पुलिसकर्मियों
की सवा पांच लाख से ज्यादा रिक्तियां भरने की दरकार
देश
में औसतन 702 लोगों पर एक पुलिसकर्मी की जिम्मेदारी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
के विभिन्न राज्यों में मॉब लिंचिंग और विभिन्न अपराधों को रोकने की दिशा में सख्त
कानून भी बेअसर नजर आने से सियासी बवाल निरंतर बरकरार है। सवाल है कि जब तक देश के
विभिन्न राज्यों में रिक्त पड़े 5.28 लाख से ज्यादा पदो को भरा नहीं जाता तो कानून
व्यवस्था दुरस्त करने की कल्पना करना इसलिए भी संभव नहीं है, क्योंकि फिलहाल देशभर
में औसतन 702 लागों के लिए एक पुलिसकर्मी ही कार्य कर रहा है। इसी प्रकार यातायात
नियंत्रण के लिए यातायात पुलिस बल की भी भारी कमी से देश जूझ रहा है।
केंद्र
की मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा की दिशा में आतंकवाद और अपराधों के खिलाफ कानून
व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए विभिन्न कानूनों को संशोधित करके सख्त प्रावधान
किये हैं, लेकिन सख्त कानूनों के लागू होने के बावजूद देश के 29 राज्यों में 23.79
लाख 728 स्वीकृत पुलिसकर्मियों (नफरी) के बजाए केवल 18.51 लाख 332 पुलिसकर्मी ही
कार्यरत है यानि 5.28 लाख 396 पुलिसकर्मियों के पद एक जनवरी 2018 तक के आंकड़े
देते हुए खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय इस नकारात्मक परिदृश्य की गवाही दे रहा है।
गृहमंत्रालय के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यदि देश की 130 करोड़ की आबादी का आधार
माने तो इन 29 राज्यों में फिलहाल कार्यरत पुलिकर्मियों में एक पुलिसकर्मी की
जिम्मेदारी में 702 लोग ही आते हैं। यदि तमाम स्वीकृत आंकड़े के मुताबिक रिक्त
पड़े लाखों पुलिसकर्मियों के पदों को भी भर दिया जाए तो भी 546 लोगों के हिस्से
में एक पुलिसकर्मी की जिम्मेदारी ही आती है। केंद्र सरकार का तर्क कानून व्यवस्था
को लेकर यही रहा है कि यह राज्य का विषय है, लेकिन ऐसे में कानून व्यवस्था को लेकर
उठाए जाने वाले सवाल स्वाभाविक है कि सख्त कानून के बावजूद देश की सुरक्षा और
कानून व्यवस्था कैसे दुरस्त होगी?
छग,
मप्र व हरियाणा की स्थिति
गृहमंत्रालय
के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में 71,606 पुलिसकर्मियों यानि नफरी के पद
स्वीकृत हैं, लेकिन राज्य में केवल 59.690 पुलिसकर्मी की ही कार्य कर रहे हैं यानि
छत्तीसगढ़ राज्य में स्वीकृत पदों के आधार पर 11916 नफरी के पदो को भरने की दरकार
है। मध्य प्रदेश में तो और भी ज्यादा हालात खराब है, जहां 22355 पुलिसकर्मियों के
पद खाली है। मध्य प्रदेश में 1.15 लाख 731 पदों के सापेक्ष 93,376 पुलिसकर्मी ही
कार्यरत हैं। इसी प्रकार हरियाणा में स्वीकृत 61346 पदों की तुलना में 44502 पदों
पर ही पुलिसकर्मी कार्य कर रहे, जबकि 16844 पदों को भरे जाने का इंतजार है।
उत्तर
प्रदेश में बद से बदतर हालात
देश
के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर वहां की सरकार के
खिलाफ विपक्षी राजनीतिक दल हमेशा पंगु करार देते आ रहे हैं, जहां अपराधों के
आंकड़े भी देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा रहे हैं। उत्तर प्रदेश ऐसा
राज्य है जहां गृहमंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सर्वाधिक 1.28 लाख 952
पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं। यूपी में 4.14 लाख 492 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 2.85
लाख 540 पुलिकर्मी ही इस विशाल सूबे की कानून व्यवस्था से दो-चार होने को मजबूर
हैं। इसी प्रकार बिहार में 50,291, पश्चिम बंगाल में 48,981, झारखंड में 18,931,
महाराष्ट्र में 26,195, राजस्थान में 18,003 पुलिकर्मियों के पदों को भरने की
दरकार है।
नागालैंड
सरप्लस
देश
का नागालैंड मात्र एक ऐसा राज्य है, जहां स्वीकृत 21,292 के सापेक्ष 941 ज्यादा
यानि 22,233 पुलिसकर्मी कानून व्यवस्था का जिम्मा संभाले हुए हैं। जबकि पूर्वोत्तर
राज्यों अरुणाचल में 2281, असम में 11,452, त्रिपुरा में 3953, मेघालय में 3676,
मणिपुर में 8237, सिक्किम में 722 पुलिसकर्मियों की रिक्तियां बनी हुई है।
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परिवहन
व्यवस्था को नियंत्रण करने में भी पर्याप्त नहीं पुलिस बल
देश
की परिवहन व्यवस्था को दुरस्त करने और सड़क सुरक्षा की दिशा में लागू किये गये नए
मोटर वाहन कानून में सख्त प्रावधानों को लागू करने के लिए यातायात पुलिस को मशक्कत
करनी पड़ रही है। मसलन 2017 तक के पब्लिश ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च ऐंड डिवेलपटमेंट की रिपोर्ट में सामने
आए आंकड़ों के अनुसार देश में 72 हजार यातायात पुलिकर्मी
हैं, जबकि सड़कों पर दौड़ने वाले पंजीकृत वाहनों की संख्या 20 करोड़ से जयादा बताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार
पिछले करीब दो साल में यातायात पुलिस बल में कोई सख्यां बल नहीं बढ़ाया गया है।
09Sep-2019
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