शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

गंगा तट से 100 मीटर के दायरे में नहीं होगा निर्माण

दो साल पहले भी एनजीटी ने दिया था ऐसा  सुझाव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
अब गंगा के तट से 100 मीटर के दायरे में कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा। वहीं राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने गंगा को गंदा करने वालों पर जुर्माने की भारी राशि वसूलने व सजा के प्रावधान को सख्ती से लागू करने के लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को निर्देश जारी किये हैं।
गंगा स्वच्छता की दिशा में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड के हरिद्वार से यूपी के उन्नाव तक के गंगा नदी तट से 100 मीटर के दायरे को 'गैर निर्माण क्षेत्र' घोषित किया है।  वहीं एनजीटी ने हरिद्वार से उन्नाव के बीच बह रही गंगा में कचरा फेंकने पर वालों पर 50 हजार रूपये के जुर्माना देने के प्रावधान को सख्ती से लागू करने के लिए भी यूपीए व उत्तराखंड  सरकार को निर्देश जारी किये हैं। एनजीटी के इस फैसले से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे यानि गंगा की सफाई को लेकर मदद मिलेगी।  मसलन इस फैसले के तहत अब गंगा नदी के तट से 100 मीटर के दायरे किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं किया जा सकेगा। इसी फैसले के तहत अधिकरण ने यह भी कहा है कि गंगा नदी के तट से 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का कचरा डंप नहीं होना चाहिए और यदि ऐसा किया गया तो गंदगी फैलाने और गंगा नदी में कचरा डंप करने वाले को 50 हजार रुपए का पर्यावरण हर्जाना देना होगा। गौरतलब है कि एनजीटी ने गत नवंबर 2015 में प्रदूषण के एक मामले की सुनवाई के दौरान भी गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए गंगा नदी के तट से 500 मीटर के दायरे को बफर जोन बनाने का सुझाव दिया है। केंद्रीय जल संसाधन की प्रस्तावित गंगा कानून के लिए गठित गिरधर मालवीय समिति की रिपोर्ट में गंगा नदी को गंदा करने वालों के खिलाफ भारी जुर्माने और सजा के प्रावधान की सिफारिश के मद्देनजर एनजीटी ने फैसला दिया है।
राज्य सरकार जारी करे दिशानिर्देश
एनजीटी ने उत्तरप्रदेश सरकार से कहा है कि वह अपनी जिम्मेदारी समझते हुए चमड़े के कारखानों को जाजमऊ से उन्नाव या फिर किसी भी दूसरी जगह, जहां राज्य सरकार उचित समझती हो, वहां छह सप्ताह के भीतर ट्रांसफर किए जाने चाहिए। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाटों पर धार्मिक क्रियाकलापों के लिए दिशानिर्देश बनाकर सार्वजिनक जारी करने के भी निर्देश दिये हैं। एनजीटी ने 543 पन्नों वाले अपने फैसले के पालन की निगरानी करने और इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए पर्यवेक्षक समिति का भी गठन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एनजीटी के इस फैसले से गंगा को साफ़ रखने में काफी मदद मिलेगी। 
14July-2017

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