शनिवार, 26 मार्च 2016

जल संकट :भारत को रास अाई इजराइल की तकनीक

भारत में बाढ़ और सूखे की स्थिति से निपटने तैयारी
4 अप्रैल से अंतर्राष्ट्रीय 'भारत जल सप्ताह' में होगा मंथन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनिया में पानी को लेकर बन रही भयावह स्थिति से निपटने के लिए हरेक देश जल संरक्षण की दिशा में तकनीक का सहारा लेने का प्रयास कर रहा है। खासकर भारत में बाढ़ और सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार की कई परियोजनाएं पटरी पर है, लेकिन भारत को जल संरक्षण की दिशा में इजराइल की तकनीक ज्यादा रास आ रही है, जिसके सहारे देश में बाढ़ और सूखे से निपटने की तैयारी हो रही है।
दरअसल यहां नई दिल्ली में आगामी चार से आठ अप्रैल तक अंतर्राष्टÑीय स्तर पर ‘वाटर फॉर आल-स्ट्रीविंग टोगेदर’ यानि 'सबको—पानी एक साथ प्रयास' थीम पर आयोजित चौथे भारत जल सप्ताह में देश विदेश के करीब 1500 प्रतिनिधि शिरकत करेंगे,। इस आयोजन में इजराइल साझीदार देश के रूप में शामिल है। जबकि गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और तेलंगाना राज्यों की साझेदारी भी महत्वपूर्ण रहेगी। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती का कहना है कि सरकार का प्रयास है कि सबको पानी मिले और किसानों की सिंचाई के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में मुहैया हो, इसके लिए इजराइल की तकनीक से सबक लेना जरूरी होगा, जहां गंदे पानी को साफ करके उसे खेती की सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है। उमा भारती ने कहा कि इस समारोह का उद्घाटन चार अप्रैल को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटल और समापन आठ अप्रैल को राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी करेंगे। उमा भारती ने सरकार के प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि देश में जल संरक्षण और पानी दोहन को लेकर नदियों और अन्य जल संबन्धी निकायों के प्रति संवेदना के साथ लोगों में जागरूता के जरिए परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा रहा है। जल संबन्धी प्रौद्योगिकियों, नवीनतम विकास और समाधान कृषि और सिंचाई, जल आपूर्ति और ऊर्जा उत्पादन क्षमता में सुधार के लिए इस आयोजन में देश-विदेश के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श करने का यही मकसद होगा। इस आयोजन में अफ्रीकी देशों समेत करीब दो दर्जन देशों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।
वाटर एक्सपो
इस समारोह के तहत प्रगति मैदान में कृषि और सिंचाई क्षेत्र में सतत विकास के लिए जल प्रबंधन के उपलब्ध उपायों और हालिया विकास, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति, औद्योगिक जल के उपयोग और विभिन्न तकनीकी को दर्शातो हुए प्रदर्शनी का भी आयोजन होगा। इस प्रदर्शनी से प्रदर्शकों को विभिन्न देशों के जल संसाधन क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों तक व उत्पाद और सेवाएँ पहुँचाने के लिए एक प्रकार से नेटवर्किंग के अवसर उपलब्ध होंगे।
मध्य प्रदेश ने समझा महत्व
मप्र के उन्नतशील किसानों ने इजराइल के तेल अबीब शहर में पिछले साल हिस्सा लेकर खेत में पानी और तकनीक को समझा और उसे अपना शुरू किया। मलसन इजराइल का किसान संपन्न होने के साथ-साथ दुनिया में मॉडल इसलिए बन गया है क्योंकि वहां अशुद्ध पानी को शुद्ध कर उसे खेती के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इतना ही नहीं पानी की सुरक्षा और उसके प्रति संरक्षण का अभाव वहां के किसानों में बेहद है। वहां की सरकार किसानों को सड़क, पानी और बिजली पहुंचा रही है। किसान इसलिए समृद्ध होते जा रहा है। धार जिले के धामनोद क्षेत्र के उन्नत कृषक राम पाटीदार एक ऐसे किसान है जिन्होंने जलसंवर्धन व पर्यावरण के प्रति महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
देश में मौजूद हैं अपार संभावनाएं
सुश्री भारती ने कहा कि देश में नदी बेसिनों में उपलब्ध जल की मात्रा में व्यापक अन्तर को पाटने के लिए सरकार की नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाएं बाढ़ और सूखे से निपटने में सक्षम होंगी। जहाँ एक ओर गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदी बेसिनों में जल की भरमार है, वहीं दूसरी ओर प्रायद्वीपीय भारत के बेसिनों में जल की भारी किल्लत देखने को मिलती है। इन परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार ने अधिक जल वाले बेसिनों से कम जल वाले बेसिनों में जल के हस्तान्तरण के लिए अटल सरकार ने अन्तर बेसिन जल हस्तान्तरण कार्यक्रम की परिकल्पना की थी, जिसे आगे बढ़ाया जा रहा है। केन-बेतवा लिंक परियोजना अंतिम चरणों में हैं।
26Mar-2016

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