शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

लांच होने से पहले दम तोड़ गई केन-बेतवा परियोजना!



मध्य प्रदेश सरकार के अडंगे से एनवक्त पर ठंडे बस्ते में
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदियों को आपस में जोड़ने वाली महत्वकांक्षी परियोजनाओं में केन-बेतवा देश की पहली परियोजना के रूप में शुरू होने वाली ही थी, कि मध्य प्रदेश सरकार ने दूसरे चरण को भी पहले चरण में शामिल करने की जिद ने ग्रहण लगा दिया है। मसलन यूपी सरकार की सहमति के बावजूद एनवक्त पर मध्य प्रदेश सरकार ने सहमित देने से इंकार कर दिया है।
मोदी सरकार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके को जल संकट से निजात दिलाने वाली 9393 करोड़ रुपए की लागत वाली केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को वन, पर्यावरण और वन्यजीव संबन्धी समितयों की मंजूरी मिलने के बाद लांच होने के कगार पर पहुंची, तो इसमें मध्य प्रदेश का नया पेंच फंस गया। जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो दो चरण में पूरी होने वाली इस परियोजना के प्रथम चरण की परियोजना के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद कैबिनेट नोट भी तैयार है, लेकिन उसके लिए यूपी और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों की सहमति होना जरूरी है। इसमें मध्य प्रदेश ने अपनी सहमति देने के लिए शर्त रख दी है कि दूसरे चरण की परियोजना को भी पहले चरण में शामिल किया जाए। जबकि दूसरे चरण की परियोजना के लिए वित्तीय व्यवस्थाओं के अलावा मंजूरी और अन्य तकनीकी खाका तैयार करने में सालों लग जाएंगे। सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार के एनवक्त पर ऐसी शर्ते रखने के कारण फिलहाल यह परियोजना ठंडे बस्ते में जाती नजर आने लगी है।
क्या है शिवराज सरकार का प्रस्ताव
दरअसल गत चार जुलाई को ही मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव के साथ उच्च स्तर पर इस परियोजना की स्थिति की समीक्षा की गई। इसमें मध्य प्रदेश सरकार ने प्रस्ताव रखा कि कौथा बैराज, बीना काम्पलैक्स और निचले आर्रे बांध को भी इस परियोजना में शामिल किया जाएग। जबकि मंत्रालय का कहना है कि ये सभी परियोजनाएं दूसरे चरण का हिस्सा है, जिसे प्रथम चरण की सभी तैयारियों में शामिल करना आसान नहीं है। मंत्रालय के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को आगे करने से वर्ष 2005 में यूपी व एमपी सरकार के बीच प्रारंभिक जल आवंटन भी प्रभावित होगा। इसलिए केंद्र ने निर्णय लिया है कि दोनों राज्य सरकारों को आपस में जल साझेदारी के विषय में एक करार करना चाहिए ताकि इस परियोजना को शुरू किया जा सके। इसके बावजूद मध्य प्रदेश अपने प्रस्ताव पर अड़ गया है और परियोजना शुरू नहीं हो पा रही है।
पहले चरण में इन जिलों को लाभ
मंत्रालय के अनुसार केन-बेतवा परियोजना के पहले चरण में मध्य प्रदेश के छत्तरपुर, टीकमगढ़, सागर, दमोह और पन्ना जिलों की 2.88 लाख हेक्टेयर के अलावा उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा, हमीरपुर, ललितपुर और झांसी जिलों की 2.23 लाख हेक्टेयर यानि इन 10 जिलों में 5.16 लाख हेक्टेयर की कृषि कमान क्षेत्र सिंचाई दायरे में सुविधा होगी। इस परियोजना के तहत 1700-1700 मिलियन घन मीटर पानी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलेगा। इस परियोजना से जहां मध्य प्रदेश के इन जिले की 3,69,881 हेक्टेयर भूमि, तो वहीं उत्तर प्रदेश के इन पांच जिले की 2,65,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी।

एमपी में बांध निर्माण पर संकट
मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना के पहले चरण का काम पूरा होने पर 2953 मिलियन क्यूबिक मीटर जल की संकल भंडारण क्षमता और 221 किमी लंबी मुख्य नहर के साथ-साथ नौ हजार हेक्टेयर के जलाशय डूब क्षेत्र समेत 77 मीटर ऊंची दऊधनबांध के निर्माण होना है, जो एमपी सरकार के प्रस्ताव से खटाई में पड़ना तय है, यही नहीं इस बांध पर 78 मेगावाट क्षमता की दो विद्युत उत्पादन इकाइयां भी स्थापित करने का प्रस्ताव है। मंत्रालय की माने तो इस परियोजना के जरिए उत्तर प्रदेश के 13.42 लाख की जनसंख्या के लिए पेयजल आपूर्ति करने हेतु 49 एमसीएम जल की उपलब्ध के साथ अतिरिक्त सिंचाइ्र के रूप में मध्य प्रदेश की मौजूदा सिंचाइ्र क्षमता में करीब 10 प्रतिशत बढ़ोतरी होने का अनुमान था। वहीं इस परियोजना के तहत 1700-1700 मिलियन घन मीटर पानी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलने वाले पानी पर भी ग्रहण लगता नजर आने लगा है।
21श्रन्सल92017

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