मंगलवार, 29 मार्च 2016

उत्तराखंड के बाद मणिपुर में बढ़ी कांग्रेस की मुश्किलें

राज्य की कांग्रेस सरकार में विद्रोह की सुगबुगाहट शुरू
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद मणिपुर में भी कांग्रेस सरकार के सामने राजनीतिक संकट की सुगबुगाहट शुरू हो गई है, जहां कांग्रेस के 25 असंतुष्ट विधायक मुख्य मंत्री ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी ऐसी स्थिति के लिए हलकान नजर आए, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करके राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की।
दरअसल भाजपा की ओर से बार-बार देश को कांग्रेसमुक्त बनाने के लिए आ रहे बयानों के बाद पहले अरुणाचल प्रदेश और फिर उत्तराखंड में राजनीतिक संकट के चलते कांग्रेस को संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है। एक दिन पहले ही उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद केंद्र सरकार और कांग्रेस के बीच जंग और तेज हो गई है। लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस की मणिपुर के राजनीतिक संकट को लेकर चिंताओं के बीच मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान उत्तराखंड से सबक लेते हुए अब मणिपुर के प्रति सतर्कता बरत रही है। इसका कारण साफ है कि उत्तराखंड के बाद अब मणिपुर में राजनीतिक संकट गहरा सकता है, क्योंकि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में 47 में से कांग्रेस के 25 असंतुष्ट विधायक मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलकर भाजपा में शामिल होने तक की धमकी दे रहे हैं। इन बागी विधायकों ने राज्य के कुछ मंत्रियों को हटाए जाने को लेकर विरोध जताते हुए मांग की है कि मुख्यमंत्री बागी विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल करके विस्तार करें। इस प्रकरण पर कांग्रेस हाईकमान ने इबोबी सिंह को दिल्ली बुलाया था और बागियों के साथ समझौता करने के संकेत दिये गये हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस के हुए राजनीतिक पतन के मद्देनजर कांग्रेस हाईकमान मणिपुर में ऐसे विवाद से निपटना चाहती है। हालांकि मणिपुर के प्रभारी महासचिव वी नारायणसामी का मणिपुर में मुद्दों को सुलझाने का दावा किया जा रहा है। गौरतलब है कि 2014 के आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत की बात की थी, जिसकी शुरूआत हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस का हलकान होना स्वाभाविक है।
हिमाचल प्रदेश भी हलकान
उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ विधायकों की बगावत के बाद बीती रात ही राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है, तो ऐसी ही स्थिति से दो-चार होने से पहले तथाकथित भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंसे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज सोमवार को नई दिल्ली आकर सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करके राज्य के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की, जो पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि केंद्र सरकार उनकी सरकार गिराने के प्रयास में है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भाजपा और उसके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वह राज्यों की कांग्रेस सरकार गिराने का प्रयास कर रही है। उन्होंने एक दिन पहले एक जनसभा के दौरान यह आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार की नजरें हिमाचल सरकार गिराने पर टिकी हुई है। इसके लिए केंद्र सरकार विभिन्न जांच एजैंसियों का सहारा ले रही है। हिमाचल विधानसभा की 68 सीटों में 36 सीटों के साथ कांग्रेस सत्ताा में है, जबकि भाजपा के 26 और छह निर्दलीय विधायक हैं। मसलन उत्तराखंड दोहराने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
इन राज्यों में कांग्रेस सरकार
देश में फिलहाल सात राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, जिनमें सबसे बड़ा राज्य कर्नाटक है, और असम व केरल में अगले महीने विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, बाकी बचे मिजोरम, मणिपुर, मेघालय और हिमाचल जैसे छोटे राज्यों में कांग्रेस की सत्ता है। कांग्रेस की चिंताएं इसलिए बढ़ रही हैं कि एक-एक करके कांग्रेस राज्यों की सरकारों का पतन हो रहा है और अरुणाचल व उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है।
29Mar-2016

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