शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

एक देश-एक मजदूरी का रास्ता साफ

संसद में अगले सप्ताह पेश होगा नया विधेयक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
एक देश-एक कर की दिशा में जीएसटी कानून लागू करने के बाद एक देश-एक मजदूरी लागू करने की दिशा में केंद्र सरकार ने नये वेतन श्रम संहिता विधेयक को मंजूरी देकर उसे मौजूदा संसद सत्र में ही पेश करने का रास्ता साफ कर लिया है। यदि सरकार इस विधेयक पर संसद की मंजूरी हासिल कर लेती है तो देशभर में चार करोड़ से भी ज्यादा कर्मचारियो और श्रमिकों को एक समान न्यूनतम वेतन मिल सकेगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार की इस नई पहले से देशभर में श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने इस नये कानून की तैयारी के बारे में संकेत दिये थे कि देश में काम करने वाले सभी कर्मचारियों और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए कानून में प्रावधान किये गये हैं। वहीं इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को अपने संसाधनों के जरिए सामाजिक सुरक्षा योजना बनानी होगी। दत्तात्रेय ने कहा था कि सरकार न्यूनतम वेतन कानूनों को उसी तरह से एक कानून के दायरे में लाने पर काम कर रही है, जिस तरह से कई कानूनों को खत्म करके नये कानूनों को लागू करके श्रमिकों के हित में देशभर में एक समान मजदूरी से संबन्धित विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है।
क्या नये कानूनी प्रावधान
मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किये गये इस नये वेतन श्रम संहिता विधेयक के मसौदे के तहत देश में श्रमिकों की मजदूरी से जुड़े कम से कम चार कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा और जिनके स्थान पर एक नया कानून लागू होगा, जिसमें देशभर में एक समान मजदूरी का प्रावधान किया जा रहा है। विधेयक के प्रावधानों के तहत देश में अभी तक प्रचलन में चार कानूनों यानि न्यूनतम वेतन कानून-1948, वेतन भुगतान कानून-1936, बोनस भुगतान कानून-1965 तथा समान पारितोषिक कानून-1976 का एकीकरण किया जाएगा। इस विधेयक में केंद्र को देश में सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित करने का अधिकार के लिए राज्यों को उसे बनाए रखना अनिवार्य होगा। यानि केंद्र सरकार द्वारा तय मजदूरी सभी राज्यों में एक समान रूप से तय हो सकेगी।
दायरे में होंगे सभी श्रमिक
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार नए विधेयक के मसौदे में किये गये प्रावधान लागू होने से देशभर में सभी श्रमिकों और फैक्ट्रियों के कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय हो जाएगी। फिलहाल केंद्र तथा राज्य द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन उन कर्मचारियों पर लागू होता है, जिन्हें मासिक 18,000 रुपए तक वेतन मिलता हैं। इस नये एकीकृत कानून के तहत इनके साथ अब सभी उद्योग और कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाएगा। नए कानूनी प्रावधानों के तहत हर 2 साल में न्यूनतम वेतन की समीक्षा की जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2013 में तत्कालीन श्रम एवं रोजगार मंत्री मलिकार्जुन खडगे ने भी ऐसा प्रस्ताव किया था, जिसमें देशभर में कामगारों के लिए समान न्यूनतम मजदूरी कानून लागू हो सके, लेकिन यूपीए सरकार इसे कानूनी अमली जामा नहीं पहना सकी थी।

28July-2017

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