गुजरात व हिमाचल
चुनाव में हो सकेगा इस्तेमाल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारतीय चुनाव
प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर राजनीतिक दलों की आलोचना से
घिरे केंद्रीय चुनाव आयोग को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीदें हैं। मसलन आने वाले दो
माह के भीतर आयोग को 30 हजार नई वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीनों
के मिल जाएंगी। इन मशीनों का इस्तेमाल इसी साल गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव होने
के आसार बढ़ गये हैं।
चुनाव आयोग
के सूत्रों के अनुसार आयोग के पास पहले से ही 53,500 वीपैट मशीनें हैं, जिनका इस्तेमाल
कई चुनावों में कुछ चुनिंदा मतदान केंद्रों पर किया गया है। आयोग ने केंद्र सरकार से
16 लाख से ज्यादा वीवीपीएटी मशीनों को खरीदने का अनुरोध किया था। केंद्र सरकार ने आयोग
के प्रस्ताव को मानते हुए ऐसी नई वीवीपीएटी मशीनों की खरीद की मंजूरी के साथ धनराशि
भी जारी कर दी थी। इन मशीनों का निर्माण करने वाली कंपनियों ने आयोग के आर्डर पर
30 हजार वीवीपीएटी मशीनों का तैयार कर लिया है, जिनका परीक्षण किया जा रहा है और आने
वाले एक-डेढ़ माह के भीतर ये मशीनें आयोग को मिल जाएंगी। सूत्रों के अनुसार गुजरात
में करीब 70 हजार और हिमाचल प्रदेश में करीब 15 हजार मशीनों की जरूरत पड़ेगी और 30
हजार नई वीवीपीएटी मशीने मिलने पर आयोग इन दोनों राज्यों में इनका प्रयोग कर सकता है।
यानि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में 100 फीसदी पेपर ट्रायल आधारित
चुनाव कराना संभव हो जाएगा।
16 लाख से ज्यादा मशीनों की होगी खरीद
आयोग के सूत्रों
के अनुसार चुनाव आयोग का लक्ष्य आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव वीवीपीएटी मशीनों के जरिए
कराने का है,जिसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने करीब 16.15 लाख नई वीवीपीएटी मशीने खरीदने
के प्रस्ताव के साथ केंद्र सरकार को 3,174 करोड़ रुपये की धनराशि मुहैया कराने का अनुरोध
किया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आयोग की सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार ने आयोग के इस प्रस्ताव को गत 19 अप्रैल
में मंजूरी दते हुए 3147 करोड़ रुपए धनराशि को भी मंजूरी दे दी थी। इस मंजूरी के मिलते
ही आयोग ने मतदान के बाद पर्ची देने वाली नई वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट (वीवीपीएटी)
मशीनें खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, जिसमें से 30 हजार मशीनों की खेप जल्द मिलते
ही आयोग इसी साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी शत प्रतिशत
इस्तेमाल करने में चुनाव आयोग सक्षम हो जाएगा।
दरअसल देश
में ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड करती हैं। वीवीपीएटी एक तरह का प्रिंटर होता है, जिसे
ईवीएम से जोड़ा जाता है। इससे मतदान के बाद संबंधित पार्टी के चुनाव चिन्ह की एक पर्ची
निकलती है, जिसे देखकर मतदाता इस बात से संतुष्ट हो जाएगा कि उसने जिसे वोट दिया है,
वह वोट उसे मिला है या नहीं। मतदाता को प्राप्ति पर्ची को देखने के लिए सात सेकेंड
का समय दिया जाएगा, जिसके बाद उस पर्ची एक डिब्बे में डालकर जमा कर लिया जाएगा।
विपक्ष ने ईवीएम पर उठाए थे सवाल
गौरतलब है
कि केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव को ऐसे समय मंजूरी दी थी, जब यूपी, पंजाब,
उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के चुनाव में हार से बौखलाए 16 विपक्षी दलों ने ईवीएम
में गड़बड़ी को लेकर सवाल ही नहीं उठाए थे, बल्कि सड़क से संसद तक बवाल मचाया। यही नहीं ईवीएम में गड़बड़ी की संभावनाओं को खारिज
करने वाले चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों को ईवीएम में गड़बड़ी साबित करने का मौका भी
दिया, लेकिन दो दलों के अलावा ज्यादातर दलों ने अपने कदम वापस खींच लिए थे। अब विपक्षी
दलों की ओर से भविष्य में चुनाव के दौरान ईवीएम के साथ पेपर ट्रेल मशीन के उपयोग होने
से आशंकाओं को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने वीवीपीएटी मशीनों के इस्तेमाल पर जोर
दिया है।
09July-2017
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