शुक्रवार, 11 मार्च 2016

अब हो पूरे सकेंगे घर के सपने!


राज्यसभा में पारित हुआ रियल एस्टेट बिल
अब नहीं चेलगी बिल्डरों की मनमानी
हरिभूमि ब्यूरो
. नई दिल्ली।
बहुप्रतीक्षित रियल एस्टेट यानि भू-संपादा (विनियमन तथा विकास) विधेयक को राज्यसभा में सर्वसम्मिति से पारित कर दिया गया है। इसके कानूनी प्रावधानों से बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगना तय है और लोगों के संजाए हुए घर के सपने भी पूरे हो सकेंगे।
राज्यसभा में गुरुवार को दो बजे केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने रियल एस्टेट बिल को पेश कर दिया और सदन को आम जनता को राहत देने और बिल्डरों की मनमानी रोकने जैसे फायदे भी गिनाए। विधेयक पर चर्चा के बाद इसे उच्च सदन ने सर्वसम्मिति से पारित कर दिया। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की प्राथमिकता में शामिल रहे रियल एस्टेट बिल को प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी पक्ष था, जिसे पारित कराने का उसकी यूपीए सरकार ने भी प्रयास किया था, लेकिन आम सहमति न बनने पर वह अटका हुआ था। राज्यसभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के आधार पर इस बिल में किये गये बदलाव करके मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी, जिसका मकसद पिछले शीतकालीन सत्र में इसे पारित कराना था, लेकिन कांग्रेस और अन्य दलों के हंगामे के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका था। अब इस विधेयक को पारित कराने के लिए कांग्रेस ने खुद सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया और बिना कोई मौका गंवाए बिना सरकार ने गुरुवार को इसे राज्यसभा में पेश किया और चर्चा के बाद इस विधेयक पर सदन की सर्वसम्मिति से मुहर लगवा ली। सरकार को उम्मीद है कि रियल एस्टेट बिल के प्रावधान लागू होने से बिल्डरों की मनमानी और रियल एस्टेट सौदों की धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा सकेगी।
विधेयक में क्या हैं प्रावधान
विनियामक करेगा निगरानी:- विधेयक के अनुसार हर राज्य में रियल एस्टेट रेग्युलर नियुक्त होंगे, जो सभी प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग करेंगे और उपभोक्ता उनसे सीधे शिकायत कर सकते हैं। जिनकी सुनवाई रेग्युलेटर द्वारा की जाएगी।
ग्राहकों को मिलेगी पूरी जानकारी:- इस विधेयक से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी यानि प्रोजेक्ट लॉन्च होते ही बिल्डर्स को प्रोजेक्ट से संबंधित पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी। इसमें प्रोजेक्ट के अप्रूवल्स के साथ ही प्रोजेक्ट के बारे में रोजाना अपडेट करना होगा।
दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा सकेंगे पैसा:- विधेयक में प्रावधान है कि खरीदार से वसूले गए पैसे को 15 दिनों के भीतर बैंक में जमा करना होगा। इस पैसे को एस्क्रो अमाउंट के रूप में रखा जाना है, जो कंस्ट्रक्शन कॉस्ट की 70 फीसदी राशि होगी और इसका उपयोग सिर्फ उसी प्रोजेक्ट के लिए होगा। शेष 30 फीसदी राशि का इस्तेमाल बिल्डर्स कहीं और कर सकता है।
तीन साल तक की सजा:- पजेशन देरी से होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर डेवलपर को ब्याज और जुमार्ना देना होगा। यदि कोई डेवलपर बायर्स के साथ धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल और प्रॉपर्टी डीलर या बायर को दोषी पाए जाने पर उसे एक साल की सजा हो सकती है।
कॉरपेट एरिया पर होगी बिक्री:- नए रियल एस्टेट बिल के अनुसार डेवलपर को प्रोजेक्ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं कॉरपेट एरिया पर करनी होगी। डेवलपर को प्रोजेक्ट का पजेशन देने के तीन महीने के अंदर रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन को हैंड ओवर करना होगा।
वर्ग मीटर पर बने प्रोजेक्ट होंगे शामिल:- नए बिल में प्रोजेक्ट एरिया एक हजार वर्ग मीटर से कम कर 500 वर्ग मीटर कर दिया गया है। यानि आठ फ्लैट का प्रोजेक्ट भी इस बिल के दायरे में आएगा। इस तरह छोटे डेवपलर भी रेग्युलेटर की निगरानी में रहेंगे।

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