मंगलवार, 28 जनवरी 2020

लोकतंत्र की मजबूती में विधानमंडलों को चुनौती से निपटना जरूरी: बिरला


राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र सम्मेलन में बोले लोकसभा अध्यक्ष
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विधानमंडलों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटना जरूरी है, जिसके लिए विधानमंडलों को कार्यपालिका की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु एक सजग प्रहरी की तरह कार्य करना होगा। 
यह बात शुक्रवार को 'जन प्रतिनिधियों की भूमिका ' विषय पर उत्तर प्रदेश विधानसभा लखनऊ में संपन्न हुए राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के दो दिवसीय 7वें सम्मेलन के समापन के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कही है। सम्मेलन की यहां जानकारी देते हुए लोकसभा सचिवालय ने बताया कि इस सम्मेलन में संसद और विधानमंडलों में जनप्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ाने और विधायी कार्यो की सार्थकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। समापन के मौके लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सम्मेलन में हुई परिचर्चाओं में सक्रिय एवं सार्थक रूप से भाग लेने के लिए प्रतिनिधियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस प्रकार विचारों और अनुभवों को साझा करने से विधानमंडलों के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपटकर लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। बिरला ने इस बात पर भी बल दिया कि विधायी संस्थाएं आम लोगों के सरोकारों, उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को मुखरित किए जाने के विश्वसनीय मंच होते हैं जिन्हें जन प्रतिनिधियों द्वारा प्रभावी ढंग से उठाया जाना चाहिए। उन्होंने 'बजट प्रस्तावों की संवीक्षा के लिए जन प्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाना' का उल्लेख करते हुए कहा कि विधानमंडलों को कार्यपालिका की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक सजग प्रहरी की तरह कार्य करना चाहिए। मसलन जन प्रतिनिधियों को वित्तीय शब्दावली और बजटीय प्रक्रियाओं की बेहतर समझ होना जरुरी है  बजटीय प्रक्रिया की बारीकियों को समझने के लिए जनप्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए अनुभवी सांसदों और पदाधिकारियों की टीम को भेजने का प्रस्ताव रखा गया। बिरला ने कहा कि इसके लिए, नियम बनाए जाएं और विधानमंडलों में नियमों में एकरूपता लाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
बजट सामाजिक व आर्थिक बदलाव का महत्वपूर्ण साधन: हरिवंश
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के सम्मेलन में बजट प्रस्तावों की संवीक्षा के लिए जनप्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाने सम्बन्धी विषय पर अपने राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि बजट हमारी नीतियों, प्राथमिकताओं तथा सामाजिक व आर्थिक विकास को दिशा देने वाला अर्थव्यवस्था सम्बन्धी एक महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने बजट सम्बन्धी दस्तावेजों व उनकी जटिलताओं के संदर्भ में जनप्रतिनिधियों की बजट से जुड़े तकनीकी पहलुओं की अधिकाधिक जानकारी बढ़ाये जाने के तरीकों को खोजे जाने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि संसद व विधानमंडल के सदस्यों को बजट प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान ऐसे व्यावहारिक सुझाव देने चाहिए जिनके आधार पर सरकारें अपनी आमदनी बढ़ाने के प्रयास कर सकें। योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकारी धन के लीकेज को एक बड़ी चुनौती मानते हुए हरिवंश ने कहा कि विधानमंडल के सदस्यों को अपने निगरानी सम्बधी कार्यों को गम्भीरता से लेना चाहिए ताकि व्यवस्था में प्रभावी पारदर्शिता लाकर आर्थिक लक्ष्यों को सुगमता से प्राप्त किया जा सके।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के सम्मेलन के समापन सत्र में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पिछले वर्षो से विधानमंडलों के कार्यो में हुए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि इसके बावजूद आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के कारण विधायी निकायों के सदस्यों के रूप में जन प्रतिनिधियों की भूमिका भी बदल गई हैं। उन्होंने सभा के भीतर और बाहर जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के आधार पर उनका मूल्यांकन करने पर बल दिया। उनका कहना था कि जनप्रतिनिधियों को संसदीय परंपराओं, नियमों और प्रक्रियाओं का प्रयोग इस प्रकार करना चाहिए जिसमें विकासात्मक कार्य और जन कल्याण सुनिश्चित किया जा सके।
18Jan-2020

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