शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ी संसद की कार्यवाही



राज्यसभा में भड़कीं मायावती ने दिया इस्तीफा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के मानसून सत्र में दूसरे दिन की कार्यवाही विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। लोकसभा की कार्यवाही जहां दोपहर ही पूरे दिन के लिए स्थगित की गई, तो वहीं राज्यसभा में दलित मुद्दे पर मायावती के समर्थन में विपक्षी दलों की नारेबाजी व हंगामे के कारण चार बार स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेरते हुए अलग-अलग मुद्दों पर नारेबाजी कर हंगामा किया। लोकसभा में कार्यवाही शुरू होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू कराने को कहा तो कांग्रेस, तृणमूल और वामदलों के अलावा अन्य विपक्षी दलों ने अपने अपने मुद्दे उठाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए गौरक्षकों की गुंडागर्दी, किसानों की कर्जमाफी और देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और घाटी के हालातों जैसे मामलों को उठाना शुरू कर दिया। हालांकि इससे पहले महाजन ने छत्तीसगढ़ के सुकमा में सुरक्षा बलों नक्सली हमले, पूर्वोत्तर में बाढ़ के कारण मारे गये लोगों के अलावा ब्रिटेन और काबुल में आतंकी हमलों से सदन को अवगत कराया और सदन ने श्रद्धाजंलि दी। लेकिन हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया। इसके बाद शुरू हुई कार्यवाही के बावजूद भी यही आलम रहा, लेकिन हंगामे के बीच आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये गये और वहीं तीन महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किये गये, जिसके बाद सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
दलित मुद्दे पर अटकी रही राज्यसभा
राज्यसभा की मंगलवार को कार्यवाही शुरू होते ही जहां उपसभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये, लेकिन उसके तुरंत बाद नियम 267 के तहत नोटिस के तहत बसपा सुप्रीमो मायावती ने देशभर में दलित अत्याचारों का मामला उठाया, जिसके लिए उन्हें तीन मिनट का समय दिया गया था, लेकिन समय पूरा होने पर जब उपसभापति पीजे कुरियन ने उन्हें बैठने को कहा तो वह भड़क उठी और पीठ पर सवाल खड़े करते हुए आक्रोश में सदन से इस्तीफा देने की धमकी देते हुए सदन से बाहर चली गई। इसके बाद जब प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद को बोलने को कहा गया तो उन्होंने दलित मुद्दे पर बोलने से रोकने पर मायावती का समर्थन ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस सदस्यों ने भी सदन से वाकआउट कर दिया। जबकि बसपा के अन्य सदस्य आसन के करीब आकर नारेबाजी कर हंगामा करते रहे। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे,फिर दो बजे, तीन बजे और उसके बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले कार्यवाही शुरू हाने पर बार बार कांग्रेस सदस्यों ने आसन के करीब आकर सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की।
उपसभापति के साथ तीखी बहस
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान दलित मुद्दे पर बोल रही मायावती को जब समय पूरा होने पर रोका गया तो वह अचानक भड़क उठी और और पीठ से अपनी बात पूरी करने की अपील करने लगी। इस पर उप सभापति ने कहा कि आपको तीन मिनट ही बोलना था और उससे ज्यादा समय बोल चुकी है इसलिए अब बैठ जायें। इस पर उप सभापति और मायावती के बीच तीखी बहस शुरू हो गई, जिसके बाद माया के बगल में बैठे जदयू नेता शरद यादव व सीताराम येचुरी ने मायावती को और समय देने की बात कही, लेकिन तबतक मायावती पीठ और सरकार पर कई आरोप लगाकर निशाने साध चुकी थी। इस पर सत्ता पक्ष की ओर से संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पीठ का अपमान करने पर मायावती से माफी मांगने तक भी कह दिया। इससे मायावती इस्तीफा देने की धमकी देते हुए सदन से बाहर चली गई।

माया ने दिया राज्यसभा से इस्तीफा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
बसपा सुप्रीमों एवं राज्यसभा सदस्य मायावती ने सदन में दलित मुद्दे पर विस्तार से बोलने से रोकने के लिए उप सभापति पीजे कुरियन के रवैये से खफा होकर अपना लिखित इस्तीफा राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को सौंप दिया है। राज्यसभा के  सभापति को इस्तीफे के रूप में भेजे तीन पेज के पत्र में उन्होंने मंगलवार को उच्च सदन में पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया है।
सभापति को भेजे गये इस्तीफे में मायावती ने स्पष्ट किया है कि बसपा द्वारा नियम 267 के तहत कार्य स्थगन का नोटिस देकर सभी कार्यवाही को रोककर देशभर में दलितों पर हो रहे अत्याचारों खासकर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में हुए दलित उत्पीड़न व हत्या के मामले पर चर्चा कराने की मांग की। पीठ से मिली अनुमति के बाद भी वह तीन मिनट ही बोली थी कि उप सभापति ने उन्हें बैठने के लिए कहना शुरू कर दिया। मायावती ने अफसोस जाहिर करते हुए लिखा है कि उप सभापति की ओर से सत्ता पक्ष के लोगों को शांत करने के बजाए उन्हें बोलने रोककर बैठने के लिए कह जाता रहा। सदन में दलितों के मामले पर बोलने से इस प्रकार रोके जाने के कारण वह समझती है कि उनका राज्यसभा की सदस्य बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। मायावती ने सभापति से अनुरोध किया है कि उनके इस्तीफे को स्वीकार करने का कष्ट करें। अभी मायावती का राज्यसभा में दो अप्रैल 2018 तक का कार्यकाल बचा हुआ है।
19July-2017

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