मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की 74.21 तथा पैसेंजर की 70.54 फीसदी
समयबद्धता
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय रेल गाड़ियों की समय पाबंदी में लगातार सुधार हो रहा
है और पिछले एक साल में रेलगाड़ियों को समय से चलाने में रेलवे के जारी प्रयासों
के तहत पैसेंजर गाड़ियों की अपेक्षा एक्सप्रेस और मेल गाड़ियों की समय पाबंदी में
सुधार दर्ज किया गया है।
रेल मंत्रालय ने यह दावा करते हुए पिछले एक साल के
तुलनात्मक आंकड़े जारी किये हैं, जिसके अनुसार एक्सप्रेस व मेल रेलगाड़ियों की समय
पाबंदी में 7.16 फीसदी और पैसेंजर गाड़ियों की समय पाबंदी में केवल 3.96 फीसदी सुधार दर्ज किया गया है। हालांकि रेलवे का दावा है कि भारतीय रेलवे
की सभी गाड़ियों को समय से चलाने के लिए रेलवे लगातार काम कर रहा
है, जिसके कारण वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में समय पाबंदी में बहुत
सुधार हुआ है। मसलन वर्ष 2019-20 के दौरान मेल/एक्सप्रेस
ट्रेनों में अप्रैल से सितंबर की अवधि में औसत समय पाबंदी सुधर कर 74.21 प्रतिशत हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अप्रैल से सितंबर
की अवधि में यह 67.05 प्रतिशत थी। इसी प्रकार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान पैसेंजर
ट्रेनों में अप्रैल से सितंबर की अवधि में औसत समय पाबंदी सुधर कर 70.54 प्रतिशत हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अप्रैल से सितंबर
की अवधि में यह 66.58 प्रतिशत थी। गौरतलब है कि हाल में
एक आरटीआई के जवाब रेलवे ने माना था कि वर्ष 2018-19 के दौरान एक्सप्रेस-मेल गाडिय़ों में से 31 फीसदी और पैसेंजर गाडिय़ों में लगभग 33 प्रतिशत गाडिय़ां अपने तय समय पर नहीं चल पा रही हैं।
रेलवे ने किये ये सुधार
वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान मासिक
आधार पर भारतीय रेल की समय पाबंदी के लिए किये जा रहे प्रयासों पर गौर करें तो
इसके रेलवे ने अनेक
कदम उठाए हैं, जिनमें डिविजनल, जोनल और रेलवे बोर्ड के स्तर पर कड़ी निगरानी के साथ योजनाबद्ध
तरीके से अवसंरचना संबंधी अड़चनों को दूर करने का काम किया जा रहा है। इसी
प्रकार इंटीग्रेटेड मेगा ब्लॉक्स की योजना के तहत रखरखाव के सभी विभाग अपना-अपना काम एक साथ कर रहे हैं। रेलवे ने डीजल के इंजन को बिजली वाले इंजन से बदलने के क्रम में होने वाली देरी को समाप्त
करने के लिए डीजल इंजन से चलने वाली कुछ गाड़ियों को शुरू होने वाले स्थान से गंतव्य
तक चलाना शुरू किया है।
मेल व एक्सप्रेस गाड़ियों पर बल
रेलवे
के अनुसार मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) के पारम्परिक डिब्बों को एलएचबी
(लिंक हॉफमैन बुश) डिब्बों में बदला जा रहा है और समान गति वाली गाड़ियों को एक
समूह में लाने के लिए समय-सारणी को तर्कसंगत बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
इसके लिए रेलवे ने प्रमुख टर्मिनलों पर ठहराव समय में कम
किया है। इसके अलावा जलापूर्ति करने वाले स्टेशनों पर विलम्ब को कम करने
के लिए वहां उच्च क्षमता वाले वॉटर पम्प लगाये गये है। समयबद्धता में सुधार
के लिए रेलवे ने इंजन की दिशा बदलने की गतिविधि को समाप्त करने के लिए
बाई-पास स्टेशनों का प्रावधान किया है। खासबात यह भी
है कि समय पाबंदी को सटीक बनाने के लिए गाड़ियों के आगमन और प्रस्थान
का समय डाटा-लॉगर के जरिए स्वतः दर्ज हो जाता है। समय पाबंदी को प्रोत्साहन देने के
लिए उच्च स्तर पर “रेल दृष्टि” नामक डैशबोर्ड के जरिए निगरानी की जाती है।
24Oct-2019
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें