सोमवार, 24 जुलाई 2017

नोटबंदी: दलों की रकम नहीं होगी सार्वजनिक

चुनाव आयोग ने बसपा के प्रस्ताव को किया खारिज  
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
चुनाव आयोग ने बसपा के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, सपा जैसे कई दलों की नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा कराई गई धनराशि को सार्वजिनक करने की मांग की गई थी।
चुनाव आयोग द्वारा आरटीआई के तहत उपलब्ध कराए गये दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है। आयोग की इस सूचना के तहत बसपा ने भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित सभी महत्वपूर्ण राजनैतिक दलों द्वारा नोटबंदी की अवधि सहित वर्ष 2016-17 में जमा की गयी नकद धनराशि का विवरण सार्वजनिक करने का प्रस्ताव दिया था। दरअसल नोटबंदी के बाद बसपा द्वारा दिल्ली के करोल बाग़ स्थित यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के पार्टी अकाउंट में 02 दिसंबर से 09 दिसंबर 2016 के बीच 104 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा कराये कराए गये थे। इस सम्बन्ध में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने जांच की। इसके लिए आयोग ने दो मार्च को बसपा को नोटिस जारी किया तो बसपा महासचिव सतीश मिश्रा ने अगले ही दिन तीन मार्च को इस नोटिस को भेदभावपूर्ण करार देते हुए मीडिया की खबरो का हवाला देते हुए कहा था कि सभी बड़े राजनीतिक दलों ने बसपा से कई गुणा जयादा नकद धनराशि बैंकों में जमा कराई है, जिसमें बसपा ने आयोग को सभी दलों द्वारा पिछले 12 माह के दौरान जमा कराई गई धनराशि का हिसाब लेने की मांग की और केवल बसपा को ही नोटिस देने उसे सार्वजिनक करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव दिया। चुनाव आयोग द्वारा इस प्रस्ताव को ठुकराने का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता डा. नूतन ठाकुर को आरटीआई कानून के तहत उपलब्ध कराए गये दस्तावेजों में किया गया है। हालांकि डा. नूतन ने आयोग से मिली सूचना के बाद कहा कि यह दुखद है कि आयोग ने एक राजनैतिक दल द्वारा लाये गए ऐसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जो चुनावी शुचिता में सहायक हो सकता था। उन्होंने बताया कि इन दस्तावेजों के मुताबिक आयोग ने अपने चार मई को बसपा द्वारा व्यवहारिक परेशानी की बात कहे जाने को स्वीकार करते हुए प्रकरण को समाप्त कर दिया। 
24July-2017

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