शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

मानसूनी बारिश के बाद बढ़ने लगा भूजल स्तर


सूखे से राहत के बाद बाढ़ ने बढ़ाई सरकार की चिंता 
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में मानसून की बारिश के कारण भूजल स्तर में तेजी से सुधार होने लगा है, लेकिन भूजल सुधार से राहत के साथ ही विभिन्न राज्यों में बाढ़ के कारण बनी भयावह स्थिति को लेकर सरकार की चिंता बढ़ी हुई है। हालांकि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों समेत सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की निगरानी करने के साथ जरूरी कदम उठाने का दावा भी कर रही है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार इस साल बेहतर मानसून के कारण जहां सूखे की स्थिति से ज्यादा नहीं जूझना पड़ा, बल्कि भूजल का स्तर तेजी के साथ बढ़ा है। मंत्रालय के अनुसार इसके विपरीत अरुणाचल प्रदेश, असम, उत्तर बंगाल, सिक्किम और भूटान के कुछ हिस्सों में बेहद भारी बारिश के साथ-साथ अत्‍यंत सक्रिय दक्षिण-पश्चिम मानसून और हर दिन इन राज्यों में बारिश होने के पूर्वानुमान के मद्देनजर सरकार की निगरानी जारी है।
एक पखवाड़े में बढ़ा जल स्तर
मंत्रालय के अनुसार देश में भूजल स्तर का अनुमान लगाने के लिए देश के 91 प्रमुख जलाशयों में जल संग्रहण का आकलन किया जाता है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के हवाले से मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि फिलहाल इन प्रमुख जलाशयों कामें जल भंडारण 36.108 बीसीएम (अरब घन मीटर) आंका गया, जो गत 29 जून को 29.665 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल था। यानि एक पखवाड़े में यह जल संग्रहण 19 से बढ़कर 23 फीसदी यानि चार फीसदी की बढ़ोतरी के साथ जलस्तर में सुधार हुआ है। जबकि इन जलाशयों में पिछले सप्ताह जल भंडारण 33.114 अरब घन मीटर आंका गया था। मंत्रालय के अनुसार देश के इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इनमें से 37 जलाशय ऐसे हैं, जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली उत्पादन करने में मदद देते हैं।
राज्यों की स्थिति
मंत्रालय के अनुसार पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल हैं। पिछले साल की इसी अवधि के समान संग्रहण करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र शामिल है, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में कम संग्रहण करने वाले राज्यों में राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और एपी एवं टीजी (दो राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं।
14July-2017

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