रविवार, 16 जुलाई 2017

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव आज

कोविंद व मीरा में मुकाबला
ओ.पी. पाल,
नई दिल्ली।
भारत के 14वें राष्ट्रपति पद के लिए आज सोमवार यानि 17 जुलाई को संसद भवन और 31 राज्यों के विधानसभा परिसरों में बनाए गये मतदान केंद्रों परसुबह 10 बजे से वोटिंग कराई जाएगी। राष्ट्रपति पद के लिए राजग के रामनाथ कोविंद और यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार के बीच सीधा मुकागला है, जिनमें हालांकि मतों के आंकड़ों के गणित में मीरा के मुकाबले कोविंद का पलड़ा भारी माना जा रहा है।
देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुनाव आयोग पूरी तैयारियां कर चुका है। रामनाथ कोविंद को सत्तारूढ़ राजग के साथ-साथ जनता दल यू, बीजू जनता दल(बीजद), अन्नाद्रमुक, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सहित कई छोटे दलों का समर्थन प्राप्त है, वहीं मीरा कुमार के पक्ष में कांग्रेस सहित 17 दल हैं। भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का प्रयास है कि उनके उम्मीदवार कोविंद को ज्यादा से ज्यादा वोट मिले। राष्ट्रपति चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका अहम रहती है। दरअसल भारत में राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चयन का जिम्मा इलेक्टोरल कॉलेज पर होता है। इलेक्टोरल कॉलेज में निर्वाचित सांसदों के अलावा राज्यों और अपनी विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के विधायक शामिल होते हैं।
सिक्रेट बैलट पेपर से होगा चुनाव
मुख्य चुनाव आयोग के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव सिक्रेट बैलेट पेपर के जरिए होंगे और वोटिंग के लिए चुनाव आयोग बैलेट पर टिक करने के लिए एक विशेष पेन का प्रबन्ध किया गया है। किसी अन्य पेन का उपयोग करने पर वोट अवैध हो जाएगा। संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय है। इस चुनाव में निर्वाचित सांसद या विधायक को ही मत देने का अधिकार होगा यानि मनोनीत सदस्य वोटिंग नहीं कर सकेंगे। भारत के राष्ट्रपति निर्वाचन में संसद के निर्वाचित सदस्यों के अलावा दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के साथ ही सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मतदान करेंगे।
क्या है राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
भारत के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन अप्रत्यक्ष मतदान के जरिए किया जाता है। इसमें जनता की जगह जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचन मंडल या इलेक्टोरल कॉलेज करता है। इसमें संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। भारत में राष्ट्रपति चुनाव अप्रत्यक्ष मतदान से होता है। इसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। इसमें राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य मतदान में हिस्सा नहीं लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव जिस विधि से होता है उसे ‘आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ के रुप में जाना जाता है जिसके आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा चुनाव होता है। राष्ट्रपति चुनाव की वर्तमान व्यवस्था 1974 से चली आ रही है और ये 2026 तक लागू रहेगी। इसमें 1971 की जनसंख्या को आधार माना गया है।
क्या है सांसदों और विधायकों की वोटों का मूल्य
राष्ट्रपति चुनाव में अपनाई जाने वाली आनुपातिक प्रतनिधित्व प्रणाली की विधि के हिसाब से प्रत्येक वोट का अपना मूल्य होता है। सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है मगर विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है। 1971 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या को वहां की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाए, परिणाम में जो भी संख्या आए, उसे फिर से 1000 से भाग दिया जाए। इसके बाद जो परिणाम निकलेगा, वह उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होगा।
ऐसे है कोविंद के पक्ष में आंकड़ों का गणित
