शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

देश में किसानों को बांटे 9 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड



राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना भी प्राथमिकता: केंद्र
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने कहा कि देश में कृषि और किसानों के विकास की दिशा में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी दो प्राथमिकता वाली योजनाओं पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। सरकार ने देश में अब तक नौ करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने यह बात बुधवार को यहां राज्यों के कृषि एवं कृषि विपणन मंत्रियों, सचिवों और निदेशकों के साथ इन दोनों योजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को दो गुना करना है और इसी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में केंद्र और राज्य सरकारें आपस में मिलकर प्रयास कर रही हैं। कृषि मंत्रालय ने देश में कृषि और किसानों के विकास की दिशा में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी दो प्रमुख योजनाओं को तेजी के साथ शुरू किया है, ताकि किसान ज्यादा से ज्यादा फसल उत्पादन कर सके। सिंह ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) योजना मृदा स्वास्थ्य के विश्लेषण के आधार पर उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिससे किसानों को कम लागत पर इष्टतम पैदावार हो सके। केंद्र सरकार ने फरवरी 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरूआत करते हुए अब तक दो साल में एक बार 12 करोड़ से अधिक किसानों को कार्ड मुहैया कराने के लक्ष्य के तहत अब तक नौ करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं।  
244 लाख मृदा नमूनों का परीक्षण
उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत प्रत्येक मिट्टी के नमूने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों की स्थिति सहित 12 मापदंडों पर मिट्टी के नमूनों का व्यापक परीक्षण किया जा रहा है। योजना का पहला चक्र (2015-17) जुलाई 2017 तक पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि राज्यों ने 100 प्रतिशत मृदा नमूना संग्रह अर्थात 253 लाख मिट्टी के नमूने और 244 लाख मृदा नमूनों का परीक्षण किया है।
ई-नाम योजना का लाभ
बैठक में कृषि मंत्री ने कहा कि जुलाई 2015 को 200 करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) स्कीम शुरू की गई, जिसमें केंद्र सरकार एवं सभी राज्य सरकारों के समन्वय से किसानों को राष्ट्रीय कृषि बाजार मुहैया कराने के साथ उन्हें उनकी उपज बेचने के लिए नजदीक में बाज़ार उपलब्ध करा रही है, ताकि उन्हें उनके उपज का उनको लाभकारी मूल्य मिल सके। इसके अलावा कृषि आधारित अन्य लाभकारी क्रियाकलापों के तहत पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन, मतस्य पालन, मधुमक्खी पालन, मेड़ों पर इमारती लकड़ी के पेड़ लगाने को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।  यह योजना किसानों के इलेक्ट्रॉनिक व्यापार के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल प्रदान करती है और पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी मूल्य की खोज को सक्षम करती है। योजना के तहत एकीकृत विनियमित बाजारों में आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए उन्हें  30 लाख प्रति मंडी की दर से सहायता दी जाती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में इस राशि को 75 लाख रुपये तक बढ़ा दिया गया है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य यही है की किसान एक स्थान पर बैठकर देश की विभिन्न मंडियों का भाव जान सके और जहाँ पर तथा जो खरीदार उनको ज्यादा पैसा दे और किसान पारदर्शी तरीके से अपनी उपज उन्हें बेच सके।
छत्तीसगढ़ में बेहतर नतीजे
केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़, तेलंगाना जैसे कुछ राज्य सरकारों ने ईनाम का लाभ किसानों को दिलाने हेतु अच्छा काम किया हैं। राज्य सरकारों की प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं है, फिर भी छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री स्वयं जिस तरह रुचि ले रहे हैं। सभी राज्यों को उसका अनुसरण करना चाहिए। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने बदलते परिवेश में किसानों के हित में सक्रिय कदम उठाते हुए एक नए मॉडल एपीएमसी अधिनियम-2017 तैयार करके गत अप्रैल माह में लागू किया है। इस नये मॉडल अधिनियम में निजी मंडियों और किसान उपभोक्ता मंडियों की स्थापना की व्यवस्था है। अब यदि राज्य  इसे सक्रियता से लागू कर दें तो  किसानों के लिए उदार बाजार उपलब्ध होने में सुगमता होगी।
06July-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें