सोमवार, 14 मार्च 2016

आधार विधेयक पर बरकार है विपक्ष की रार

राज्यसभा का सत्र 2 दिन बढ़ाने की उठी मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
लोकसभा में आधार बिल को मनी बिल के तौर पर पास करवाने से विपक्ष नाखुश है। विपक्ष ने मांग की है कि इस बिल पर बहस कराने के लिए राज्यसभा का मौजूदा सत्र दो दिन बढ़ाया जाए।
बजट सत्र का पहला चरण 16 मार्च को समाप्त हो रहा है। सरकार द्वारा आधार विधेयक को धनसंबन्धी विधेयक के रूप में पारित कराकर राज्यसभा को कमजोर करने का आरोप लगाया है, जिससे नाखुश विपक्ष इस पर सदन में बहस करना चाहता है। लिहाजा विपक्ष इस विधेयक पर चर्चा के लिए सत्र को बढ़ाने की मांग पर अड़ा हुआ है।
क्या है मामला
दरअसल अगर कोई विधेयक धनसंबंधी विधेयक के रूप में लोकसभा द्वारा पारित किया जाता है, तो संसद का उच्च सदन अथवा राज्यसभा उस पर केवल चर्चा कर सकती है, उसमें संशोधन नहीं कर सकती। इसके अलावा राज्यसभा को धनसंबंधी बिल पर चर्चा भी तुरंत करनी पड़ती है, क्योंकि यदि राज्यसभा में पेश किए जाने के 14 दिन के भीतर चर्चा नहीं होती है, तो उसे ‘पारित मान’ लिया जाता है। विपक्ष का तर्क है कि राज्यसभा में अल्पमत में होने के कारण सरकार ने उच्च सदन को कमजोर बनान की नाकाम कोशशि की है, ताकि वह ऐसे बिलों को पारित करा सके। आधार बिल 2016 के अंतर्गत यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर (एकमात्र पहचान क्रमांक) प्रोग्राम अथवा आधार को कानूनी मान्यता दी जाएगी, और फिर सब्सिडी तथा अन्य लाभ सीधे बांटने के लिए उसी का इस्तेमाल किया जाएगा।
क्या है मनी बिल
संसदीय नियमों के अनुसार कोई बिल धन विधेयक तब कहा जाता है जब वह संविधान के अनुच्छेद 110(1) में निहित 6 मामलों से जुड़ा हो। ये टैक्स लगाने, हटाने उसे रेगुलेट करने या फिर भारतीय राजकोष से जुड़े होते हैं। कोई बिल मनी बिल है या नहीं इसे लेकर लोकसभा के स्पीकर का फैसला आखिरी होता है। मनी बिल सिर्फ लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है राज्यसभा में नहीं। लोकसभा में पास होने के बाद यह राज्यसभा भेजा जाता है। इसके साथ मनी बिल होने को लेकर स्पीकर का सर्टिफिकेट भी होता है।राज्यसभा इसमें ना तो संशोधन कर सकती है ना ही नामंजूर कर सकती है। राज्यसभा को सिर्फ सुझाव देने का अधिकार होता है और इसे 14 दिनों के भीतर लोकसभा वापस करना होता है। हालांकि ये लोकसभा पर है कि वह राज्यसभा के सुझाव मानती है या नहीं।
14Mar-2016

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