केंद्रीय सूचना आयोग के स्थापना दिवस पर बोले गृहमंत्री अमित शाह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने सूचना का अधिकार कानून को देश के देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में मील का पत्थर
करार देते हुए कहा कि यदि देश में पारदर्शी व्यवस्था कायम हो जाए तो आरटीआई दाखिल
करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
यह बात शनिवार को यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित
शाह ने केंद्रीय सूचना आयोग के 14वें स्थापना दिवस
पर आयोजित
समारोह में कही। उन्होंने कहा कि पिछले 14 साल में आरटीआई कानून प्रशासन और जनता
के बीच की लोकतंत्र की यात्रा में मील का पत्थर साबित हुआ है।
वहीं उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि देश में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए
कि लोगों को आरटीआई दाखिल करने की जरूरत ही न पड़े, बल्कि सरकार खुद सामने आकर सूचनाएं दे। उन्होंने
कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देश में इसी तरह का प्रशासन देना चाहते हैं कि
सूचना का अधिकार के आवेदन कम से कम आएं और लोगों को आरटीआई लगाने की जरूरत ही न पड़े।
अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2016 में जब इस कानून
का अध्ययन करने पर लगा कि इसका दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन आज हम कह सकते हैं कि दुरुपयोग बहुत कम हुआ है और सदुपयोग बहुत ज्यादा
हुआ है। अमित शाह ने कहा
कि इस
कानून का उपयोग परदर्शिता और गतिशीलता लाने के लिए ही किया
जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आरटीआई एक्ट की कल्पना की
गई होगी, उसे लगभग अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में हमारा देश
सफल रहा है।
प्रशासन की बढ़ी जवाबदेही
गृहमंत्री ने कहा कि आरटीआई कानून का मूल प्रावधान व्यवस्था के अंदर जनता का विश्वास खड़ा करना है,
जो जनता में जागृत करना यही इस कानून का प्रमुख उद्देश्य है। वहीं
पारदर्शिता और जवाबदेही ये दोनों ऐसे अंग हैं जिनके आधार पर ही हम अच्छा प्रशासन और सुशासन दे सकते हैं। उन्होंने कहा
कि इस कानून की वजह से जनता और प्रशासन के बीच की खाई को पाटने में बहुत
मदद मिली है और जनता का प्रशासन व व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आरटीआई कानून में संशोधन करके इसे और ज्यादा कारगर
करने का प्रयास किया है। गृह मंत्री ने कहा कि आरटीआई कानून अन्याय रहित सुशासन देने की दिशा में एक बेहतर प्रयास
है, भ्रष्टाचार मुक्त
प्रशासनिक व्यवस्था देने और अधिकारों के अतिक्रमण को नियंत्रित करने में भी आरटीआई
ने अपनी पूरी भूमिका निभाई है।
नई
प्रौद्योगिकी से बढ़ी पारदर्शिता
अमित शाह ने इस मौके पर कहा कि देश में नई प्रौद्योगिकी के
इस्तेमाल ने भी पारदर्शिता को बल दिया है। जिसके कारण उत्तराखंड के केदारनाथ
पुनर्निर्माण परियोजनाओं में मंदिर तक जाने वाले सभी ऑल वेदर मार्गों की निगरानी ड्रोन
के माध्यम से ऑनलाइन हो रही है, जहां निरीक्षकों द्वारा भौतिक
सत्यापन की आवश्यकता कम हो गई है। शाह ने कहा कि सरकार ने जन धन खातों, आधार,
और
खरिदने के लिए जेम पोर्टल (गवर्मेंट ई-मार्केट प्लेस) जैसी विभिन्न पहलों में प्रौद्योगिकी
का उपयोग किया है। इसी प्रकार भू-टैगिंग के माध्यम से और उपग्रहों की छवियों का उपयोग
करके हमें पता चल जाता है कि बांध का काम पूरा हुआ है या नहीं, बांध में पानी की स्थिति क्या है और ड्रोन के
माध्यम से सिंचाई की भी निगरानी की जा रही है।
13Oct-2019
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें