शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

नाबालिग चालकों के कारण बढ़ी सड़क दुर्घटनाएं



उत्तर प्रदेश में हुई सबसे ज्यादा अकाल मौतें
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश की परिवहन व्यवस्था में परिवर्तन करने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कई परियोजनाओं में देश में हो रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाना प्राथमिकता में हैं। दुनियाभर में सड़क हादसों में होने वाली अकाल मौतों के मामले में भारत पहले पायदान पर है, जिसमें नाबालिग चालकों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। 
केंद्र सरकार देश में हो रही सड़क दुघर्टनाओं को रोकने की दिशा में कई ठोस कदम उठा रही है, लेकिन इस कलंक को दूर करने की दिशा में सख्त कानूनी प्रावधान वाला नया मोटरयान विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है। जबकि देश में सड़क हादसों में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ो के हवाले से बताया है कि वर्ष 2016 में सड़क दुर्घटनओं के दौरान प्रतिदिन 400 से ज्यादा अकाल मौतें होने का आंकड़े सामने आए हैं और इस साल 1.51 लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जिंदगी गंवाने को मजबूर है, जो वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 1.46 लाख था। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर का इस मामले को लेकर राज्यसभा में उठाए गये सवाल के जवाब में कहना है कि राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो अवयस्क चालकों द्वारा होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े नहीं रखता, लेकिन सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा विभिन्न एजेंसियों के जरिए कराए जाने वाले सर्वेक्षण में यह साबित हो चुका है कि नाबालिग चालकों के कारण ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं और उनमें मौतें हो रही हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में अछूती नहीं
गृह मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी सड़क हादसों से अछूती नहीं है, जहां वर्ष 2016 के दौरान 7375 सड़क दुर्घटनाओं में 1591 लोगों ने अपनी जान गंवाई है और 6668 लोग घायल हुए हैं। वर्ष 2016 में सड़क हादसों में दर्ज आंकड़ों में 4.72 लाख 29 दुर्घटनाओं में 1.51 लाख 698 मौतें सामने आई है, जबिक 4.84 लाख 205 लोग घायल हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 30608 सडक हादसे उत्तर प्रदेश में हुए जिनमें 19 से ज्यादा लोगों की अकाल मौतें हुई है और करीब 20 हजार लोग घायल हुए हैं। इस दौरान छत्तीसगढ़ में हुए 13581 सड़क हादसों में 3909 लोगों की मौत और 13 हजार से ज्यादा लोगों के घायल होने का आंकड़ा दर्ज है। जबकि मध्य प्रदेश में 51941 हादसों में 9861 लोग मारे गये और 53049 घायल हुए हैं। इसी प्रकार हरियाणा में 11325 सड़क हादसों में 5170 लोगों की जीवनलीला समाप्त हुई और इससे लगभग दो गुना 10319 लोग घायल हुए हैं।
क्या मौजूदा कानूनी प्रावधान
संसद में भले ही सख्त कानूनी वाला विधेयक अभी लंबित पड़ा हो, लेकिन मोटर वाहन अधिनियम-1988 की धारा 180 में बिना लाइसेंस वाले व्यक्ति या नाबालिग को वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी गई है। हाल ही में केंद्र सरकार ने यातायात नियमों में बदलाव के तहत प्रावधान लागू किये हैं जिसमें ऐसे नाबालिगों और बिना लाइसेंस वाले चालकों द्वारा दुर्घटनाएं होने की स्थिति में सीधे वाहन मालिक को जिम्मेदार बनाया गया है, जिसमें वाहन मालिक को इस अपराध के लिए कारावास या जुर्माना दोनों दंड देने का प्रावधान शामिल है। इसके अलावा भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत पुलिस और लोक व्यवस्था में दिये गये अधिकारों के तहत राज्य सरकारें कानूनों के प्रावधानों के जरिए ऐसे अपराधों से निपटने लिए सक्षम बनी हुई हैं। केंद्र सरकार के गृहमंत्रालय की ओर से राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं के बारे में परामर्श के साथ दिशानिर्देश भी जारी किये गये हैं।

सरकार का लक्ष्य
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कई बार दोहरा चुके हैं कि दुनियाभर में सड़क हादसों को लेकर भारत पर लगे इस दाग को धोने के प्रयास किये जा रहे हैं। इंटरनेशनल रोड फेडरेशन की मदद से सरकार सुरक्षित सड़कों, सुरक्षित यूजर्स, सुरक्षित वाहनों, लागू कानूनों और ट्रैफिक कानून के उल्लंघन को रोकने के की दिशा में काम कर रही है और सरकार ने वर्ष 2020 तक देश में सड़क हादसों को कम से कम आधा करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए यातायात नियमों को सख्त बनाया जा रहा है, लेकिन ऐसे सख्त प्रावधान वाले विधेयक को चाहते हुए भी संसद की मंजूरी नहीं मिल पा रही है। गडकरी का कहना है कि सडक हादसों और उनमें मरने वालों के आंकड़े बेहद चिंता का विषय है। 
28July-2017

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