सोमवार, 14 मार्च 2016

देश में होगा 50 हजार किमी जलमार्ग का विकास


 तैयार हो रहा है 70 हजार करोड़ की परियोयजनाओं का खाका
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में सड़क और रेल मार्ग के अलावा परिवहन क्षेत्र में जलमार्ग को विकसित करने में जुटी केंद्र सरकार ने देश में समुद्र तथा नदियों में 50 हजार किलोमीटर जलमार्ग का विकास करने का फैसला किया है। संसद में जलमार्ग बिल पारित होते ही सरकार ने पहले चरण में 70 हजार करोड़ रुपये की परियोजना का खाका तैयार करके वित्त पोषण हेतु तौर तरीकों पर विचार करना शुरू कर दिया है।
संसद में  राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक पारित होते ही सरकार का देश में 111 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग में तब्दील करने की योजना के तहत परिवहन के लिये समुद्री तट तथा नदी जलमार्ग के विकास का रास्ता साफ हो गया है। देश में अभी तक केवल पांच जलमर्गों को ही राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया जा सका है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा कि जलमार्ग विकसित करने की योजना के तहत 14 राज्यों में समुद्री तट के साथ 7500 किलोमीटर तटरेखा है। इसमें 14,500 किलोमीटर की संभावना वाले नौवहनीय जलमार्ग हैं। इसके अलावा देश में 116 नदियां हैं, जो 35 हजार किलोमीटर नवैवहन मार्ग उपलब्ध कराते हैं। मसलन देश के पास 50 हजार किलोमीटर जलमार्ग हैं, देश की 111 नदियों को जलमार्ग में बदलने वाले इस विधेयक को संसद से मंजूरी मिलते ही भारत की तस्वीर बदलने का रास्ता मिल गया है।
पर्यावरण संरक्षण में मिलेगी मदद
सरकार पर्यावरण अनुकूल परिवहन के साधन के रूप में इनके विकास के लिये आक्रमक तरीके से काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है। इससे देश में लाजिस्टिक्स लागत जो फिलहाल 18 प्रतिशत है, उसमें कमी आएगी। गडकरी का कहना है कि सरकार वित्त पोषण के लिये अनूठे तरीके पर गौर कर रहे हैं, क्योंकि हमें इन नदियों को परिवहन योग्य बनाने के लिये 70 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसके लिए बजटीय समर्थन के अलावा बहुपक्षीय कोष, र्सावजनिक-निजी भागीदारी तथा बाजार उधारी के विकल्पों को तलाशा जाएगा। आईडब्ल्यूटी के पर्यावरण लाभ को देखते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ उर्च्च्जा कोष :एनसीईएफ: तथा केंद्रीय सड़क कोष :सीआरएफ: की भी जरूरत होगी।
ये है बजटीय प्रावधान
गडकरी ने कहा कि हालांकि सरकार के पास कोष की कमी नहीं होगी। इस साल बजट में 800 करोड़ रुपये जलमार्गों के विकास के लिये दिये गये हैं, जबकि हम 800 करोड़ रच्च्पये कर मुक्त बांड के जरिये जुटा सकते हैं। चालू वित्त वर्ष में हमारे बंदरगाहों का लाभ 6,000 करोड़ रुपये के करीब होगा। इसमें आगे धीरे-धीरे वृद्धि होगी। इसके अलावा उनके पास 8,000 करोड़ रुपये की मियादी जमा है। एक बैंक डालर में बहुत कम ब्याज दर 2.0 प्रतिशत पर 50 हजार करोड़ रुपेय का कर्ज उपलब्ध कराने को तैयार है। सरकार को उम्मीद है कि इन सभी उपायों के जरिए भारत के जलमार्गों के विकास में पर्याप्त कोष जुटा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल परिवहन को बढ़ावा देकर 18 प्रतिशत लाजिस्टिक लागत में उल्लेखनीय कमी लाएंगे। चीन में यह लागत जहां 8 से 10 से प्रतिशत है वहीं यूरोपीय देशों में में 10 से 12 प्रतिशत है।
14Mar-2016

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