सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को लेकर गृह मंत्रालय में होगा
अलग प्रकोष्ठ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
श्रीराम
जन्म भूमि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर अमल करने के लिए
केंद्र सरकार गंभीर है, जिसने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के भीतर
ट्रस्ट और 5 एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ
बोर्ड को देने का आदेश के अनुपालन की दिशा में गृहमंत्रालय में एक अलग से प्रकोष्ठ
बनाया गया है, जो अयोध्या संबन्धी फैसलो पर मंथन करेगा।
केंद्रीय गृहमंत्रालय के सूत्रों के मुताबिकि केंद्र सरकार ने गत नौ नवंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में
श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए इजाजत देते हुए इसके लिए तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट
बनाने के अलावा सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत के इसी
आदेश पर अमल करने की दिशा में केंद्र सरकार ने गंभीरता के साथ आगे बढ़ने का निर्णय
लेते हुए अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में गृह
मंत्रालय में अलग से एक प्रकोष्ठ बनाया है, जिसमें ज्ञानेश कुमार समेत तीन अधिकारी
शामिल रहेंगे। यह प्रकोष्ठ अयोध्या मामले से जुड़े सभी मामलों पर
मंथन करेगा। सूत्रों के अनुसार अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के संबन्ध में
उत्तर प्रदेश सरकार ने गृहमंत्रालय को तीन भूखंडों का विवरण देते हुए पत्र भी लिखा
है, जिसमें से 5 एकड़ का एक भूखंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंपने
का प्रस्ताव भी शामिल है। सूत्रों
के अनुसार गृह मंत्रालय में अयोध्या में विवादित ढांचा टूटने के बाद 1990 के दशक में और 2000 के शुरूआती वर्षों में भी इसी प्रकार का एक विशेष अयोध्या प्रकोष्ठ बनाया गया था।
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आपदा
प्रबंधन के क्षेत्र में सुभाष चन्द्र बोस पुरस्कार का ऐलान
एनडीआरएफ ने वैश्विक स्तर पर बनाई अग्रणी पहचान: शाह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय
आपदा मोचन बल को वैश्विक स्तर पर अग्रणी आपदा प्रबंधन बल करार देते हुए इस क्षेत्र में सुभाष चन्द्र
बोस पुरस्कार की घोषणा की है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय
ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्री
अमित शाह ने गुरुवार को नागपुर में राष्ट्रीय अग्नि सेवा कॉलेज (एनएफएससी) का नया
परिसर राष्ट्र को समर्पित करने के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) अकादमी
की आधारशिला रखी और इस मौके पर उन्होंने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सुभाष चन्द्र
बोस पुरस्कार की घोषणा की। गृह मंत्री ने कहा कि यह गर्व की बात है कि 2016 से मोदी सरकार के निरंतर प्रयासों के
परिणामस्वरूप एनडीआरएफ वैश्विक स्तर पर अग्रणी आपदा प्रबंधन बल के रूप में उभरा है
और आपदा जोखिम कमी के लिए सेंडई फ्रेमवर्क के अंतर्गत सभी मानकों को पूरा किया है।
शाह ने कहा कि देश ने आपदा मोचन में पिछले दो दशकों में सराहनीय काम किया है और
मानव जीवन तथा अर्थव्यवस्था को नुकसान को कम करने में अपनी क्षमताओं में सुधार
किया है। उन्होंने कहा कि 1999 में ओडिशा के
भयावह चक्रवाती तूफान में जहां दस हजार जानें गई थीं, वहीं हाल के चक्रवाती तूफान ‘फणी’
में
64 लोगों की जानें गईं।
यह आपदा मोचन व्यवस्था में विशाल क्षमता सृजन को दिखाता है। दूसरे शब्दों में एक
दशक से थोड़ा अधिक समय में भारत पहले की तुलना में जान-माल के नुकसान में एक
प्रतिशत की कमी करने में सफल रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री के
नेतृत्व में गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि
आपदाओं के दौरान सक्षम मोचन व्यवस्था स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों को
परामर्श जारी किए गए हैं और जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए जनता तथा
कर्मियों को मॉकड्रिल के द्वारा बेहतर रूप से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया
कि सरकार ने एनएफएससी के आधुनिकीकरण के लिए 200 करोड़ रुपये
से अधिक की राशि आवंटित की है। उन्होंने संस्थान में चलाए जाने वाले लघु तथा
दीर्घकालिक पाठ्यक्रमों की जानकारी भी दी। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री
श्री नित्यानंद राय ने आग लगने की आपात स्थिति में अग्निशमन कर्मियों की चुनौतियों
का वर्णन किया और कहा कि किस तरह एनएफएससी भविष्य में अग्निशमन सेवा कर्मियों को
सक्षम रूप से तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
03Jan-2020
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