मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

हरियाणा: उम्मीदवारों के चयन पर कांग्रेस ने की माथापच्ची


स्क्रीनिंग कमेटी के लिए दावेदारो की फौज से का चयन चुनौती
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। 
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की चुनौती कम नहीं हो रही हैं, जिसमें में उन्हें अपने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में बेहद कठिन दौर का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्याशियों के चयन के लिए शनिवार को कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की चली मैराथन बैठक में हरेक सीट पर टिकट के दावेदारों की फौज से एक प्रत्याशी का चयन करने के लिए वरीयता के आधार पर पैनल तैयार कर लिये गये, लेकिन राजनीतिक संकट में उलझी कांग्रेस को यह डर सता रहा है कि एक प्रत्याशी का चयन होते ही अन्य प्रत्याशी बगावत कर सकते है, जिसका कारण हरियाणा कांग्रेस में पहले से ही बढ़ती अंतर्कलह मानी जा रही है।
हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों पर 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभ के लिए भाजपा के खिलाफ बेहतर रणनीति के साथ चुनाव मैदान में जाने के प्रयास में कांग्रेस ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारना चाहती है, जो जीत हासिल करके कांग्रेस की खोई हुई सियासी जमीन को विस्तारित कर सके। इसीलिए नामांकन दाखिल प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद कांग्रेस के पास 90 सीटों पर 1200 से ज्यादा टिकट के दावेदारों की छंटनी करना बेहद मुश्किल चुनौती जैसा बना हुआ है। शनिवार को नई दिल्ली स्थित रकाबगंज रोड़ पर बनाए गये कांग्रेस के वाररूम में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की कई घंटे बैठक चली, जिसमें प्रत्याशियों के पैनल पर चर्चा हुई, लेकिन सूत्र बताते हैं कि हरेक सीट पर एक दर्जन से भी ज्यादा टिकट के दावेदारों की सूची है, जिन्हें वरीयता के आधार पर कम करने के प्रयास किये गये। प्रत्याशियों के चयन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में हुई इस बैठक में कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद, स्क्रिनिंग कमेटी के सदस्य मधुसूदन मिस्त्री, देवेन्द्र यादव, दीपा दासमुंशी और अन्य कांग्रेस दिग्गजों ने गहन मंथन किया। सूत्रों के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा और प्रतिपक्ष नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा इस बार प्रदेश की भाजपा सरकार को सत्ताहीन करने के लिए जीतोड़ प्रयासों में ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं, जो अपने विधानसभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखता हो, लेकिन राज्य कांग्रेस की गुटबाजी उनके प्रयासों को पलीता लगा सकती है। सूत्रों की माने तो इस स्क्रीनिंग कमेटी में शनिवार को दावेदारों के नामों की छंटनी तो की गई है, लेकिन उन्हें अंतिम रुप देने के लिए कल रविवार को फिर से स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी। कांग्रेस के सूत्रों ने इस बात पर संतोष जताया है कि उम्मीदवारों की दावेदारी में आवेदन के लिए ज्यादातर ने टिकट के लिए तय मापदंड पूरे करने वालों की सूची लंबी है, इसलिए प्रत्याशियों के चयन प्रक्रिया बेहद कठिन साबित हो रही है।
चुनाव रणनीति से समझौता नहीं
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा इसी बात को दोहरा रही हैं कि इस बार राज्य के विधानसभा चुनाव में बनाई गई रणनीति में कोई ढील नहीं दी जा सकती, तभी विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत को सुनिश्चतता किया जा सकता है। इसलिए चुनाव में ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया जाएगा, जो कांग्रेस की इस मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने की क्षमता रखते हों। यही कारण है कि कांग्रेस को प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम निर्णय लेने में विलंब हो रहा है, जो तीन अक्टूबर को नामांकन की अंतिम तिथि से पहले ही लिया जाना है। कांग्रेस ने अपनी चुनावी मुद्दों में भाजपा सरकार की नाकामियों के अलावा जनसुविधाओं के साथ किसानों व बेरोजगारों की समस्या को शामिल किया है, जिन्हें कांग्रेस चुनाव में जोर शोर से प्रचारित करने की रणनीति पर चुनाव मैदान में जा रही है।
पहली सूची सोमवार को संभव
स्क्रिनिंग कमेटी की इस बैठक के बाद प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा व अन्य नेताओं ने संकेत दिये हैं कि कल रविवार को होने वाली स्क्रीनिंग कमेटी के दूसरे दौर की बैठक में ज्यादातर प्रत्याशियों के नामों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा, ताकि 30 सितंबर को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति में उन पर अंतिम मुहर लग सके। केंद्रीय चुनाव समिति की मुहर लगते ही कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी। हालांकि कांग्रेस पहले ही ऐलान कर चुकी है कि मौजूदा सभी 17 विधायकों का फिर से प्रत्याशी बनाया जा रहा है, जिन्हें अपना नामांकन दाखिल करने को भी कह दिया गया है।
घोषणा पत्र तैयार
हरियाणा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने यहां कहा कि पार्टी का हरियाणा चुनाव के लिए घोषणापत्र लगभग तैयार है, जिसे जनता के सुझावों के बाद तैयार किया गया है। इसे अंतिम रूप देने के लिए घोषणा पत्र समिति की अध्यक्ष किरण चौधरी के साथ एक दिन पहले ही विचार विमर्श के बाद उसकी समीक्षा की गई। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ऐसे वादे करने का निर्णय लिया है, जिसे वह सत्ता में आने के बाद पूरा करके जनता की कसौटी पर पूरा उतर सके।
29Sep-2019

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