राजग उम्मीदवार कोविंद का राष्ट्रपति चुना जाना तय माना जा रहा है। मसलन राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल मतों की संख्या 10,98,903 है और इनमें से बहुमत के लिए 5,49,452 मतों की जरूरत है। कुल मतों में 48.6 फीसदी हिस्सा राजग के घटक दलों का है। यदि कोविंद के नाम पर हां करने के बावजूद राजग की सहयोगी शिवसेना के वोटों का भी छोड़ दिया जाए तो जदयू, बीजद, टीआरएस, अन्नाद्रमुक और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन के साथ फिलहाल राजग उम्मीदवार कोविंद की झोली में बहुमत से भी कहीं ज्यादा 6,82,722 वोट माने जा सकते हैं। मसलन बीजू जनता दल के 36,549, टीआरएस के 23,232, वाईएसआर कांग्रेस के 17,574 के अलावा और जदयू के 20,935, अन्नाद्रमुक के 59,224 वोट भी राजग के पक्ष में हैं। ऐसे में वोटों के गणित भी कोविंद को राष्ट्रपति बनाने का योग दे रहा है। जबकि इसके मुकाबले विपक्षी यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार के पास कुल मिलाकर आधे वोट भी वोट नहीं हैं। मौजूदा समीकरण के लिहाज से यूपीए उम्मीदवार के पास 3,78,458 वोट हैं, जिनमें 1,63,942 कांग्रेस पार्टी, 64,447 तृणमूल कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दलों के 1,50,069 वोट शामिल है। हालांकि इसके अलावा 37,723 वोट वाले कुछ छोटे दलों का रूख स्पष्ट नहीं है। यदि यह अनिर्णित वोट संख्या भी यूपीए के पक्ष में चली जाती है तो भी बहुमत के आंकड़े से कोसो दूर रहेगी।
सांसद व एमएलए मतों का मूल्य
निर्वाचित संसद सदस्यों की कुल संख्या=लोक सभा (543)+राज्य सभा(233)= 776
संसद के 776 सदस्यों के मतों का कुल मूल्य-708 गुणा 776=5,49,408
सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों (4120) के मतों का कुल मूल्य = 5,49,495
दोनों सदनों के वोटों का मूल्य
लोकसभा : 3,84,444
राज्यसभा : 1,64,964
राज्यों में ऐसे होगी वोट की कीमत
देश के राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए गुरुवार को 776 सांसद और 31 राज्यों के 4120 विधायक मतदान करेंगे, जिसमें एक सांसद के मत का मूल्य 708 है, जो राज्यों के विधायकों के मतों के आधार पर आंका गया है। एक विधायक की मत का मूल्य 1971 की जनगणना के आधार पर हर राज्य में अलग-अलग है, जो इस प्रकार है:-
आंध्र प्रदेश : 27,825
अरुणाचल प्रदेश : 480
असम : 14,616
बिहार : 42,039
छत्तीसगढ़ : 11,610
गोवा : 800
गुजरात : 26,754
हरियाणा : 10,080
हिमाचल प्रदेश : 3,468
जम्मू-कश्मीर : 6,264
झारखंड : 14,256
कर्नाटक : 29,344
केरल : 21,280
मध्य प्रदेश : 30,130
महाराष्ट्र : 50,400
मणिपुर : 1,080
मेघालय : 1,020
मिजोरम : 320
नगालैंड : 540
ओडिशा : 21,903
पंजाब : 13,572
राजस्थान : 25,800
सिक्किम : 224
तमिलनाडु : 41,184
तेलंगाना : 15,708
त्रिपुरा : 1,560
उत्तराखंड : 4,480
उत्तर प्रदेश : 83,824
पश्चिम बंगाल : 44,394
दिल्ली : 4,060
पुदुचेरी : 480
राजग और यूपीए का गणित
राजग(भाजपा, शिवसेना, टीडीपी, अकाली दल, लोजपा, पीडीपी, रालोसपा, बीपीएफ, एनपीएफ,अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस, एजीएफ सहित 10 अन्य): 6,82,722
यूपीए(कांग्रेस, तृणमूल, सपा, सीपीआई (एम), बसपा, जदयू, राजद सहित 17 अन्य राजनीतिक दल): 3,78,458
पार्टियों का वोट प्रतिशत
भाजपा : 40 प्रतिशत
तेलुगु देशम पार्टी : 3प्रतिशत
शिवसेना : 2प्रतिशत
अन्य : 12प्रतिशत
अन्नाद्रमुक : 5प्रतिशत
बीजू जनता दल : 3प्रतिशत
सीपीआई (एम) : 2प्रतिशत
तेलंगाना राष्ट्र समिति : 2प्रतिशत
वाईएसआर कांग्रेस : 2प्रतिशत
तृणमूल कांग्रेस : 6प्रतिशत
द्रमुक : 2प्रतिशत
जदयू : 2प्रतिशत
राजद : 2प्रतिशत
सपा : 2प्रतिशत
कांग्रेस : 15प्रतिशत
व्हिप जारी करने की मनाही
कोई भी राजनीतिक दल अपने सांसदों और विधायकों को किसी प्रत्याशी के लिए वोट करने का व्हिप नहीं जारी कर सकता है। कोई भी मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकता है, क्योंकि उसे राष्ट्रपति ही राज्यसभा के लिए नामित करता है।

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