कृषि यंत्रीकरण
उपमिशन तेज करेगी सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार
ने विभिन्न कृषि कार्यो की लागत कम करने, प्राकृतिक संसाधनों की उत्पादकता बढ़ाने और
कृषि कार्यो से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए कृषि यंत्रीकरण उपमिशन को तेजी से
आगे बढ़ाने पर बल दिया है। इस मिशन के जरिए सरकार कृषि कार्यो में ऊर्जा की पूर्ति
करने का प्रयास कर रही है। कृषि यंत्रीकरण
उपमिशन को तेज करेगी सरकार
केन्द्रीय
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री
समिति की अंतर सत्र बैठक में यह बात कही। बैठक में ‘कृषि यंत्रीकरण' विषय पर चर्चा
करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार ने कृषि यंत्रीकरण
को बढ़ावा देने के मकसद से वर्ष 2014-15 से कृषि यंत्रीकरण उपमिशन शुरू किया था, जिसे
कृषि कार्यो में अतिरिक्त ऊर्जा की मांग को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाना
जरूरी है। उन्होंने कहा कि इससे पहले वर्ष 2012-13 एवं वर्ष 2013-14 मे कृषि यंत्रीकरण
पर दो छोटी स्किमे चलाई जा रही थी, जिसके लिए आबंटन क्रमशः मात्र रुपये 24.10 करोड़
एवं 38.49 करोड़ मात्र था। लेकिन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा छोटे और सीमान्त
किसानो तथा उन क्षेत्रो में कृषि यंत्रो की उपलब्धता सुनिश्चितता के लिए कृषि मशीनीकरण
को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया।
उपमिशन का मिला लाभ
केंद्रीय कृषि
मंत्री ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण का स्तर कृषि योग्य इकाई क्षेत्र मे उपलब्ध यांत्रिक
शक्ति पिछले 43 सालों के दौरान यानि 1975-76 की 0.48 किलोवाट प्रति हेक्टेयर क्षमता
वर्ष 2013-14 तक बढ़कर 1.84 किलोवाट प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकी। जबकि पिछले तीन साल
2014-15 से 2016-17 के दौरान केंद्र सरकार के कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग
की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के प्रयासों से यह
क्षमता बढ़कर 2.02 किलोवाट प्रति हेक्टेयर पहुंची है।
दो गुना की वित्तीय सहायता
राष्ट्रीय
कृषि विकास योजना और कृषि यंत्रीकरण उपमिशन के अंतर्गत कस्टम हायरिंग सेवाओं के लिए
फार्म मशीनरी बैंकों और हाई-टेक हब की स्थापना हेतु परियोजना लागत का 40 प्रतिशत वित्तीय
सहायता दी जाती है। सरकार ने उपमिशन में तेजी लाने के मकसद से चालू वित्त वर्ष
2017-18 के दौरान कृषि यंत्रीकरण उपमिशन के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता आवंटन को पिछले
वर्ष की तुलना में दो गुना बढ़ाकर 577 करोड़ रूपए किया गया है। कृषि मंत्री के अनुसार
कृषि यंत्रीकरण उपमिशन के तहत राज्य सरकारों को पिछले तीन वर्षों में 3088 करोड़ रुपये
से अधिक की राशि आवंटित की गई हैं। राज्यों में इस आबंटित राशि का उपयोग करके खासकर
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश,
तेलंगाना आदि राज्यों ने कृषि यंत्रीकरण क्षेत्र में अच्छी प्रगति हासिल की है।
कृषि क्षमता बढ़ाना चुनौती
कृषि एवं किसान
कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने बैठक में कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार 263 मिलियन
लोग यानि 54.6 फीसदी कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जो 2020 तक घटकर 190 करोड़ 33 फीसदी
रह जाने की संभावना जताई जा रही है। इस संभावना पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि
ऐसे में कृषि कार्यो खासकर बुवाई और कटाई के महत्वपूर्ण सीजन में श्रमिकों की कमी होना
स्वाभाविक है जिसका फसल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ऐसे में देश में विभिन्न कृषि
कार्यो के लिए ऊर्जा की अतिरिक्त मांग को कृषि मशीनीकरण के माध्यम से पूरा किया जा
सकता है। उन्होंने खासकर छोटे कृषि क्षेत्र के लिए पर्याप्त कृषि क्षमता की उपलब्धता
सुनिश्चित करने के काम को एक बड़ी चुनौती करार दिया।
क्या है उपमिशन
केंद्र सरकार के कृषि यंत्रीकरण उपमिशन में प्रशिक्षण,
परीक्षण, कृषि मशीनरी के प्रदर्शन और खरीद सब्सिडी जैसे पारंपरिक घटक शामिल है, वहीं
उपमिशन में कस्टम हायरिंग के लिए फार्म मशीनरी बैंको और उच्च उत्पादक उपकरण केंद्र
की स्थापना और छोटे और सीमांत किसानों के बीच उत्पादकता बढ़ाने और उपयुक्त खेत उपकरणों
का स्वामित्व का निर्माण करने के मकसद से चयनित गांवों में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा
देना शामिल हैं।
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