
संसद में इस सप्ताह दावं पर एक दर्जन विधेयक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
के बजट सत्र अब तक की कार्यवाही देशद्रोह जैसे मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष
के बीच गरमाहट के बीच भले ही राज्यसभा में तीन विधेयक पारित कराने से सरकार
उत्साहित हो, लेकिन बाकी दस दिन की कार्यवाही के दौरान कामकाज निपटाने के
दबाव में मोदी सरकार को अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरने की दरकार है। आज से
तीसरे सप्ताह की कार्यवाही में सरकार ने एक दर्जन विधेयकों को पारित कराने
का लक्ष्य रखा है।
संसद के बजट सत्र में पहले दो सप्ताह
देशद्रोह के मुद्दे पर गरमाए रहे माहौल में लोकसभा में सरकार को किसी भी
विधेयक को आगे बढ़ाने में परेशानी नहीं है, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के
बहुमत के सामने सरकार को मशक्कत करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस सत्र
के शुरूआती दो सप्ताह में विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार खासकर राज्यसभा
में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को आगे नहीं बढ़ा सकी है, हालांकि इस हंगामे के
दौरान ही उच्च सदन में सरकार निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक तथा विमानन वहन
विधेयक तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जज(वेतन और सेवा शर्त) संशोधन
विधेयक को पारित कराने में सरकार सफल रही, जबकि वहीं भारत का राष्ट्रीय
पहचान प्राधिकरण विधेयक को विपक्ष के विरोध के बावजूद वापस भी लिया और नया
आधार विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया गया। अब मंगलवार से शुरू हो रही तीसरे
सप्ताह की कार्यवाही के लिए सरकार ने एक दर्जन विधेयक सूचीबद्ध किये
हैं,जिनमें पांच विधेयक राज्यसभा और सात विधेयक लोकसभा में पारित कराने का
दबाव होगा। लोकसभा के लिए सूचीबद्ध विधेयकों में से चार बजट से संबंधित
हैं। सूत्रों का मानना है कि यदि इस सप्ताह की कार्यवाही के दौरान कोई
भड़काऊ मुद्दा नहीं छिड़ता, तो निश्चित रूप से पहले दिन से ही सूचीबद्ध होते आ
रहे राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक, भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक, और सूचना
प्रदाता संरक्षण (संशोधन) विधेयक को तो सरकार राज्यसभा में पारित करा सकती
है। हालांकि इसके अलावा राज्यसभा में बाल श्रम संशोधन विधेयक तथा पहले से
ही लंबित रियल एस्टेट बिल को पारित कराने का लक्ष्य रखा है।
लोकसभा में ये विधेयक
सरकार
ने इस सप्ताह के दौरान लोकसभा के लिए सामान्य अनुदान और रेलवे अनुदान के
अलावा अध्यादेश का स्थान लेने वाले शत्रु संपत्ति (संशोधन और
वैधीकरण)विधेयक तथा लोकसभा में पेश किये जा चुके नये आधार विधेयक को पारित
कराने की चुनौती होगी। शत्रु संपत्ति विधेयक को तो लोकसभा में मंगलवार को
ही पेश किया जाएगा, जो एक अध्यादेश का स्थान लेगा। इसके अलावा नये विधेयक
के रूप में संविधान(अनुसूचित जाति)आदेश संशोधन विधेयक को भी इस सप्ताह के
एजेंडे रखा गया है।
विपक्षी दलों से चुनौती
संसद
में सूचीबद्ध इन 12 विधेयकों को पारित कराने के लिए विधायी कामकाज को
प्रभावित न करने का प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य दलों पर दबाव बनाने
की चुनौती भी होगी। हालांकि सरकार ने उम्मीद जताई है कि लोकसभा और
राज्यसभा दोनों सदनों में ही सूचीबद्ध विधेयकों को पारित कराने की राह में
कोई अड़चन आने की संभावना नहीं है। हालांकि आधार विधेयक के लटकने की संभावना
है, जिसमें कांग्रेस और कुछ अन्य दल इसे सरकार द्वारा इसे मनी बिल के रूप
पारित कराने की योजना है।
पहले चरण में काम का बोझ
सरकार
के सामने बजट सत्र के पहले चरण में ज्यादा से ज्यादा कामकाज का बोझ है,
जिसमें अभी सरकार के सामने वित्त विधेयक, जैव-प्रौद्योगिकी के लिए
क्षेत्रीय केन्द्र विधेयक, लोकसभा में लंबित विधेयकों में लोकपाल तथा
लोकायुक्त और अन्य संबद्ध कानून (संशोधन) विधेयक, संविधान (122वां संशोधन)
विधेयक, राज्यसभा की प्रवर समिति की रिपोर्ट पर के अनुसार जीएसटी और रियल
एस्टेट प्राथमिकता पर हैं। इसके अलावाउद्योग (विकास तथा नियमन) संशोधन
विधेयक, विनियोग अधिनियम (निरस्तीकरण)विधेयक, निरस्तीकरण तथा संशोधन
(तीसरा) विधेयक तथा अपहरण विरोधी विधेयक को पारित कराने की दरकार है। इसके
अलावा नये विधेयकों के रूप में भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक के अलावा
रेलवे (संशोधन) विधेयक और भूमि अधिग्रहण पुर्नवास और पुर्नबसावट में
पारदर्शी उचित मुआवजा अधिकार (संशोधन) विधेयक वापस लेने का प्रस्ताव भी है।
08Mar-2016
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