शनिवार, 29 जुलाई 2017

जल मंथन: जल के मुद्दों पर राजनीति न करने की नसीहत




जल मंथन पर राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
केन-बेतवा के अडंगे पर छलका उमा का दर्द
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में जल संबन्धी मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों को नसीसहत दी है कि जल जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि जल प्रबंधन एवं जल बंटवारों के विवादों को निपटाने में राष्ट्रहित और राज्यहितों के साथ जनता के हितों को प्राथमिकता देने का प्रयास होना चाहिए।
यहां विज्ञानभवन में शुक्रवार को जल मंथन के चौथे संस्करण के रूप में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय  जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि जल के मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने राज्यों से आव्हान किया कि अंतर्राज्यीय जल बंटवारें के विवादों को सुलझाने में संबन्धित राज्यों को राज्य और राष्ट्रहित को प्राथमिकता के साथ प्रयास करने की जरूरत है। राज्यों को ऐसी नसीहत देते हुए उमा भारती का वह दर्द झलकता नजर आया जिसमें इसी माह के शुरूआत में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की जल संबन्धी समस्याओं के लिए वरदान साबित होने वाली केन-बेतवा नदी परियोजना के शुरू करने से ठीक पहले मध्य प्रदेश ने अड़ंगा डालकर उसे अधर में लटका दिया है। केन-बेतवा मुद्दे को फोकस करते हुए उमा भारती ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अधिकारियों से आग्रह किया कि इस परियोजना से जुड़े लंबित मुद्दों का जल्द समाधान करें ताकि केन-बेतवा परियोजना के पहले चरण की शुरूआत की जा सके। इस सम्मेलन में संबंधित मंत्रालयों विभागों के केंद्रीय मंत्री राज्यों संघशासित प्रदेशों के सिंचाई और जल संसाधन मंत्री, जल क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञ, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।
भारत पर टिकी विश्व की नजरे
देश में नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं का जिक्र करते हुए उमा भारती ने कहा कि राष्ट्र की नदियों को जोड़ने की योजना पर पूरे विश्व की नजर है। ये योजनाएं में राज्यों के जल बंटवारों के विवादों के निपटान के साथ ही सूखे और बाढ़ जैसी समस्याओं का स्थायी हल साबित होगा। ऐसी परियोजनाओं में कुछ राज्यों के अलावा ज्यादातर राज्य जल विवादों के निपटान में आपसी सामंजस्य बनाकर सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा के बाद सरकार महाराष्ट्र गुजरात की पार-तापी और मदन गंगा-पिंजाल परियोजना को शुरू करने की योजना बना रही है। इस दौरान उमा भारती ने महानदीगोदावरी परियोजना का विरोध कर रहे ओड़िशा के कुछ लोगों का भी जिक्र किया, जिनका कहना है कि इस परियोजना से महानदी का पूरा पानी गोदावरी में चला जाएगा, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें बताया कि इस परियोजना से तीस्ता और संकोश का अतिरिक्त जल पहले महानदी में आयेगा और उसके बाद गोदावरी में जाएगा। केंद्र सरकार का ऐसी परियोजनाओं में किसी भी राज्य के अहित करने का इरादा नहीं है।

विपक्ष से चर्चा करने का फैसला
जल मंथन सम्मेलन में बोलते हुए सुश्री भारती ने कहा किपानी से आग कैसे निकल सकती है। यह तो आग को शांत करने का काम करता है। कुछ राज्यों द्वारा जल बंटवारे के मुद्दों पर राष्ट्रीय हित का अनदेखा करने के प्रयास पर उमा भारती ने यह तर्क देते हुए कहा कि जल से संबंधित मुद्दों की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष से कहीं ज्यादा विपक्ष पर होती है। केंद्र सरकार ने ऐसे विवादों के निपटान की दिशा में निर्णय लिया है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों से मिलेंगे, तो उसमें संबन्धित राज्यों के विपक्षी दलों के नेताओं के साथ भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि जल बंटवारे के मुद्दों को लेकर केंद्र हमेशा संवेदनशील रहा है और ऐसे मुद्दों का शांतिपूर्ण ढ़ग से समाधान निकालने का प्रयास किया है।
29July-2017


 


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