वन-पर्यावरण विशेषज्ञ
मूल्यांकन
समिति
की
मिली
मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो.
नई
दिल्ली।
केंद्र सरकार की
देश
के
बुनियादी
ढांचे
को
मजबूत
करने
की
दिशा
में
पूर्व
से
पश्चिम
तक
औद्योगिक
गलियारा
विकसित
करने
की
परियोजना
के
तहत
निर्माण
कार्य
में
तेजी
आने
की
उम्मीद
है।
खासकर
दिल्ली-मुंबई
औद्योगिक
गलियारे
में
शामिल
जोधपुर
पाली
मारवाड़
औद्योगिक
क्षेत्र
(जेपीएमआईए)
परियोजना
को
वन-पर्यावरण
मंत्रालय
की
विशेषज्ञ
समिति
की
मंजूरी
मिलने
से
आ
रही
बाधा
दूर
हो
गई
है।
केंद्रीय सड़क परिवहन
एवं
राजमार्ग
मंत्रालय
के
अनुसार
दिल्ली-मुंबई
औद्योगिक
गलियारा
परियोजना
के
तहत
पर्यावरण,
वन
और
जलवायु
परिवर्तन
मंत्रालय
की
विशेषज्ञ
मूल्यांकन
समिति
ने
प्रस्तावित
जोधपुर
पाली
मारवाड़
औद्योगिक
क्षेत्र
(जेपीएमआईए) परियोजना को
पर्यावरण
संबंधी
मंजूरी
देने
की
सिफारिश
कर
दी
है।
इस
मंजूरी
के
बाद
अब
राजस्थान
में
दिल्ली-मुंबई
औद्योगिक
कॉरिडोर
को
विकसित
करने
के
लिये
निर्माण
कार्य
में
तेजी
लाई
जा
सकेगी।
इस
परियोजना
के
पहले
चरण
में
विकसित
किए
जाने
वाले
आठ
निवेश
क्षेत्रों
में
जेपीएमआईए
भी
शामिल
है।
जेपीएमआईए
लगभग
154 वर्ग
किलोमीटर
के
कुल
क्षेत्र
को
कवर
करता
है,
जिसमें
से
लगभग
64 वर्ग
किमी
का
शहरीकरण
करने
का
प्रस्ताव
है,
जबकि
शेष
क्षेत्र
को
पेरिफेरल
कंट्रोल
बेल्ट
के
रूप
में
विकसित
करने
की
योजना
तैयार
की
गई
है।
यह
परियोजना
दो
सीमावर्ती
जिलों
के
किनारे
जोधपुर
से
40 किलोमीटर
और
पाली
से
25 किलोमीटर
की
दूरी
पर
स्थित
है।
मंत्रालय
के
अनुसार
इस
दिल्ली-मुंबई
औद्योगिक
गलियारा
परियोजना
में
फिलहाल
18,500 करोड़
रुपए
के
व्यय
के
लिए
मोदी
सरकार
ने
स्वीकृति
दे
रखी
है।
इसके
अलावा
चार
अन्य
गलियारों
की
परियोजना
विकास
गतिविधियों
के
लिए
और
31 मार्च
2022 तक
एनआईसीडीआईटी
के
प्रशासनिक
खर्चों
के
लिए
1584 करोड़
रुपए
की
राशि
का
प्रावधान
भी
किया
गया
है।
गौरतलब
है
कि
दिल्ली-मुंबई
औद्योगिक
गलियारा
(डीएमआईसी)
परियोजना
को
वर्ष
2011 में
तत्कालीन
केंद्र
की
यूपीए
सरकार
ने
17.50 करोड़
रुपये
की
स्वीकृत
मंजूरी
के
साथ
शुरू
किया
था।
बनेगा प्रमुख लॉस्जिटिक्स केंद्र
मंत्रालय के अनुसार
जेपीएमआईए
परियोजना
को
सभी
डीएमआईसी
शहरों
की
तरह
ही
एक
मॉडल
के
रूप
में
विकसित
करने
की
योजना
पहले
से
ही
तैयार
की
जा
चुकी
है।
यह
स्थानीय
संसाधनों
और
स्वदेशी
क्राफ्ट
सहित
स्थानीय
शक्तियों
द्वारा
संचालित
औद्योगिक,
व्यापार
और
पर्यटन
गतिविधियों
को
बढ़ावा
देगा
और
स्थानीय
युवाओं
के
लिए
रोजगार
के
अवसरों
का
सृजन
करेगा।
यह
संपूर्ण
मारवाड़
क्षेत्र
में
वेस्टर्न
डेडिकेटेड
फ्रेट
कॉरिडोर
(डब्ल्यूडीएफसी)
के
लिए
एक
प्रमुख
लॉजिस्टिक्स
केंद्र
के
रूप
में
कार्य
करेगा।
वहीं
देशभर
में
औद्योगिक
गलियारा
परियोजनाओं
का
कार्यान्वयन
और
विकास
जैसी
परियाजनाओं
की
फंडिंग,
डिजाइन
डेवलपमेंट
और
प्लानिंग
जैसे
क्षेत्रों
में
नवाचार
को
बढ़ावा
दिया
गया
है।
यह
देश
में
विनिर्माण
की
हिस्सेदारी
बढ़ाने
और
विनिर्माण
व
सेवा
उद्योग
क्षेत्रों
में
निवेश
आकर्षित
करने
में
मदद
करेगा।
मंत्रालय
के
अनुसार
देश
में
पांच
औद्योगिक
गलियारे
वर्तमान
में
पंजाब,
हरियाणा,
उत्तर
प्रदेश,
उत्तराखंड,
बिहार,
झारखंड,
पश्चिम
बंगाल,
मध्य
प्रदेश,
राजस्थान,
गुजरात,
महाराष्ट्र,
कर्नाटक,
आंध्र
प्रदेश
और
तमिलनाडु
राज्यों
से
होकर
गुजरते
हैं।
01July-2017
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