शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

इस्तेमाल के बाद भी बेकार नहीं जाएंगे मिट्टी के बर्तन


बेकार व टूटे बर्तनों के पाउडर से बनेंगे नए बर्तन
सरकार की इस योजना से कुम्हारों को मिलेगा रोजगार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में प्लास्टिक के गिलास और प्लेटों तथा अन्य सामान पर रोक लगाने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई मुहिम के तहत खादी व ग्रामोद्योग आयोग ने ऐसी मशीन शुरू की है जिसमें मिट्टी के बर्तनों को इस्तेमाल के बाद उनका पाउडर बनाकर फिर से नए बर्तन बनाए जा सकेंगे। इससे मिट्टी का बर्तन बनाने वालों के कारोबार का प्रोत्साहन मिलेगा।
केंद्रीय सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्रालय के अनुसार खादी व ग्रामोद्योग आयोग ने टेराकोटा ग्राइंडर जैसी मशीन का एक ऐसा डिजाइन तैयार किया है, जिसका निर्माण राजकोट की एक इंजीनियरिंग इकाई द्वारा किया गया है। इस मशीन में बेकार और टूटे बर्तनों का पाउडर बनेगा और इस पाउडर से नए बर्तनों का निर्माण किया जा सकेगा। आयोग के चेयरमैन सुनील कुमार सक्सेना ने यूपी के वाराणसी के सेवापुरी में पहला टेराकोटा ग्राइंडर की शुरूआत की है, ताकि कुम्हारों को बेकार मिट्टी के बर्तनों के पाउडर से नए बर्तन बनाने में मदद मिल सकेगी। केवीआईसी के चेयरमैन सुनील कुमार सक्सेना ने कहा कि पहले बेकार पड़े मिट्टी के बर्तनों को खल-मूसल के द्वारा पाउडर बनाया जाता था और इसके बारिक पाउडर को साधारण मिट्टी में मिलाया जाता था। एक निश्चित मात्रा में इस पाउडर को मिलाने से नए तैयार होने वाले बर्तन अधिक मजबूत होते हैं। इस टेराकोटा ग्राइंडर के माध्यम से बेकार और टूटे-फूटे बर्तनों का पाउडर बनाने का कार्य तेजी से होगा। इससे लागत में भी कमी आएगी और बर्तन बनाने वाली मिट्टी की कमी की समस्या भी दूर होगी। उन्होंने कहा कि बर्तन बनाने वाली मिट्टी की कीमत 2600 रुपये प्रति ट्रेक्टर ट्रॉली है। यदि मिट्टी में 20 प्रतिशत टेराकोटा पाउडर मिलाया जाता है तो इससे 520 रुपये की बचत होगी। वहीं इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर सृजत होंगे। मंत्रालय के अनुसार बिजली से चलने वाले ‘टेराकोटा ग्राइंडर’ जैसी मशीन में बर्तन बनाने वाले 200 पहियों का उपयोग करने से 900 नई नौकरियां पैदा होंगी
रेल मंत्रालय ने शुरू की पहल
मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के 400 से अधिक प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर कुल्लड़ और अन्य टेराकोटा उत्पादों के उपयोग का प्रस्ताव पर रेल मंत्रालय ने क्षेत्रीय रेलवे और आईआरसीटीसी को पर्यावरण अनुकूल टेराकोटा उत्पादों का प्रयोग करने की दिशा में कदम उठाया है, जहां रेलवे स्टेशनों और रेलगाड़ियों में मिट्टी से निर्मित उत्पादों में कुल्लड़, गिलास और प्लेटों का इस्तेमाल करने पर बल दिया गया है। रेलवे स्टेशनों पर मिट्टी के बर्तनों की बढ़ती मांग को देखते हुए ‘टेराकोटा ग्राइंडर जैसी यह मशीन एक वरदान सिद्ध होगी
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प्लास्टिक मिश्रित कागज का इस्तेमाल
मंत्रालय के अनुसार पर्यावरण अनुकूल स्वच्छ भारत अभियान के तहत केवीआईसी ने जयपुर में प्लास्टिक मिश्रित कागज का निर्माण प्रारंभ किया है। यह निर्माण कार्य री-प्लान परियोजना के तहत कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्त निर्मित कागज संस्थान (केएनएचपीआई) में किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत प्लास्टिक का संग्रह किया जाता है फिर इसकी सफाई होती है और इसे मुलायम बनाया जाता है। फिर इसे कागज के कच्चे माल में 80 प्रतिशत (लुगदी) और 20 प्रतिशत प्लास्टिक मिलाया जाता है। संस्थान ने सितंबर 2018 से अब तक 6 लाख से ज्यादा हस्तनिर्मित, प्लास्टिक मिश्रित कैरीबैगों की बिक्री की है।  
04Sep-2019

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