जेलों में कैदियों और जेलकर्मियों के संरक्षण पर चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
में जेल सुधार की दिशा में की जा रही कवायदों के बावजूद आपराधिक गतिविधियों के
कारण कैदियों और जेल कर्मियों की सुरक्षा जैसी चुनौतियों से सख्त मानकों को लागू
करना अनिवार्य है। जेल सुधारों से जु़ड़ी विभिन्न चुनौतियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट
भी टिप्पणियां कर चुका है।
दरअसल गुरुवार को यहां नई दिलली में जेल सुधारों के लिए जेल
प्रणालियों और उनसे संबन्धित मानव संसाधनों को लेकर गुरुवार को यहां पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) की ‘जेलों में आपराधिक गतिविधियां
और कट्टरता: कैदियों एवं जेल कर्मचारियों की असुरक्षा और उनका संरक्षण’
विषय
पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में अपने संबोधन में गृह
राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने जेलों में सुधारक सेवाओं के क्षेत्र में
विभिन्न चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि जेल प्रणालियों
एवं संबंधित मानव संसाधन को बेहतर बनाने के लिए एक सचेत नीति बनाने की आवश्यकता है,
जिसमें सख्त मानकों को लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद
से ही देश में जेल प्रशासन विभिन्न मंचों पर गहन विचार-विमर्श का विषय रहा है। यहां
तक कि देश के उच्चतम न्यायालय ने भी जेलों की स्थितियों पर अपनी चिंता जताई है। इसलिए
आज समय की मांग है कि जेलों में सुरक्षा सुनिश्चित करने, कैदियों के रहन-सहन का स्तर बेहतर करने और
जेलों को एक सुधार केन्द्र में तब्दील किया जाए। जेलों में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों से जहां
कैदियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, वहीं जेल कर्मियों को भी असुरक्षा की
भावनाओं का अहसास रहता है। उन्होंने कहा कि जेल जेल की व्यवस्था ऐसी
होनी चाहिए, जिससे कि कारावास प्रक्रिया के दौरान ज्यादा कष्ट
न हो। इसके लिए उन्होंने कैदियों के व्यवहार में सुधार लाने
और फिर इसके बाद उनका पुनर्वास करने की जरूरत पर बल दिया। इस सम्मेलन का
उद्घाटन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने किया, जिसमें गृह
मंत्रालय, सीएपीएफ और राज्य
पुलिस के सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों, शिक्षाविदों,
सिविल
सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधियों,
जेल
अधिकारियों और बीपीआरएंडडी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा हिस्सा लिया गया
है।
जेल आधुनिकीकरण योजना तैयार
गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने जेलों में क्षमता
से ज्यादा कैदियों, विचाराधीन कैदियों की अधिक
संख्या, जेलों में अपर्याप्त
बुनियादी ढांचागत सुविधाएं, जेलों में आपराधिक
गतिविधियां एवं कट्टरता, महिला कैदियों एवं
उनके बच्चों की सुरक्षा, समुचित जेल प्रशासन
के लिए धन एवं स्टाफ की कमी जैसी जेल सुधारों से जु़ड़ी विभिन्न चुनौतियों
को बड़ी समस्या बताया। हालांकि देश की जेलों में सुधार और सुविधाओं के लिए
पिछले एक दशक के दौरान केंद्र सरकार ने विभिन्न बेहतर कदम उठाए हैं, जिनमें नई
जेलें और अतिरिक्त बैरकों की सख्यां बढ़ाने के अलावा जेलकर्मियों के लिए आवासीय
परिसर का निर्माण करने के लिए 1800 करोड़ रुपये की लागत वाली ‘जेल आधुनिकीकरण
योजना’ तैयार की गई है। इस योजना के तहत 199 नई जेलें, 1572 अतिरिक्त बैरक एवं जेल
कर्मियों के लिए 8568 आवासीय परिसर
(क्वार्टर) बनाने का प्रस्ताव है। सम्मेलन में पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो
(बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक वी.एस.के. कौमुदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों
और विशेषज्ञ जेल सुधार की दिशा में चर्चा कर रहे हैं।
इन मुद्दों पर गहन चर्चा
गृह मंत्रालय के अनुसार इस दो दिवसीय सम्मेलन में जेल सुधार
की दिशा में व्यक्तिगत एवं गैंगवार होने वाली विभिन्न
आपराधिक गतिविधियों को समझना और असुरक्षित कैदियों एवं जेल कर्मियों के लिए सुरक्षा
उपायों पर विचार करने, जेल में कट्टरता के विभिन्न पहलुओं को
समझना और कट्टरता से निपटने के उपाय करने के अलावा जेल कर्मियों
के लिए सुरक्षा एवं संरक्षण मानक तैयार करना शामिल है। ताकि
जेल सुधारों को लागू करने के लिए मौजूदा समय की नई चुनौतियों का सामना
करने के लिए सुधारात्मक प्रशासन के कामकाज से जुड़ी सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों
और मानकों की पहचान की जा सके।
13Sep-2019
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