रविवार, 13 मार्च 2016

अंग्रेजी हकूमत के पुलों का होगा कायाकल्प!

देशभर के पुलों को दुरस्त रखने की कवायद
तीन सौ करोड़ से बनेगा डेढ़ लाख पुलों का डाटाबेस 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की देशभर में राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य सड़क मार्गो के सुरक्षित और आसान सफर की रμतार बढ़ाने के लिए नई-नई परियोजना तैयार कर रही है। ऐसी परियोजनाओं के तहत सरकार ने देश में जर्जर हालत में पहुंच चुके अंगे्रजी हकूमत के करीब डेढ़ लाख पुलों का कायाकल्प करने का फैसला किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार सरकार ने देश में ऐसे करीब डेढ़ लाख पुलों की स्थिति पर नजर रखने के लिए उनका विश्व में अपनी तरह का सबसे बड़ा विस्तृत डाटाबेस तैयार करने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। इस कार्य को मंत्रालय के तहत इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम यानि आईबीएमएस इस काम को अंजाम देने के लिए देशभर के पुलों की पूरी जानकारी एकत्रित करने में जुटा हुआ है। सरकार को अनुमान है कि डाटाबेस तैयार करने की परियोजना पर 300 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस परियोजना के तहत अभी तक छह माह में राष्ट्रीय राजमार्गों पर मौजूद 100 पुलों समेत 50 हजार छोटे व बड़े पुलों का डाटा तैयार किया जा चुका है। यह डाटाबेस तैयार हो जाने पर पुलों की स्थिति पर पैनी नजरे रखी जा सकेगी तथा उनकी मरम्मत तथा देखरेख करके उनके कायाकल्प करने में आसानी होगी। इस काम को पूरा करने के लिए मंत्रालय ने 18 पैकेज तैयार किए हैं। आईबीएमएस ने मंत्रालय को भरोसा दिया है कि वह देशभर में डेढ़ लाख पुलों के डाटाबेस तैयार करने वाली इस परियोजना को अगले छह माह में पूरा कर लेगी। इस परियोजना के पूरा होने के बाद केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों पर कमजोर और अपनी मियाद पूरी कर चुके जर्जर पुलों की रैंकिंग तैयार करेगी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत आदि कार्य को अंजाम देकर उनकी कायाकल्प करने का काम शुरू किया जाएगा।
विश्व का सबसे बड़ा डाटाबेस
मंत्रालय का दावा है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद दुनिया में सड़कों पर बने पुलों के विवरण का सबसे बडा डाटाबेस आईबीएमएस के पास उपलब्ध होगा। मंत्रालय का कहना है कि अब तक दुनिया में सिर्फ जर्मनी में इस तरह के काम को अंजाम दिया जा सका, लेकिन उसके पास केवल 46 हजार 645 पुलों के विवरण का ही डाटाबेस तैयार है, जबकि भारत में आईबीएमएस पिछले छह माह के दौरान करीब 50 हजार पुलों का डाटा तैयार करने का कार्य पूरा कर चुका है। मंत्रालय के अनुसार आईबीएमएस के लिए देशभर के पुलों का विवरण रखने का साμटवेयर मुंबई की कंपनी आईडीडीसी ने तैयार कर रही है। यह साμटवेयर पूरी तरह से भारत में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत तैयार किया जा रहा है। कंपनी को भी उम्मीद है कि इस परियोजना का काम वह पांच छह माह में पूरा कर लेगी। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि डाटाबेस में मौजूद पुलों का विवरण देखने और उनका आकलन करने के बाद राष्ट्रीय राजमार्गों पर कमजोर हो रहे पुलों की रैंकिंग तैयार की जाएगी और उसके बाद प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा।
पुलों को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस परियोजना के तहत ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है कि डाटाबेस की तैयारी में प्रत्येक पुल को राष्ट्रीय पहचान देने के लिए एक नम्बर दिया जाएगा, जिसे क्लिक करते ही पुल की भौगोलिक स्थिति के साथ ही उसका सामाजिक और आर्थिक महत्व, निर्माण वर्ष, मरम्मत और रखरखाव से संबंधित जानकारी के अलावा उसके मौजूदा हालात का भी विस्तृत विवरण सामने आ जाएगा। मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना को अंजाम देने के लिए करीब 17 सलाहकार कार्यालयों की स्थापना करके तीन सौ से अधिक इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय राजमार्गो को रेलवे क्रासिंग रहित बनाने की दिशा में 208 रेल पुल और अंडरपास बनाने की सेतुभारतम परियोजना को शुरू कर दिया है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें