शनिवार, 8 जुलाई 2017

राष्ट्रपति चुनाव: मतदाता वोटिंग के लिए स्वतंत्र

दलों को नहीं व्हिप जारी करने की इजाजत: आयोग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के लिए कोई भी राजनीतिक दल व्हिप जारी नहीं कर सकती। आयोग स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति चुनाव में अपनी स्वतंत्र इच्छा के अनुसार वोट देना या न देना भारत के संविधान के तहत अयोग्यता के दायरे में नहीं आएगा और मतदाताओं को वोट देने या न देने की स्वतंत्रता है।
आयोग के अनुसार 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ मतदाताओं के मन में पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौर उठाए गये मुद्दों की तरह ही इस बार भी इस आशय का संदेह पैदा हो रहा है कि क्या किसी राजनीतिक दल का सदस्य अपनी पार्टी के निर्णय के खिलाफ मतदान करने पर भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के अधीन दल-बदल के आधार पर अयोग्य हो जाएगा या राजनीतिक दल द्वारा किसी विशेष तरीके से मतदान करने या मतदान न करने के लिए अपने सदस्य को कहने का निर्णय लेने पर दंड का पात्र हो जाएगा। आयोग ने ऐसी आशंकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कुछ रूलिंग का भी जिक्र किया है। हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में मतदान लोकसभा या राज्य विधान सभा के सदस्य द्वारा सदन में दिये गये मतदान से अलग है। 
सभी दलों पर लागू होगा नियम
आयोग ने इस संबन्ध में कहा है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव में जिस तरह वोट देना अनिवार्य नहीं है उसी तरह भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में भी वोट देना जरूरी नहीं है। मतदाता के 'चुनावी अधिकार' को भारतीय दंड संहिता की धारा 171 ए (बी) में परिभाषित नियम समान रूप से सभी दलों पर लागू हैं, जिसमें  कोई राजनीतिक दल अपने सदस्यों को किसी विशेष तरीके से मतदान करने या मतदान न करने के लिए कोई दिशा निर्देश या व्हिप जारी नहीं कर सकते। इसके तहत दलों के सामने कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है, क्योंकि ऐसा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 171 सी के अर्थ में अनुचित प्रभाव डालने के अपराध के समान होगा। हालांकि दलों को अपने किसी भी उम्मीदवार के लिए मतदाताओं से वोट मांगने या उनसे अनुरोध करने की स्वतंत्रता है कि वह मतदाताओं से मतदान न करने का अनुरोध  या अपील भी कर सकते है।

उपराष्ट्रपति पद के नौ नामांकन
आगामी पांच अगस्त को होने वाले उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए जारी नामांकन प्रक्रिया के तहत अभी तक नौ नामांकन पत्र दाखिल किये गये हैं, जिनमें से चार नामांकन दाखिल होते ही नियमों के अनुरूप न होने के कारण मौके पर ही रद्द कर दिये गये, जबकि बाकी पांच नामांकन पत्रों को 19 जुलाई का जांच प्रक्रिया के तहत वैध माना गया है।
08July-2017

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