बुधवार, 23 मार्च 2016

राज्यसभा में निर्मूल साबित हुआ उलटफेर!

छह राज्यों की 13 सीटों के नतीजे
एक सीट के घाटे में भाजपा, कांग्रेस व जदयू को बढ़त
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राज्यसभा में अगले माह छह राज्यों की रिक्त होने वाली 13 के लिये चुनाव प्रक्रिया पूरी होने पर जो तस्वीर उभरकर आई है, उसमें जिस तरह के उलटफेर होने की उम्मीदें की जा रही थी, वे पूरी तरह से निर्मूल साबित हुई। इसके विपरीत उच्च सदन की फिलहाल जो दलीय स्थिति सामने आई है, उसमें भाजपा को हिमाचल की एक सीट गंवानी पड़ी, तो वहीं वामदलों के तालमेल से केरल में जनतादल-यू ने अपना कुनबा बढ़ा लिया है। हालांकि भविष्य में उच्च सदन की रिक्त होने वाली सीटों पर सत्तापक्ष का पलटा भारी होना तय माना जा रहा है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने अगले महीने उच्च सदन में छह राज्यों की खाली होने वाली 13 सीटों के लिए मतदान प्रक्रिया की औपचारिकताएं पूरी कराई, जिसमें असम की दो सीटों पर हुए चुनाव में एक सीट पर भाजपा की उम्मीदें टिकी हुई थी, लेकिन कांग्रेस ने प्रत्याशियों के चेहरे बदलकर उन्हें अपने कब्जे से निकलने नहीं दिया। मसलन असम से अब पंकज बोरा व नाजिन फारूख के स्थान पर कांगे्रस के रिपुन बोरा और राने नाराह नजर आएंगी, जिन्होंने उद्यमी महाबीर प्रसाद जैन को शून्य पर दौड़ से बाहर कर दिया। इसके अलावा अन्य सीटों पर सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुनकर राज्यसभा में दाखिल होने वाले हैं। सोमवार को त्रिपुरा की सत्ताधारी पार्टी माकर्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की झरना दास वैद्य ने भी कांग्रेस के ज्योतिर्मय नाथ को हराकर एक बार फिर राज्यसभा में वापसी कर ली है। जबकि दो अप्रैल को अपना कार्यकाल पूरा कर रही भाजपा की बिमला कश्यप के स्थान पर पहले ही कांग्रेस के आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश की सीट निर्विरोध हासिल करके उच्च सदन में वापसी कर ली है। केरल की तीन सीटों में कांग्रेस के एके एंटोनी के अलावा वामदलों की दो सीटों में एक सीपीएम के के. सोमप्रकाश तथा दूसरी जद-यू के एमपी वीरेन्द्र कुमार निर्विरोध राज्यसभा में दाखिल हुए। नागालैंड की खेकिहो झिमोनी के निधन से रिक्त सीट पर एनपीएफ के केजी केन्यी भी निर्विरोध चुने गये।
पंजाब से तीन नए चेहरे
उच्च सदन में आगामी नौ अप्रैल को रिक्त होने वाली पांच सीटों में कांग्रेस व शिरोमणि अकाली दल की दो-दो तथा भाजपा की एक सीट बरकरार रही। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया में कुछ बदला है तो कांग्रेस और भाजपा ने चेहरे बदले हैं। मसलन भाजपा ने रिटायर हो रहे अविनाश खन्ना के बजाय श्वेता मलिक, तो कांग्रेस ने पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार और मनोहर सिंह गिल के स्थान पर प्रताप सिंह बाजवा तथा प्रताप सिंह दूलो को राज्यसभा में निर्विरोध राज्यसभा में दाखिल किया है। जबकि शिरोमणि अकाली दल के सुखदेव ढींढसा और नरेश गुजराल की फिर से राज्यसभा में वापसी कराई है।
यहां टिकी भाजपा की उम्मीदें
राज्यसभा में सदन में सात सीटें मनोनीत सदस्यों की भी रिक्त हो जाएंगी, जिनके लिए अगले महीनों में सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा मनोयन किया जाना है। कांग्रेस सरकार की सिफारिश पर मनोनीत सदस्यों मणिशंकर अय्यर, जावेद अख्तर, बी. जयश्री, मृणाल मिरी और बालचंद्र मुंगेकर का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इससे पहले दो मनोनीत सदस्य अशोक गांगुली और एचके दुआ कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। जाहिर सी बात हे कि इन सात मनोनीत सदस्यों का मनोयन सत्तापक्ष के लिए सदन में फायदेमंद ही साबित होगा। हालांकि मनोनीत सदस्यों पर सत्ता या विपक्ष की ओर से कोई दबाव मायने नहीं रखता।
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इनकी हुई वापसी-कांग्रेस के एके एंटोनी, आनंद शर्मा, अकाली दल के सुखदेव ढींढ़सा व नरेश गुजराल, माकपा की झरना दास वैद्य।
ये हैं नए चेहरे-माकपा के सोमप्रकाश, जदयू के एमपी वीरेन्द्र कुमार, भाजपा की श्वेता मलिक, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा, प्रताप सिंह दूलो, रिपुन बोरा, राने नाराह, एनपीएफ की केजी केन्यी।
 Mar-

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