शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

पीएफ में बहु-विकल्पीय बैंकिंग प्रणाली को बढ़ावा



ईपीएफओ ने किया निजी क्षेत्र के पांच बैंकों से करार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
ईपीएफओ ने पीएफ अंशधारकों और उसकी राशि के भुगतान में एकल बैंकिंग प्रणाली के बजाए बहु-विकल्पीय बैंकिंग प्रणाली को बढ़ावा देने पर ज्यादा जोर दिया है। इसी दिशा में केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया के तहत पीएफ अंशधारकों की सुविधा के लिए निजी क्षेत्र के पांच बैंकों के साथ समझौते किये हैं।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार ईपीएफओ ने 'कारोबार करने में आसानी' की सुविधा के लिए सरकार के जनादेश को के मद्देनजर बुधवार को यहां केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय की मौजूदगी में ईपीएफओ ने पांच बैंकों बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक के साथ बिना लेन-देन शुल्क के प्रेषण के संग्रहण और लाभार्थियों को भुगतान के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। बैंकों से इस करार करने का मकसद नियोक्ताओं से बकाये ईपीएफ के संग्रहण और लाभार्थियों को भुगतान के लिए पहले शुरू की गई एकल बैंकिंग प्रणाली के बजाए अब बहु-विकल्पीय बैंकिंग प्रणाली की सुविधा देना है। जबकि बकाया ईपीएफ का संग्रहण भारतीय स्टेट बैंक के अलावा पीएनबी, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के जरिए सीधे ऑनलाइन कराया जा रहा है।  इस मौके पर ईपीएफओ ने बताया कि इस करार से नियोक्ताओं को अपने ईपीएफ की बकाया राशि बिना किसी परेशानी के कहीं भी किसी भी तरीके से जमा करने की सुविधा भी मिल सकेगी। वहीं पीएफ सदस्यों को भी अब उनके बैंक खाते में सीधे भुगतान किया जा सकेगा। ईपीएफओ के अइनुसार इस प्रणाली के तहत अब इन बैंकों के साथ बैंक खाता रखने वाले नियोक्ता ईपीएफ की बकाया राशि सीधे ईपीएफओ के खाते में इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हुए भी जमा कर सकते हैं।
सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता
ईपीएफओ के बैंकों के साथ हुए करार के मौके पर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रे ने कहा कि गत 30 मार्च को ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में पीएफ अंशधारकों के हित में यह निर्णय लिया गया था कि ईपीएफ योगदानों के संग्रह के लिए निजी क्षेत्र के बैंकों को शामिल किया जाए। उसी निर्णय के तहत निजी क्षेत्र के बैंकों के साथ एक बहु-वैकल्पिक बैंकिंग प्रणाली के लिए यह महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि ईपीएफओ 12 लाख करोड़ रुपये के कोष के साथ देश की सबसे बड़ी संस्था है जो कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसमें 4.5 करोड़ की योगदान वाली सदस्यता है और ईपीएफओ द्वारा करीब 20 करोड़ खाते सेवारत हैं। अधिनियम के तहत शामिल प्रतिष्ठानों से ईपीएफओ सालाना करीब 7500 करोड़ रुपये एकत्र करता है। ईपीएफओ एक वर्ष में 1.16 करोड़ के दावों को सुलझाता है और सालाना लगभग 54,000 करोड़ रुपये का भुगतान करता है।
नियोक्ताओं व कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
ईपीएफओ ने बैंकिंग प्रणाली के विस्तार की जानकारी देते हुए बताया कि इससे जहां नियोक्ताओं के लिए कम प्रशासनिक शुल्क और ऑनलाइन पंजीकरण के अलावा अंशदान का ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मिल सकेगी, वहीं छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों के लिए ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करना भी आसान हो जाएगा। ईपीएफओ ने गत 2 अप्रैल को ईपीएफ अंशधारकों की आवास योजना के लिए हुडको के साथ भी एक समझौता किया है। ईपीएफओ के अनुसार अशंधारकों के हित में उठाए गये कदमों के तहत ही लाभ का दावा करने के लिए स्व घोषणा करने के अलावा एनईएफटी, ऑनलाइन ई-पासबुक सुविधा के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान तथा ईपीएफ सदस्यों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) जैसी सुविधाएं दी गई हैं।
06July-2017

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