गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019

चुनाव में प्रचार पर ज्यादा खर्च करती हैं पार्टियां!


हरियाणा व महाराष्ट्र में पिछले चुनाव में एकत्र धन से कम हुआ खर्
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। 
आगामी 21 अक्टूबर को हरियाणा और महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में दलों और प्रत्याशियों के खर्च पर चुनाव आयोग ने भले ही शिकंजा कसा हुआ हो, लेकिन चुनाव दर चुनाव खर्च बढ़ता नजर आ रहा है, जिसमें हरेक राजनीतिक दल अन्य खर्चो की तुलना में चुनाव प्रचार पर खर्च करती हैं। इन दोनों राज्यों में पिछले विधानसभा चुनाव में कुल चुनावी खर्च का 77 फीसदी से ज्यादा खर्च प्रचार का ही रहा है।
हरियाणा व महाराष्ट्र में वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में छह राष्ट्रीय दलों और नौ क्षेत्रीय दलों ने अपने चुनावी खर्च और व्यय का जो ब्यौरा चुनाव आयोग में जमा कराया है उसके मुताबिक दोनों राज्यों में इन 15 दलों ने एकत्रित किये गये 464.55 करोड़ रुपये में से 362.87 करोड़ रुपये का चुनावी खर्च दर्शाया है। इस चुनावी खर्च में 280.72 करोड़ रुपये अकेले चुनाव प्रचार पर हुआ, जिसमें 245.22 करोड़ मीडिया विज्ञापनों का का खर्च भी शामिल है। इसके अलावा बाकी प्रचार सामग्री और सार्वजनिक बैठकों का खर्च घोषित किया गया है। जबकि यात्रा खर्च 41.40 करोड़, उम्मीदारों का खर्च 18.16 करोड़ और अन्य खर्च 22.59 करोड़ रुपये दिखाया गया है। इन दलों ने प्रचार के जरिए सबसे ज्यादा 166.92 करोड़ रुपये केंद्रीय मुख्यालयों से खर्च किया है। जबकि दलों ने अपनी पार्टी के केंद्रीय कार्यालयों से 233.76 करोड़ रुपये एकत्रित किये, जिनमें से 204.10 करोड़ रुपये चुनावों में खर्च किये। इसके अलावा इन दलों ने हरियाणा राज्य ईकाई से 16.42 और महाराष्ट्र ईकाई से 136.36 करोड़ की राशि चुनावों में खर्च की।
चुनावी खर्च में भाजपा रही अव्वल
हरियाणा और महाराष्ट्र के पिछले चुनाव में भाजपा ने सर्वाधिक 296.74 करोड़ रुपये एकत्र किये, इसमें केंद्रीय मुख्यालय से 174.16 करोड़, हरियाणा ईकाई से 30.30 लाख तथा महाराष्ट्र ईकाई से 122.28 करोड़ रुपये एकत्र किये, जिसमें से भाजपा ने इन दोनों राज्यों में खर्च किये गये 217.68 करोड़ रुपये में हरियाणा में 1.21 करोड़ तथा महाराष्ट्र में 65.10 करोड़ रुपये खर्च किये। भाजपा ने चुनाव प्रचार में भी सर्वाधिक 186.39 करोड़ रुपये खर्च किये। इसके बाद 84.37 करोड़ रुपये एकत्र करके 55.27 करोड़ रुपये के चुनावी खर्च के साथ कांग्रेस दूसरे पायदान पर रही, जिसमें उसने 41.19 करोड़ रुपये चुनाव प्रचार में खर्च किये। जबकि राकांपा ने 38.10 करोड़ एकत्र कर उससे ज्यादा 41.06 करोड़ का चुनावी खर्च दिखाया है, जिसमें 30.665 करोड़ रुपये का प्रचार खर्च शामिल है। बसपा, एआईएफबी, आईयूएमएल और जदयू ऐसे चार दलों में शामिल रहे जिन्होंने दोनों राज्यों में चुनाव लड़ने के बावजूद केंद्र या राज्य ईकाई से कोई धन लेकर खर्च नहीं किया।
हरियाणा में खर्च हुए 19.25 करोड़
इन दलों के इस चुनावी खर्च में हरियाणा के चुनाव खर्च 19.25 करोड़ रुपये में से 14.354 करोड़ चुनाव प्रचार, 1.80 करोड़ यात्रा और नेताओं व उम्मीदवारों पर 2.69 करोड़ तथा करीब 41 लाख रुपये अन्य मदों में खर्च किये गये। जबकि इससे ज्यादा महाराष्ट्र में खर्च हुए 152.25 करोड़ रुपये में चुनाव प्रचार पर 99.45 करोड़, यात्रा पर 21.88 करोड़, नेताओं व उम्मीदवारों पर 15.47 करोड तथा अन्य मदों में 15.46 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है।
स्टार प्रचारकों पर 52.30 लाख खर्च
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव-2014 के दौरान इन दलों द्वारा यात्रा खर्च 41.40 करोड़ रुपये में से स्टार प्रचारकों पर 52.30 लाख रुपये और अन्य नेताओं की यात्राओं पर 40.88 करोड़ रुपये खर्च दर्शाया गया है। इसके अलावा 191.37 करोड़ रुपये का चुनाव खर्च इन दलों के केंद्रीय मुख्यालय द्वारा किया गया है। 
12Oct-2019
 


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