बुधवार, 30 मार्च 2016

राष्ट्रपति शासन बढ़ा सकता है केंद्र की मुश्किलें!

राज्यसभा में पास कराना आसान नहीं: विशेषज्ञ
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
उत्तराखंड में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू कराने की जल्दबाजी उसके लिए मुश्किलों का सबब बन सकती है, जिसे राज्यसभा में पारित कराना सरकार के लिए आसान काम नहीं है। संविधान विशेषज्ञों की माने तो राज्य में केवल राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है और विधानसभा और कांग्रेस के बागी विधायक केवल निलंबित हैं, इसलिए राज्य में बहुमत जुटाने वाले राजनीतिक दलों के सामने सरकार बनाने का विकल्प खुला है।
केंद्र सरकार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की जल्दबाजी को नैनीताल हाई कोर्ट के ताजा फैसले ने झटका दिया है। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कराने वाले केंद्र सरकार के फैसले पर संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति की राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने वाले फैसले में विधानसभा केवल निलंबित की गई है, वहीं उत्तराखंड के स्पीकर ने कांग्रेस के बागी नौ विधायकों को दल-बदल कानून के तहत निलंबित किया है तो राज्य में भाजपा या कांग्रेस के पास बहुमत जुटाने के साथ सरकार गठन करने का विकल्प खुला है। जहां तक राष्ट्रपति शासन को संसद की मंजूरी लेने का सवाल है उसके बारे में संविधान विशेषज्ञ एवं राज्यसभा के पूर्व महासचिव डा. योगेन्द्र नारायण का कहना है कि किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्वीकृति छह सप्ताह के भीतर संसद से लेनी होती है। चूंकि बजट सत्र का दूसरे चरण 25 अप्रैल से शुरू हो रहा है और इस दौरान इस प्रस्ताव को सरकार पारित कराने का प्रयास करेगी। उनका कहना है कि लोकसभा में सरकार को इस प्रस्ताव को पारित कराना आसान है, लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल न होना उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है और ऐसे में सरकार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के प्रस्ताव को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसी प्रकार लोकसभा के पूर्व महासचिव एंव संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचारी का भी यही तर्क है कि सरकार यदि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की अनुमति के प्रस्ताव को दोनों सदनों में पारित न करा पाई तो इस प्रस्ताव को वापस लेकर फिर से राज्य में सरकार का गठन कराना होगा। आचारी का मानना है कि ऐसा शायद पहली बार होगा कि राज्यसभा में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश वाला प्रस्ताव अटक सकता है। ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि इस मुश्किल से बचने के लिए केंद्र सरकार के पास एक ही रास्ता बचता है कि वह उत्तराखंड में सरकार बना बहुमत साबित कराए।
बरकरार है राजनीतिक संकट
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ कांग्रेस को नैनीताल हाई कोर्ट ने बहुमत साबित करने का मौका देकर केंद्र सरकार के दांव को झटका दिया है, तो वहीं स्पीकर द्वारा निलंबित कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को सदन में वोटिंग का अधिकार देकर भाजपा को भी राहत दी है। इस संतुलित फैसले से भाजपा व कांग्रेस कानूनी दांवपेंच में आमने सामने जरूर हैं, लेकिन अदालत के फैसले के बावजूद उत्तराखंड के राजनीतिक संकट का पटाक्षेप होना आसान काम नहीं लगता।
30Mar-2016

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