भूमिगत जल और कृषि सिंचाई पर गंभीर सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने जल सुधार के लिए चलाई जा रही परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए
कमर कस ली है। मसलन केंद्र सरकार द्वारा जल संसाधन के बजट में की गई 168
प्रतिशत की अप्रत्याशित बढ़ोतरी भूमिगत जल स्तर सुधारने, भूमिगत जल के
विषैलेपन को दूर करने, कृषि सिंचाई क्षेत्र का विस्तार करने और जल प्रबन्धन
में बेहतर सुधार करने जैसी योजनाओं को पंख लगाने का रास्ता साफ हो गया है।
केंद्र
सरकार ने वर्ष 2016-17 के बजट में जल संसाधन मंत्रालय की योजनाओं के लिए
कुल 38,517 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसमें जहां जल प्रबंधन के लिए
12,517 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है तो वहीं भूमिगत जल क्षेत्र में साठ करोड़
से बढ़ाकर छह हजार करोड़ रुपये तथा कृषि सिंचाई और उससे जुड़ी परियोजनाओं को
अंजाम देने के लिए नाबार्ड की दीर्घकालीन योजना के तहत 20 हजार करोड़ रुपये
का आबंटन किया है। इस भारी भरकम बजटीय प्रावधान को लेकर केंद्रीय जल संसाधन
मंत्री सुश्री उमा भारती उत्साहित हैं। उमा भारती का कहना है कि सरकार ने
उन्हें जल संबन्धी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए इस बजटीय
प्रावधान से प्रोत्साहित किया है। हालांकि ऐसी योजनाओं पर पहले से ही काम
जारी है। भारती के अनुसार भारत विश्वभर में भूमि जल का सबसे बड़ा प्रयोक्ताक
है। यानि कुल उपलब्ध 433 क्यूबिक किलोमीटर पुनर्भरणीय स्रोतों में से
प्रति वर्ष 245 क्यूैबिक किलोमीटर भूमि जल दोहन का अनुमान है, जो कि विश्व
के कुल जल का एक चौथाई से अधिक है। उन्होेंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में
60 प्रतिशत से अधिक सिंचित कृषि और 85 प्रतिशत पेयजल आपूर्ति भूमि जल पर
आधारित है। इसलिए भूमिजल संबन्धी सुधार की योजनाएं पूरी करना जरूरी है।
भूमि जल की कमी से जूझते राज्य

आर्सेनिक से मुक्ति का लक्ष्य
जल
संसाधन मंत्रालय ने दस राज्यों के 87 जिलों में ऐसे 331 ब्लॉकों को
चिन्हित किया है, जहां भूमिगत जल में आर्सेनिक संदूषण है और लोग इस जहरीले
पानी को पीने के लिए मजबूर है। इसके लिए सरकार ने ऐसे क्षेत्रों के भूमिगत
जल को आर्सेनिक मुक्त करके शुद्ध जल करने के लक्ष्य पर योजना चला
रही है। हालांकि सीजीडब्ल्यूबी ने पिछले वर्ष प्रभावित क्षेत्रों में 274
कुओं का निर्माण कराकर करीब 30 लाख लोगों को स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए
राज्य सरकार को सौंपे जा चुके हैं।
नौ राज्यों के खतरनाक ब्लॉक
जल
संसाधन मंत्रालय के अनुसार देश में 6607 आकलन इकाईयों में से 1071
अतिदोहित हैं, 217 क्रिटीकल और 697 सेमीक्रिटीक ल हैं। ऐसी अधिकतर इकाई
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र
प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में हैं। जबकि नौ राज्यों
के 94 जिलों में 427 ब्लॉकों के लिए तैयार भूमिजल और जल संरक्षण संबंधी
कृत्रिम पुनर्भरण के लिए प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव में करीब 9070 करोड़ रूपए
की अनुमानित लागत पर करीब 32 लाख पुनर्भरण संरचनाओं के माध्यम से लगभग
1870 मिलियन क्यूनबिक मीटर जल के पुनर्भरण की परिकल्पना की गई है।
02Mar-2016
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