विपक्षी दलों की चुप्पी
देश में ‘लोग अपने दुख से दुखी नहीं, बल्कि दूसरो के सुख से
दुखी हैं’ जैसी कहावत देश की सियासत में खूब नजर आ रही है। मसलन हाल ही में जिस
दिन या उससे पहले लोकसभा और विभिन्न राज्यों में हुए चुनाव के दौरान भाजपा की
बढ़ती लोकप्रियता को लेकर चुनावी नतीजों से पहले ही विपक्षी राजनीतिक दल ईवीएम में
गड़बड़ी को लेकर सवाल खड़े करने लगते हैं, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद जब ऐसे
विपक्षी दलों को अच्छी खासी सीटें मिल
जाती हैं तो वे ईवीएम के बारे में कहीं भी उंगली नहीं उठाते। यही स्थिति
महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव के दौरान हुआ और भाजपा के एक प्रत्याशी के ईवीएम
के बयान को लेकर ऐसी सियासत गरमाई कि अन्य दलों के नेताओं के साथ कांग्रेस युवराज
ने भी उस प्रत्याशी को ईमानदार नेता का खिताब दे दिया। इसके विपरीत जब चुनावी
नतीजे सामने आए और कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ तो कांग्रेस ही नहीं अन्य
विपक्षी दलों की ईवीएम पर सवाल उठाने के बजाए चुप्पी साध ली है। मसलन चुनावी
नतीजों के बाद अब कोई भी पार्टी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन पर सवाल नहीं
उठाने को तैयार नहीं है। सियासी गलियारों में ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को
लेकर यही चर्चाएं हो रही है कि जब विपक्षी दल चुनाव में पस्त होते हैं तो ईवीएम का
रोना रोकर झेप मिटाते हैं और अच्छी खासी जीत हासिल करने पर उन्हीं ईवीएम मशीनों पर
उनका विश्वास प्रगाढ़ होता जाता है।
शिवपाल की घर वापसी..
उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा
चुनाव में बसपा से गठबंधन करके अपना राजनीतिक नुकसान को शायद समझ लिया है।
राजनीति में शायद यह लाख टके का सवाल बन सकता है? कि क्या
सपा के वरिष्ठतम नेता मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव समाजवादी
पार्टी में वापसी करने जा रहे हैं?
इन अटकलों
को लेकर पिछले करीब एक महा से ऐसी चर्चाएं चल रही है, जिसमें खुद मुलायम सिंह
परिवार और पार्टी की कलह को जीरो टारलेंट के साथ पहल करने में आगे बढ़ रहे हैं,
ताकि 2022 के यूपी चुनाव में एकजुट होकर प्रदेश में अपने खोए हुए जनाधार को हासिल
कर सत्ता हासिल की जा सके। दरअसल सपा के अध्यक्ष बने मुलायम के सुपुत्र अखिलेश
यादव को भी पिछले सियासी प्रयोग करने से सबक मिला है, जिसमें लोकसभा चुनाव में
बसपा से गठबंधन करके चुनाव मैदान में कूदना सपा के लिए बेहद महंगा साबित हुआ और
परिवार की सीटें भी नहीं बचा सके। यही कारण है कि अब जहां मुलायम परिवार को सपा के
साथ जोड़ने की मुहिम में जुटें हैं तो शिवपाल भी उनकी इस भावना को नजदीकी से समझ रहे
हैं। वहीं इन चर्चाओं ने भी जोर पकड़ा है कि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी
में वापस आ सकते हैं, जिसके लिए शिवपाल की मुलायम सिंह और पार्टी
के दूसरे बड़े नेताओं की पहल पर इस बारे में बात हुई है और अखिलेश
यादव भी समझ रहे हैं कि यदि वे वापस आते हैं तो सपा की ताकत में
इजाफा होगा और अन्य दलों की तरफ ताकने की जरूरत नहीं पड़ेगी?
27Oct-20149
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