शनिवार, 8 जुलाई 2017

गरीबों के निवाले पर मेहरबान सरकार

अगले साल जून तक नहीं बढ़ेंगे अनाज के दाम
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत गरीब परिवारों को दिये जा रहे सस्ते अनाज के दामों में संशोधन करने की प्रक्रिया को अगले साल जून 2018 तक टालने  का निर्णय लिया है।
यह जानकारी शुक्रवार को केंद्रीय उपभोक्ता एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने देते हुए कहा कि गत पांच जुलाई 2013 को लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबी के पात्र परिवारों को एक रुपये प्रति किलो की दर से मोटा अनाज, दो  रुपये प्रति किलो की दर पर गेंहू और तीन रुपये प्रति किलों की दर से चावल वितरित किया जा रहा है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार हर तीसरे साल इन उत्पादों के दामों में संशोधन किया जाना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार ने गरीबों के हितों को देखते हुए इन चार सालों यानि जून 2017 तक भी इनके दामों में कोई बदलाव नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देशभर में मिलने वाले अनाज के जारी दामों में जून 2018 तक भी कोई बदलाव न करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले से इस अधिनियम के तहत देशभर में 80 करोड़ 55 लाख गरीब लोगों को और एक वर्ष तक इसका फायदा मिलता रहेगा।
राशन की दुकानों में आरक्षण की वकालत
केंद्रीय मंत्री पासवान ने राज्य सरकारों द्वारा अनाज के वितरण के लिए संचालित राशन की दुकानों के लाइसेंस जारी करने में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण की वकालत की है। उन्होंने बताया कि इसके लिए उनके मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों को पत्र लिखे हैं। उन्होंने बताया कि देशभर में पांच लाख 28 हजार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाइसेंस के तहत राशन की दुकाने हैं। केंद्र सरकार के लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 के अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली और उसके माध्यम से सस्ती दर पर अनाज की योजना समाज के गरीब और उपेक्षित वर्ग पर केन्द्रित है। इसलिए राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया है कि वह राशन की दुकानों के लाइसेंस जारी करते समय अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों अथवा उनके समूह या संगठनों को आरक्षण नीति के अनुसार प्राथमिकता दें।
ऑनलाइन खरीददारी पर लागू नियम
विधिक माप विज्ञान (पैक बंद वस्तुएं) नियम 2011 में संशोधन करते हुए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर बिक्री की जाने वाली वस्तुओं के लिए पैकबंद वस्तुओं के नियमों में अपेक्षित घोषणाओं का उल्लेख किया जाना अनिवार्य किया गया है। खाद्य वस्तुओं के लिए इन नियमों के तहत की जाने वाली घोषणाओं को फस्साई के प्रावधानों के साथ मिला दिया गया है। अब खाद्य वस्तुओं के पैक पर लीगल मैट्रोलॉजी संबंधी मात्र 3 घोषणाएं, यथा एमआरपी, नेट-क्वांटिटी और उपभोक्ता सहायता संबंधी विवरण के लिए अक्षरों और अंकों के आकार प्रदर्शित करने का अनुपालन करना होगा। अनिवार्य घोषणा करने के लिए अक्षरों और अंकों का आकार बढ़ा दिया गया है, ताकि उपभोक्ता उसे आसानी से पढ़ सकें।
निगरानी करेगी समिति
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद उद्योग जगत को उपभोक्ताओं के हित में उत्पादों के कम हुए दामों का लाभ देने की हिदायत दे दी गई है। वहीं मंत्रालय ने जीएसटी व्यवस्था एवं उद्योग जगत का मार्गदर्शन करने के लिए एक जीएसटी सुविधा प्रकोष्ठ की स्थापना की है। इस चार सदस्यीय प्रकोष्ठ की अध्‍यक्षता आर्थिक सलाहकार बिजय कुमार बेहरा करेंगे, जबकि और वरिष्ठ विपणन अधिकारी जी. श्रीनिवासन, सहायक निदेशक एसएन अहमद, सहायक निदेशक बिक्रम नाथ इसके सदस्य होंगे। यह प्रकोष्ठ मंत्रालय से संबंधित किसी भी क्षेत्र के समक्ष आ रहे मसलों को सुलझाने के लिए कार्य करेगा और वहीं जीएसटी कानून, नियमों, दर संरचना आदि से संबंधित संपूर्ण जानकारी देने का दायित्व इनके पास होगा। इस प्रकोष्ठ के लिए टोल फ्री नम्बर 1800111175 जारी किया गया है। मंत्रालय जीएसटी के बारे में उद्योग जगत को जानकारी प्रदान करने के लिए कई कार्यक्रमों के आयोजन की प्रक्रिया में है और उसने नई कर व्‍यवस्‍था के बारे में जानकारी का प्रसार करने के लिए विचार गोष्ठियों के आयोजन की योजना भी तैयार की है।
हेल्पलाइन केंद्रों की संख्या बढ़ाई
पासवान ने कहा कि मंत्रालय ने उत्पादकों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं द्वारा वस्तुओं की कीमतें अधिक वसूले जाने की शिकायतों के निपटारे के लिए उपभोक्ता हैल्पलाइन केंद्रों की संख्या को 14 से बढ़ाकर 60 कर दिया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हैल्पलाइन का नम्बर 14404 है। उन्होंने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद अभी तक राष्ट्रीय उपभोक्त हेल्पलाइन पर  जीएसटी को लेकर 771 शिकायतें मिली हैं। पासवान ने कहा कि अगर ग्राहक पाता है कि किसी वस्तु पर जीएसटी के बाद बदली हुई कीमत प्रदर्शित नहीं है तो वह हैल्पलाइन के जरिए शिकायत दर्ज करवा सकता है।

एमआरपी को लेकर सख्त सरकार
पासवान ने कहा कि खाद्य वस्तुओं के पैक पर एमआरपी, नेट-क्वांटिटी और उपभोक्ता सहायता संबंधी विवरण के लिए अक्षरों और अंकों के आकार प्रदर्शित करने का अनुपालन करना होगा। उन्होंने जानकारी दी कि पूर्व से निर्मित, पैकबंद अथवा न बिकी हुई वस्तुओं पर जीएसटी के कारण कर की बढ़ी दर, यदि कोई हो, को शामिल करते हुए 30 सितम्बर, 2017 तक 3 माह की अवधि के लिए परिवर्तित खुदरा बिक्री मूल्य की घोषणा की जा सकती है। सरकार ने ऐसी परिवर्तित खुदरा बिक्री मूल्य की घोषणा, मोहर लगा कर अथवा स्टीकर चिपका कर या ऑनलाइन करने की अनुमति दी है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि अधिकतम खुदरा मूल्य संबंधी यह घोषणा पहले से छपे अधिकतम खुदरा मूल्य के अतिरिक्त होगी। दोहरे अधिकतम खुदरा मूल्य के संबंध में स्थिति को और अधिक स्पष्ट करने के लिए नियमों में विशेष उल्लेख किया गया है कि कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित व्यापार पद्धति या व्यापार के अनुचित तरीके अपनाकर, जैसा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में परिभाषित किया गया है, पहले से पैकबंद एकसमान वस्तुओं के लिए अलग-अलग एमआरपी घोषित नहीं करेगा। उद्योगों के हित में निवल मात्रा की जांच को और अधिक वैज्ञानिक बनाया गया है।
08July-2017

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