सख्ती के साथ
लागू
किया
गया
प्रतिबंधित
कानून
हरिभूमि ब्यूरो.
नई
दिल्ली।
देश में बाल
श्रम
पर
पूर्णतया
प्रतिबंध
लगाने
वाले
कानून
को
सख्ती
से
लागू
करने
के
बावजूद
देश
में
43.53 लाख
बाल
श्रमिकों
की
पहचान
की
गई
है।
हालांकि
सरकार
ने
बालश्रम
के
उन्मूलन
और
उनके
पुनर्वास
के
लिए
कई
योजनाओं
को
पटरी
पर
उतारने
का
दावा
किया
है।
केंद्रीय श्रम और
रोजगार
मंत्रालय
के
अनुसार
पिछले
साल
बाल
श्रम
(प्रतिषेध एवं विनियमन)
अधिनियम
में
संशोधन
करके
इसे
देशभर
में
सख्ती
के
साथ
लागू
किया
गया
है।
इस
संशोधित
कानून
में
14 वर्ष
से
कम
आयु
के
बच्चों
के
साथ
ही
जोखिमभरे
कारोबार
और
प्रक्रियाओं
में
14 से
18 साल
तक
के
किशोरों
के
नियोजन
अथवा
कार्य
करने
पर
पूरी
तरह
प्रतिबंध
लगाया
गया
है।
मंत्रालय
के
अनुसार
सरकार
ने
राष्ट्रीय
बाल
श्रम
परियोजना
लागू
करके
उसकी
समीक्षा
की
और
इस
परियोजना
के
तहत
ऐसे
श्रमिकों
के
पुनर्वास
के
लिए
विशेष
प्रशिक्षण
केंद्रों
का
शिक्षा
के
अधिकार
अधिनियम
के
तहत
संबन्ध
स्थापित
किया
गया।
इसके
साथ
ही
मंत्रालय
ने
स्वीकार
किया
है
कि
एक
राष्ट्रीय
सर्वेक्षण
के
जरिए
बाल
श्रमिकों
की
पहचान
कराई
गई,
तो
देशभर
में
5 से
14 साल
तक
की
आयु
वर्ग
के
बाल
श्रमिकों
की
संख्या
43.53 लाख
है।
हालांकि
सरकार
ने
दावा
किया
कि
वर्ष
2001 की
जनगणना
के
आधार
पर
57.79 लाख
से
घटकर
2011 की जनगणना के
आधार
पर
बालश्रमिकों
की
संख्या
में
कमी
आई
है।
मंत्रालय
के
अनुसार
सरकार
बाल
श्रम
के
उन्मूलन
हेतु
बहु
आयामी
रणनीति
के
तहत
सामाजिक
और
आर्थिक
विकास
की
अन्य
स्कीमों
के
साथ
बाल
श्रमिकों
को
कामकाज
से
अलग
करके
सांविधिक
और
विधायी
उपाय
कर
रही
है,
जिसमें
उनके
पुनर्वास
औश्र
उनकी
सार्वभौमिक
प्राथमिक
शिक्षा
भी
इस
रणनीति
में
शामिल
है।
इस
अधिनियम
में
संशोधन
के
बाद
सरकार
ने
पिछले
माह
नियमों
में
भी
संशोधन
किये
हैं
जिनमें
जिला
स्तर
पर
जिलाधिकारियों
की
अध्यक्षता
में
जिला
नोडल
अधिकारी
और
कार्यबल
के
गठन
का
प्रावधान
किया
गया
है,
ताकि
जिला
स्तर
पर
निगरानी
करके
इस
आयु
के
बच्चों
को
मुक्त
कराकर
उनके
पुनर्वास
और
उनकी
शिक्षा
के
प्रति
जागरूता
बढ़ाई
जा
सके।
यूपी में सर्वाधिक बाल श्रमिक
केंद्र सरकार के
इस
सर्वेक्षण
के
अनुसार
देशभर
में
पहचाने
गये
43 लाख
53 हजार
247 बाल
श्रमिकों
में
सर्वाधिक
8.97 लाख
अकेले
उत्तर
प्रदेश
में
हैं,
जबकि
महाराष्ट्र
पहचाने
गये
4.97 लाख
बालश्रमिकों
की
संख्या
के
साथ
दूसरे
पायदान
पर
है।
इसके
बाद
बिहार
में
4.52 लाख,
आंध्र
प्रदेश
में
4.05 लाख,
मध्य
प्रदेश
में
2.87 लाख,
राजस्थान
में
2.53 लाख,
गुजरात
में
2.51 लाख,
कर्नाटक
में
2.50 लाख,
पश्चिम
बंगाल
में
2.35 लाख
बाल
श्रमिकों
की
पहचान
की
गई
है।
छत्तीसगढ़
में
63884, हरियाणा
में
53492, पंजाब
में
90353 बाल
श्रमिकों
की
संख्या
सामने
आई
है।
31July-2017
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