गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

शहरीकरण एवं औद्योगीकरण के कारण बढ़ी जल की मांग


पर्यावरणीय प्रवाह पर भारत को मिला यूरोपीय देशों का साथ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
जल संकट को लेकर चिंतित दुनियाभर के देश मान रहे हैं कि निरंतर बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण जल की मांग बढ़ रही है। जबकि भारत में जर्मन के सहयोग से पर्यावरणीय प्रवाह के आकलन व कार्यान्वयन को लेकर राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन ने यूरेपीय देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों को साझा करते हुए आगे बढ़ने का निर्णय लिया है
राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन द्वारा मंगलवार को यहां नई दिल्ली में भारत के लिए पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन एवं कार्यान्‍वयनविषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में मिशन ने भारत-जर्मन सहयोग से भारतीय, यूरोपीय और अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभवों को एक-दूसरे से जोड़ते हुए आगे बढ़ने का निर्णय लिया। इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण जल की मांग बढ़ी है, जिसके कारण जल संकट एक चुनौती बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तथ्य को विश्वभर में पहले ही यह स्वीकार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन में पर्यावरणीय प्रवाह के आकलन व कार्यान्वयन में जर्मन सहयोग कर रहा है, जिसके साथ अब यूरापीय देशों के साझा किये जा रहे अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों के आदान प्रदान से इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए मदद मिलेगी। केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा कि इन अनुभवों के आधार पर भारत में पर्यावरणीय प्रवाह के आकलन पर मार्ग निर्देशन दस्‍तावेज के प्रथम संस्‍करण का औपचारिक रूप से विमोचन भी किया। इस कार्यशाला में विचार-विमर्श के साथ-साथ भावी अनुसंधान कार्य से भविष्‍य में इस ई-फ्लो (पर्यावरणीय प्रवाह) मार्ग-निर्देशन दस्‍तावेज के उन्‍नत संस्‍करण को प्रस्‍तुत करने में मदद मिलेगी।
प्रवाह के आकलन का मसौदा जारी
इस कार्यशाला के दौरान केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत ने कार्य योजना के तहत भारत में पर्यावरणीय प्रवाह के आकलन’ का मसौदा भी जारी किया। इस कार्ययोजना के तहत भारत में जल क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत-ईयू जल साझेदारी (आईईडब्‍ल्‍यूपी) के जरिए और अपनी परियोजना गंगा संरक्षण के लिए समर्थन (एसजीआर)के जरिए भारत-जर्मन सहयोग ने विभिन्‍न हितधारकों जैसे कि सरकारी संस्‍थान, व्‍यवसायियों और सिविल सोसायटी को एकजुट किया है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत ने नदियों को मानवीय दृष्टि से महत्‍वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन बताते हुए कहा कि भारत में जिस प्रकार गंगा नदी तरह-तरह के घरेलू, कृषि, औद्योगिक और विद्युत उत्‍पादन उपयोगों में काम आकर 400 मिलियन से भी अधिक लोगों की आबादी की जरूरतों के साथ गंगा नदी मनोरंजन, आजीविका और आध्‍यात्मिक कार्यों में भी लोगों की आवश्‍यकताओं को पूरा करती है। इसीलिए सरकार ने गंगे के प्रति अपनी श्रद्धा के लिए अविरल और निर्मल धारा का चिन्‍हि‍त लक्ष्‍य तय किया है।
जलीय जीवों के सरंक्षण जरूरी
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि गंगा नदी एक अनूठा परिवेश सुलभ कराती है जिसमें भारत के राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के साथ-साथ घड़ियाल, कछुए और कई पक्षी तथा अन्य जंगली जानवर भी वास करते हैं। अन्‍य नदियां जैसे कि गोदावरी, कृष्‍णा, महानदी इत्‍यादि की भी विशेष अहमियत है जो हमारे लिए पारिस्थितिकी सेवाओं के अहम स्रोत हैं। इसलिए जल का सतत एवं समान उपयोग सुनिश्चित करने हेतु जलीय जीवों का संरक्षण करने की जरूरत है। एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि हमने इस दिशा में शुरुआत कर दी है, लेकिन हमें उन देशों से बहुत कुछ सीखना होगा जहां समय के साथ यह काफी वि‍कसित हो चुका है।
23Oct-2019 

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