan
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