गुरुवार, 17 मार्च 2016

संसंद में आधार को मिला "कानूनी आधार"

रास में संशोधनों को खारिज कर लोस में आधार विधेयक दोबारा पास  
राज्यसभा में चर्चा के दौरान जमकर हुई चिकचिक!
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
लोकसभा में पारित होकर राज्यसभा में पेश किये गये आधार विधेयक पर चर्चा के बाद कांग्रेस सहित विपक्ष की ओर से पांच संशोधन पेश किए गए, जिसे उच्च सदन ने स्वीकार करके लोकसभा को वापस भेज दिया। इसके कुछ ही देर बाद सरकार इस विधेयक को लोकसभा में वापस लेकर आई और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उच्च सदन में विपक्ष के दबाव में एक से लेकर पांच तक के संशोधनों को घातक बताते हुए उन्हें अस्वीकार करने का निचले सदन से आग्रह किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। 
 लोकसभा में पारित होकर राज्यसभा में पेश किये गये राज्यसभा में आधार विधेयक पर चर्चा के बाद लाये गये संशोधन मंजूर कर लिये गये हैं, जिसके कारण राज्यसभा में आधार विधेयक पर हुई चिकचिक के साथ हुई जोरदार बहस हुई, जिसके बाद विपक्षी दलों की ओर से कई संशोधन पेश किये गये। मत विभाजन की मांग पर संशोधनों पर सरकार को पराजय का सामना करना पड़ा। मसलन कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश द्वारा लाये गये संशोधनों के पक्ष में ज्यादा वोट पड़े यानि संशोधनों के पक्ष में 74 और विरोध में 64 वोट पड़े। इन संशोधनों को पारित कर उच्च सदन ने आधार को वापस लोकसभा को लौटा दिया। राज्यसभा में पारित हुए संशोधनों को कुछ ही देर बाद लोकसभा में वापस लेकर आई और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उच्च सदन में विपक्ष के दबाव में एक से लेकर पांच तक के संशोधनों को घातक बताते हुए उन्हें अस्वीकार करने का निचले सदन से आग्रह किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इन संशोधन में आधार को स्वीकार करने की बाध्यता को भी हटा दिया गया था। कांग्रेस ने कहा कि वह इस मुद्दे पर कोर्ट जा सकती है।
पात्र लोगों तक पहुंच सकेगी सरकारी सब्सिडी: केंद्र
इससे पहले बुधवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में राज्यसभा में आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) विधेयक-2016 पेश किया, तो विपक्षी दलों खासकर सपा नेता नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था का प्रश्न और माकपा नेता सीताराम येचुरी मामले के अदालत में विचाराधीन होने के कारण कानून बनाने पर सवाल खड़े किए। हालांकि वित्तमंत्री ने विपक्ष की आशंकाओं को दूर किया। वहीं कहा कि यह मनी बिल के तौर पर इसलिए पेश किया गया है, क्योंकि यूआईडीए के तहत यह सिर्फ व्यक्ति की पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि सरकार इसके आधार पर देश के खजाने से निकलने वाले सब्सिडी के पैसे को सही तरीके से खर्च कर पाएगी और सब्सिडी का फायदा सही लोगों तक पहुंच पाएगा। अरुण जेटली ने यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष इस बिल के मनी बिल होने को लेकर संतुष्ट हैं और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। जेटली ने कहा कि आधार नंबर का विचार यूपीए के दौर में आया, जो एक अच्छा विचार है हालांकि तब हमारे दल के कई लोगों ने भी इस पर ऐतराज जताए थे, लेकिन जब नए विचार आते हैं तो उनका विरोध भी होता ही है।
निजता नहीं होगी भंग
वामदलों व अन्य दलों की आशंका को दूर करते हुए जेटली ने कहा कि इस बिल के तहत व्यक्तिगत गोपनीयता भंग नहीं होगी। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि इस विधेयक में निजता को सुरक्षित रखने के कड़े प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक पूरी तरह से अलग है। उन्होंने कहा कि निजता एक पूर्ण अधिकार नहीं है। यह एक ऐसा विषय है, जिसे एक कानून के द्वारा प्रतिबंधित किया जा सकता है। उन्होंने आधार को कानूनी चुनौती दिये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि संसद कानून बनाने के अपने अधिकार को नहीं खो सकती है।
सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा हित होंगे साझा
जेटली ने कहा कि इस विधेयक इसके तहत जो डेटा है उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के अलावा किसी और चीज के लिए किसी भी हाल में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। जेटली ने कहा कि कोई व्यक्ति खुद अपनी मर्जी से अगर अपनी पहचान साझा करना चाहता है, तो कर सकेगा, लेकिन उसका कोर बायोमीट्रिक डेटा उसकी खुद की मंजूरी के बाद भी साझा नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में जानकारी साझा करने का फैसला एक अथॉरिटी करेगी जिसका मुखिया सरकार में वरिष्ठ स्तर का एक अधिकारी होगा और उसके फैसलों की समीक्षा कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनी कमेटी करेगी। जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार ने कार्यपालिका के आदेश के जरिए विशिष्ट पहचान संख्या प्राधिकरण (यूआईडी) का गठन किया था। हमारी सरकार इसे कानूनी जामा पहना रही है।
न्यायालय को केवल समीक्षा का अधिकार
अरुण जेटली ने सीपीएम सांसद सीताराम येचुरी के उस ऐतराज को भी खारिज किया, जिसमें यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण इस पर संसद में बहस नहीं की जा सकती। जेटली ने स्पष्ट किया कि न्यायालय में किसी फैसले के विचाराधीन होने का मतलब यह नहीं है कि संसद उस पर कानून बनाने का अपना हक खो दें। दरअसल सदन में सपा नेता नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि आधार विधेयक को मनी बिल के रूप में पेश करना गैर संवैधानिक है। सीताराम येचुरी ने कहा कि आधार का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। एक पांच सदस्यीय पीठ इस पर विचार कर रही है। इसलिए संसद इस विधेयक पर कानून नहीं बना सकती है। सुप्रीम कोर्ट इस कानून को अवैध ठहरा सकता है।
प्रवर समिति को भेजने की मांग
उच्च सदन में बुधवार को भी कांग्रेस ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक बनाने की मांग करते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मसला है इसलिए आधार विधेयक 2016 को सदन की प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए। यह मांग बुधवार को आधार विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आधार को जरूरी मानती है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मामला है और सरकार को इस पर हडबड़ी नहीं करनी चाहिए। यह मात्र एक पहचान पत्र है और इस आगे इसका दायरा नहीं बढाया जाना चाहिए।
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बॉक्स
जेटली ने यूं दिया जवाब
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली। राज्यसभा में आधार बिल पर वित्तमंत्री और भाकपा नेता सीताराम येचुरी के बीच चले आरोप-प्रत्यारोप की बहस के बीच एक समय ऐसा आया जब जेटली ने चंद पंक्तियों से अपने अंदाज में दिया, तो सदन का माहौल खुशनुमा नजर आया। दरअसल आधार बिल पेश करते ही भाकपा नेता सीताराम येचुरी ने आरोपों की झड़ी लगा दी तो जेटली ने अपनी जेब से एक कागज निकाला और बोले कि कुछ पंक्तियां मुझे किसी गुमनाम रूप से भेजी गई है। पूरे सदन की जिज्ञासा इन पंक्तियों को सुनने की हुई तो जेटली ने येचुरी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ‘आप बोलें तो अभिव्यक्ति की आजादी और मैं बोलूं तो असहिष्णुता’ इतना कहते ही यह कागज फिर जेटली की जेब में समा गया। येचुरी ने इन पंक्तियों के लेखक का नाम भी जानना चाहा, तो उन्होंने इसका मतलब भर ही बताया कि अगर आप मेरी आलोचना करें, तो यह आपकी अभिव्यक्ति की आजादी और अगर मैं आपकी आलोचना करूं तो ये मेरी असहिष्णुता। ऐसा ये दोहरा मापदंड कैसे चलेगा?
17Mar-2016


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